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Vice presidential election 2022: राष्ट्रपति चुनाव में एनडीए उम्मीदवार द्रौपदी मुर्मू की जीत और बड़ी संख्या में क्रॉस वोटिंग से विपक्षी एकता की पोल खुल गई है. अब कुछ ऐसा ही उपराष्ट्रपति चुनाव में हो सकता है क्योंकि टीएमसी ने पहले ही खुद को चुनाव से अलग रखने का फैसला किया है. इस फैसले की न सिर्फ पश्चिम बंगाल के विपक्षी दलों ने आचोलना की है बल्कि खुद उपराष्ट्रपति उम्मीदवार मार्गरेट अल्वा ने भी इसे निराशाजनक करार दिया और कहा कि उम्मीद है कि चुनाव में टीएमसी प्रमुख ममता बनर्जी विपक्ष के साथ खड़ी होंगी.
अल्वा की ममता बनर्जी से अपील
उपराष्ट्रपत चुनाव से दूर रहने के फैसले पर मार्गरेट अल्वा ने ट्वीट कर उम्मीद जताई कि साहस की प्रतीक ममता बनर्जी इस चुनाव में विपक्ष के साथ खड़ी होंगी. अल्वा ने कहा, ‘उप राष्ट्रपति चुनाव से टीएमसी का बाहर रहने का फैसला निराशाजनक है, यह वाद-विवाद, अहंकार और गुस्से का समय नहीं है. यह साहस, नेतृत्व और एकता का समय है.’ उन्होंने कहा, ‘मेरा विश्वास है कि ममता बनर्जी, जो साहस का प्रतीक हैं, विपक्ष के साथ खड़ी होंगी.’
The TMC's decision to abstain from voting in the VP election is disappointing. This isn't the time for 'whataboutery’, ego or anger. This is the time for courage, leadership & unity. I believe, @MamataOfficial , who is the epitome of courage, will stand with the opposition.
— Margaret Alva (@alva_margaret) July 22, 2022
टीएमसी ने लिया था ये फैसला
तृणमूल कांग्रेस के महासचिव अभिषेक बनर्जी ने गुरुवार को कहा कि उनकी पार्टी आगामी उपराष्ट्रपति चुनाव से दूर रहेगी. उन्होंने कहा कि टीएमसी उसे जानकारी दिए बिना विपक्षी उम्मीदवार का फैसला करने के तरीके से सहमत नहीं है. एनडीए ने पश्चिम बंगाल के पूर्व राज्यपाल जगदीप धनखड़ को उपराष्ट्रपति पद के चुनाव में अपना उम्मीदवार बनाया है, जिनका मुकाबला विपक्षी उम्मीदवार मार्गरेट अल्वा से होना है.
टीएमसी के फैसले को लेकर बंगाल के विपक्षी दल कांग्रेस और सीपीएम भी नाराज हैं. उनका आरोप है कि ममता बनर्जी की पार्टी ने बीजेपी के साथ सीक्रेट डील कर ली है और इसी वजह से वह उपराष्ट्रपति चुनाव में विपक्ष के उम्मीदवार का साथ देने को तैयार नहीं है. प्रदेश कांग्रेस अध्यक्ष अधीर रंजन चौधरी के मुताबिकतृणमूल कांग्रेस के दो फैसलों ने बीजेपी के साथ उसकी सीक्रेट डील को साबित कर दिया है.
विपक्षी दलों ने लगाए गंभीर आरोप
अधीर रंजन ने कहा कि बीजेपी विरोधी दलों ने नेशनल हेराल्ड मामले में सोनिया गांधी से ED की पूछताछ किए जाने की निंदा करते हुए एक याचिका पर हस्ताक्षर किए, इस याचिका पर हस्ताक्षर नहीं करने वाली एकमात्र गैर-भाजपा पार्टी तृणमूल कांग्रेस थी. उसी दिन, पार्टी के राष्ट्रीय महासचिव अभिषेक बनर्जी ने भारत के अगले उपराष्ट्रपति का चुनाव करने के लिए वोटिंग से दूर रहने के फैसले की घोषणा की. साफ तौर पर यह फैसला एनडीए उम्मीदवार जगदीप धनखड़ को बढ़त देने के लिए लिया गया था.
वहीं सीपीएम पोलित ब्यूरो सदस्य और पार्टी के राज्य सचिव मोहम्मद सलीम ने कहा, 'क्या टीएमसी ने मुख्यमंत्री के परिवार के सदस्यों को सीबीआई और ईडी जैसी केंद्रीय एजेंसियों के चंगुल से बचाने के लिए उपराष्ट्रपति चुनाव में मतदान से दूर रहने का फैसला किया था.' हालांकि, अभिषेक बनर्जी ने इन आरोपों का खंडन किया और कहा कि टीएमसी, भाजपा के खिलाफ समान रूप से आक्रामक बनी रहेगी, अगर हमारा इरादा विपक्ष के स्थान को कमजोर करने का होता, तो हम विपक्ष शासित राज्यों में अपना आधार बढ़ाने पर फोसक करते जबकि हम इसके विपरीत काम कर रहे हैं.
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