संविधान में संशोधन के बिना 'एक राष्ट्र एक चुनाव' संभव नहीं : चुनाव आयोग
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संविधान में संशोधन के बिना 'एक राष्ट्र एक चुनाव' संभव नहीं : चुनाव आयोग

चुनाव आयोग ने एक बार भी साफ कर दिया है कि देश के एकसाथ चुनाव तबतक संभव नहीं हैं, जबतक संविधान में संशोधन नहीं किया जाता. 

मुख्य चुनाव आयुक्त दो दिन के मध्य प्रदेश के दौरे पर हैं

नई दिल्ली : एक तरफ केंद्र सरकार विधानसभा और लोकसभा के चुनाव एकसाथ कराए जाने को लेकर सभी दलों की सहमति हासिल करने की कवायद में जुटी हुई है, वहीं चुनाव आयोग ने एक बार भी साफ कर दिया है कि देश के एकसाथ चुनाव तबतक संभव नहीं हैं, जबतक संविधान में संशोधन नहीं किया जाता. 

मुख्य चुनाव आयुक्त ओपी रावत इन दिनों मध्य प्रदेश के दौरे पर हैं. वे वहां राज्य विधानसभा चुनावों की तैयारियों की समीक्षा कर रहे हैं. इस दौरान पत्रकारों से बात करते हुए ओपी रावत ने कहा कि देश का सिस्टम एकसाथ चुनाव कराए जाने के लिए तैयार नहीं है. एकसाथ चुनाव कराए जाना देश हित में हैं, लेकिन इसके लिए पहले सिस्टम में बदलाव लाना होगा और यह बदलाव संविधान में संशोधन करके ही किया जा सकता है.

'वन नेशन, वन पोल' पर उन्होंने कहा कि फिलहास इसका कोई चांस नहीं है. उन्होंने इतना जरूर कहा कि जिन राज्यों में इस साल या अगले साल विधानसभा चुनाव होने जा रहे हैं, उनके चुनाव लोकसभा के साथ कराए जा सकते हैं. लेकिन पूरे देश में ऐसा होना संभव नहीं है.

चुनाव आयोग के पास सिर्फ 7-8 राज्‍यों में ही एक साथ चुनाव कराने के इंतजाम : मुख्‍य चुनाव आयुक्‍त

मध्य प्रदेश में समय पर चुनाव होने के सवाल पर उन्होंने कहा कि उनका राज्य में आना ही समय पर चुनाव होने का प्रमाण है.

मुख्य चुनाव आयुक्त ने अन्य चुनाव आयुक्त सुनील अरोड़ा और अशोक लॉसा ने राज्य के अधिकारियों और राजनीतिक दलों के साथ बैठक कर इस साल के अंत में होने जा रहे विधानसभा चुनावों की तैयारियों को लेकर चर्चा की. 

बता दें कि चुनाव आयोग पहले भी एकसाथ चुनाव की संभावना से इनकार कर चुका है. हालांकि केंद्र सरकार इस मुद्दे पर सभी राजनीतिक दलों से एक राय जुटाने की कोशिश में लगी हुई है. बीजेपी के वरिष्ठ नेता विरोधी दलों से मुलाकात कर उनकी सहमति बनाने में जुटे हुए हैं.

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