Pulwama Attack: एक साल में कितना बदला कश्मीर, अलगवादियों के गढ़ त्राल से Zee News की ग्राउंड रिपोर्ट
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Pulwama Attack: एक साल में कितना बदला कश्मीर, अलगवादियों के गढ़ त्राल से Zee News की ग्राउंड रिपोर्ट

बीते एक साल में सुरक्षाबलों ने सैकड़ों आतंकियों का सफाया किया. आज हम आपको कश्मीर के उस इलाके में ले जाएंगे जो आज भी आतंकियो का गढ़ बना हुआ है. 

प्रतीकात्मक तस्वीर.

नई दिल्ली: पुलवामा हमले (Pulwama Attack) ने पूरे देश को झकझोर कर रख दिया था. इस हमले के बाद ये फैसला किया गया कि जम्मू-कश्मीर (Jammu-Kashmir) में आतंक की जड़ को पूरी तरह से खत्म किया जाएगा. इन एक साल में सुरक्षाबलों ने सैकड़ों आतंकियों का सफाया किया. आज हम आपको कश्मीर के उस इलाके में ले जाएंगे जो आज भी आतंकियो का गढ़ बना हुआ है. 

आतंकी गुट हिजबुल मुजाहिदीन का पोस्टर बॉय बुरहान वानी (Burhan Wani) इसी त्राल (Tral) का रहने वाला था. साल 2016 में सुरक्षा बलों ने आतंकी बुरहान वानी मार गिराया था. लेकिन त्राल जाना खतरे से खाली नहीं था. इन रास्तों में आए दिन पत्थरबाजी (Stone Pelting) होती है और ये सारे इलाके आज भी अलगवादियों के गढ़ बने हुए हैं. यहां पर मौजूद आतंकियों के समर्थक इन रास्तों से गुजरने वालों पर कड़ी नज़र रखते हैं.

लेकिन इन सब खतरों के बावजूद हमने त्राल में स्थित बुरहान वानी के गांव शरीफाबाद जाने का फैसला किया. रास्ते में हमें वो जगह भी मिली जहां त्राल में मौजूद आतंकियों के समर्थकों ने इसी कब्र में बुरहान वानी को दफनाया हुआ है. त्राल के इस इलाके में आए दिन आतंकियों से मुठभेड़ होती रहती है. सवाल ये है कि पुलवामा हमले के बाद त्राल में क्या बदला है. 

त्राल के लोग क्या चाहते हैं
हमने यहां पर कई लोगों से बातचीत की जो त्राल में बदलाव चाहते हैं. लोग चाहते हैं कि त्राल को उमर फयाज के लिए याद किया जाए न कि आतंकी बुरहान वानी के लिए. त्राल के लोग विकास चाहते हैं वो चाहते हैं कि लोगों को रोजगार मिले. उमर ने कहा, 'हम चाहते हैं लोगों को रोजगार मिले. यहां लड़के बेरोजगार हैं. सरकार ने बड़े वादे किए हैं लेकिन जमीन पर कुछ नहीं दिख रहा. 

त्राल समेत साउथ कश्मीर के इस पूरे इलाके में सुरक्षा बलों ने आतंकियों के टॉप कमांडर्स को मार गिराया है. कश्मीर में हर दिन आतंकी संगठनों में कमी देखी जा रही है. त्राल में भी बदलाव की उम्मीद की जा रही है और वो दिन दूर नहीं जब ये इलाकों से आतंक की जड़ें पूरी तरह खत्म हो जाएगीं. 

कश्मीर से अनुछेद 370 हटने के बाद से लोग यहां जल्द से जल्द विकास चाहते हैं. यहां के लोगों को उम्मीद है कि सरकार यहां डेवेलपमेंट को लेकर खास स्कीम चलाएगी जिससे इन इलाकों की तस्वीर बदल सके. यहां रहने वाले यूसुफ फैयाज नाम के एक सामाजिक कार्यकर्ता ने कहा कि "मीडिया ने त्राल को बुरहान वानी के तौर पर पहचान बनाने की जो छवि बनाई है वो गलत है. कुछ रास्ते से भटके लोग त्राल की पहचान नहीं हो सकते. त्राल की पहचान उमर फैयाज है ना कि बुरहान.

जहां सेना आतंकियों के खिलाफ आए दिन ऑपरेशन चलाती है वहीं इन इलाकों में आम लोगों की मदद के लिए हर वक्त तैयार रहती है. हम श्रीनगर में स्थित सेना के बेस हॉस्पिटल भी गए जहां लाइन ऑफ कंट्रोल (LoC) के नजदीक रहने वाले रफाकत अली नाम के शख्स को समय रहते हेलीकॉप्टर मुहैया कराया गया. जिससे उसकी जान बचा गई. रफाकत की तबीयत अचानक खराब हो गई थी और आस-पास कोई मेडिकल फैसिलिटी मौजूद न होने से रफाकत की जान जा सकती थी. रफाकत अली ने कहा है कि आज मैं भारतीय सेना की वजह से ही जिंदा हूं. अगर सेना मदद नहीं करती तो मेरी जान जा सकती थी.

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