Zee जानकारी : तमिलनाडु की नई मुख्यमंत्री बनने जा रही शशिकला की सियासी कला का विश्लेषण
Advertisement

Zee जानकारी : तमिलनाडु की नई मुख्यमंत्री बनने जा रही शशिकला की सियासी कला का विश्लेषण

आज हम सबसे पहले तमिलनाडु की नई मुख्यमंत्री बनने जा रहीं शशिकला की सियासी कला का विश्लेषण करेंगे। कल शशिकला तमिलनाडु की मुख्यमंत्री बन सकती हैं, शशिकला ने आज तक कोई चुनाव नहीं लड़ा है और वो सीधे तमिलनाडु की मुख्यमंत्री बनने जा रही हैं। शशिकला का मुख्यमंत्री बनना कानून और संविधान की दृष्टि से अवैध नहीं है, लेकिन ये अनैतिक ज़रूर है। क्योंकि तमिलनाडु के 1 करोड़ 76 लाख वोटर्स ने शशिकला को नहीं बल्कि जयललिता को वोट दिया था। आपको जानकारी दे दें कि तमिलनाडु में करीब 5 करोड़ 78 लाख वोटर्स हैं, लेकिन इनमें से 1 करोड़ 76 लाख वोटर्स ने AIADMK को वोट दिया था। 

Zee जानकारी : तमिलनाडु की नई मुख्यमंत्री बनने जा रही शशिकला की सियासी कला का विश्लेषण

नई दिल्ली : आज हम सबसे पहले तमिलनाडु की नई मुख्यमंत्री बनने जा रहीं शशिकला की सियासी कला का विश्लेषण करेंगे। कल शशिकला तमिलनाडु की मुख्यमंत्री बन सकती हैं, शशिकला ने आज तक कोई चुनाव नहीं लड़ा है और वो सीधे तमिलनाडु की मुख्यमंत्री बनने जा रही हैं। शशिकला का मुख्यमंत्री बनना कानून और संविधान की दृष्टि से अवैध नहीं है, लेकिन ये अनैतिक ज़रूर है। क्योंकि तमिलनाडु के 1 करोड़ 76 लाख वोटर्स ने शशिकला को नहीं बल्कि जयललिता को वोट दिया था। आपको जानकारी दे दें कि तमिलनाडु में करीब 5 करोड़ 78 लाख वोटर्स हैं, लेकिन इनमें से 1 करोड़ 76 लाख वोटर्स ने AIADMK को वोट दिया था। 

पिछले वर्ष मई में जब तमिलनाडु विधानसभा चुनावों के नतीजे आए थे, तो AIADMK को ज़बरदस्त बहुमत मिला था। तमिलनाडु विधानसभा में 234 सीटें हैं, लेकिन पिछले वर्ष 232 सीटों पर ही चुनाव हुआ था और इनमें से AIADMK को 135 सीटें मिली थीं। 

पार्टी को ये बहुमत जयललिता की वजह से मिला था। इसीलिए हम ये सवाल उठा रहे हैं कि शशिकला को भले ही उनके विधायकों ने अपना नेता चुन लिया हो, लेकिन क्या वो तमिलनाडु की जनता के दिल पर राज कर पाएंगी? शशिकला अपनी पार्टी यानी AIADMK की महासचिव पहले ही बन गई थीं और अब विधायकों ने उन्हें अपना नेता चुना है। विधायक शशिकला के साथ इसलिए हैं, क्योंकि टिकट बांटने में उनकी भूमिका अहम है। वो पार्टी की प्रमुख हैं, इसलिए आप कह सकते हैं कि मजबूरी में विधायक शशिकला के साथ हैं। लेकिन क्या तमिलनाडु की जनता उनके साथ है? शशिकला के मुख्यमंत्री बनने के ऐलान के बाद तमिलानाडु में ना तो कोई जश्न का माहौल है, ना पटाखे फोड़े जा रहे हैं और ना ही उनके समर्थक सड़कों पर निकलकर खुशी जता रहे हैं। 

ये तस्वीरें कल की हैं, जब AIADMK के विधायकों ने शशिकला को अपना नेता चुना था। इन तस्वीरों में आप देख सकते हैं कि शशिकला एक Victory Sign दिखा रही हैं। शशिकला ने आज तक कोई चुनाव नहीं जीता है, लेकिन वो यहां पर ऐसी बॉडी लैंग्वेज दिखा रही हैं, जैसे उन्होंने बहुत बड़ी चुनावी जीत हासिल की हो। सवाल ये है कि शशिकला किस बात पर ये विक्ट्री साइन दिखा रही हैं? क्या ये तमिलनाडु की सत्ता पर कब्ज़ा प्राप्त करने की खुशी है। आमतौर पर ऐसा विक्ट्री साइन कोई तब दिखाता जब वो कोई चुनाव जीत जाता है या जंग जीत जाता है या कोई और बहुत बड़ी कामयाबी हासिल कर लेता है। लेकिन शशिकला के साथ ऐसा कुछ नहीं है।

AIADMK और DMK द्रविड़ पार्टियां हैं, जो कम्युनिस्ट पार्टियों की तर्ज़ पर बनाई गई थीं। यानी ऐसी पार्टियों में पार्टी प्रमुख, सरकार के मुखिया से ज्यादा महत्व रखता है और पार्टी कैडर का सरकार में काफी प्रभाव होता है। लेकिन AIADMK के मामले में ये बात थोड़ी अजीब है। शशिकला पहले पार्टी की प्रमुख बनीं और अब मुख्यमंत्री बनने जा रही हैं लेकिन उनकी पार्टी का Cadre इससे खुश नहीं दिख रहा है। 

तमिलनाडु का राजनीतिक इतिहास बताता है कि जब भी कोई नेता मुख्यमंत्री बनता है, तो समर्थकों का जश्न कुछ ऐसा होता है। ये तस्वीरें जयललिता के मुख्यमंत्री बनने से पहले की हैं। जयललिता को जब पिछले वर्ष मई में जीत मिली थी, तो उनके समर्थक ऐसे जश्न मना रहे थे। लेकिन अब ऐसा कुछ भी नहीं हो रहा है। AIADMK के समर्थक शांत हैं। ऐसे में सबके मन में ये सवाल है कि क्या शशिकला के मुख्यमंत्री बनने से AIADMK के समर्थक नाराज़ हैं?

जीवन जीने की कला को अंग्रेज़ी में ऑर्ट ऑफ लिविंग कहा जाता है, लेकिन जो कुछ भी तमिलनाडु में हो रहा है, सियासत की भाषा में आप इसे ऑर्ट ऑफ ग्रैबिंग यानी छीनने की कला भी कह सकते हैं। दिसंबर में जयललिता की मौत के बाद तमिलनाडु की राजनीति में एक खास तरह का वैक्यूम यानी खालीपन आ गया है। और तमिलनाडु की जनता को जल्द से जल्द एक ऐसा नेता या चेहरा चाहिए, जो उन्हें लीड कर सके। 

कुछ राजनीतिक पंडित ये भी सोच रहे थे कि जयललिता के बाद शशिकला आसानी से AIADMK की बड़ी नेता बन जाएंगी और तमिलनाडु की राजनीति का खालीपन भर जाएगा लेकिन ऐसे राजनीतिक पंडितों के भ्रम टूट गए होंगे, क्योंकि शशिकला से उनकी पार्टी के तमाम नेता और कार्यकर्ता खुश नहीं हैं। जयललिता की मृत्यु के बाद लोगों की नज़र DMK की तरफ भी गई। लेकिन DMK के अंदर कुछ भी ठीक नहीं चल रहा है। पार्टी के अध्यक्ष M.  करुणानिधि 92 वर्ष के हैं और बीमार हैं। राजनीति में सक्रिय उनके दो बेटों यानी MK अलागिरी और MK स्टालिन की भी आपस में नहीं बनती है। इसलिए ऐसा कहा जा सकता है कि तमिलनाडु की राजनीति का ये खालीपन अभी भरने नहीं वाला है। 

वैसे यहां एक और बात पर गौर करना ज़रूरी है और वो ये कि जयललिता ने कभी भी अपने उत्तराधिकारी के तौर पर किसी के नाम की कभी घोषणा नहीं की थी। जयललिता के निधन के बाद पार्टी के अंदर सबसे बड़ा सवाल ये था कि उनकी राजनीतिक विरासत कौन संभालेगा? हालांकि उनकी विरासत पर शशिकला ने अपना दावा तो जता दिया है, लेकिन वोटों को अपनी तरफ खींचने के मामले में उनकी क्षमताओं को परखा जाना अभी बाकी है, क्योंकि तमिलनाडु में चुनाव अभी करीब साढ़े 4 वर्ष दूर हैं। 

वैसे आज सवालों के घेरे में ये प्रेस कान्फ्रेंस भी है, ये डॉक्टर रिचर्ड बेल की प्रेस कॉन्फ्रेंस है। ये वही डॉक्टर हैं, जिन्होंने जयललिता का इलाज किया था। इस प्रेस कान्फ्रेंस में अपोलो अस्पताल के डॉक्टर भी शामिल थे। जयललिता के निधन के दो महीने के बाद डॉक्टरों ने ये बताया कि जयललिता की मौत कॉर्डिक अरेस्ट से हुई थी और उनकी मौत में कोई साज़िश नहीं है। लेकिन सवाल ये है कि दुनिया को ये बताने में अपोलो अस्पताल के डॉक्टरों को दो महीने क्यों लग गए? सवाल इस प्रेस कॉन्फ्रेंस की टाइमिंग को लेकर है, क्योंकि कल ही शशिकला तमिलनाडु की मुख्यमंत्री के तौर पर शपथ लेने जा रही हैं और उससे ठीक एक दिन पहले जयललिता की मौत को लेकर उठ रहे सवालों को शांत करने की कोशिश की गई है। आखिर शशिकला को शपथग्रहण से पहले अस्पताल से ये प्रेस कॉन्फ्रेंस करवाने की क्या ज़रूरत थी ? यानी ये साफ है कि शशिकला को भले ही विधायकों ने अपना नेता चुन लिया हो, लेकिन उनकी चुनौतियां कम नहीं बल्कि बढ़ने वाली हैं। 

शशिकला की पहली चुनौती ये है कि उनके खिलाफ आय से अधिक संपत्ति का केस चल रहा है, जिसका फैसला सुप्रीम कोर्ट ने पिछले वर्ष सुरक्षित रख लिया था। ये भी कहा जा रहा है कि सुप्रीम कोर्ट अगले हफ्ते इस मामले में फैसला सुना सकता है। शायद इसीलिए शशिकला मुख्यमंत्री बनने के लिए बेताब दिख रही हैं। कल ही विधायकों ने उन्हें अपना नेता चुना और आज ही ये ख़बर आ गई कि शशिकला कल सुबह मुख्यमंत्री पद की शपथ लेंगी। ये सब देखकर लगता है कि शशिकला बहुत जल्दी में हैं।

आय के अधिक संपत्ति रखने के इस मामले में जयललिता के साथ साथ शशिकला और दो और लोग आरोपी हैं। जयललिता को इन आरोपों से कर्नाटक हाईकोर्ट ने बरी कर दिया था, लेकिन DMK ने इस फैसले को सुप्रीम कोर्ट में चुनौती दी थी। जयललिता के निधन के बाद अब शशिकला उनके भतीजे सुधाकरन और उनकी ननद इल्लावारासी पर अभी भी इस मामले की तलवार लटक रही है। 

शशिकला ने कोई चुनाव नहीं लड़ा और वो राजनीति में सीधे तौर पर सक्रिय भी नहीं थीं, इसलिए चुनाव जीतना भी उनके लिए एक चुनौती है.. आने वाले 6 महीनों में उन्हें किसी विधानसभा सीट से चुनाव जीतना होगा जबकि लोग शशिकला के मुख्यमंत्री बनने के फैसले से खुश नहीं है। शशिकला को पार्टी का समर्थन तो मिल गया, लेकिन उन्हें अभी भी तमिलनाडु की जनता का समर्थन और प्यार हासिल करना होगा। फिलहाल जनता का मूड इससे उलटा है, लोगों को शशिकला के हाथों में सत्ता का रिमोट कंट्रोल अच्छा नहीं लग रहा।

इन सबके बीच जयललिता की भतीजी दीपा जयकुमार पर भी सबकी नज़रें रहेंगी। क्योंकि तमिलनाडु की राजनीति पर नज़र रखने वाले कह रहे हैं कि दीपा जयकुमार शशिकला के लिए चुनौती बन सकती हैं। आपको याद दिला दें कि दीपा जयकुमार ने ये आरोप लगाए थे कि जयललिता के अंतिम संस्कार में उन्हें शामिल नहीं होने दिया गया। कुल मिलाकर शशिकला बहुत जल्दी में हैं।

शशिकला को शपथ लेने से रोकने को लेकर सुप्रीम कोर्ट में एक PIL दाखिल हुई है। इसके अलावा उनके आय से अधिक संपत्ति के मामले में सुप्रीम कोर्ट का फैसला जल्द आ सकता है। इलेक्शन कमीशन का नोटिस और तमिलनाडु में शशिकला का विरोध लगातार बढ़ रहा है। एक वीडियो पार्लर चलाने से लेकर तमिलनाडु के मुख्यमंत्री बनने तक शशिकला का सफर किसी फिल्मी कहानी जैसा है। इस कहानी की स्क्रिप्ट राइटर, डाइरेक्टर और एक्टर सब शशिकला ही हैं, लेकिन सत्ता पाने की जल्दबाज़ी आगे उन्हें विलेन भी बना सकती है।

आज हम शशिकला को बिना मांगे ये सलाह देना चाहते हैं। राजनीति की दुनिया में सत्ता हासिल करना एक कला है। सियासत की भाषा में आप इसे ऑर्ट ऑफ ग्रैबिंग यानी छीनने की कला भी कह सकते हैं। पूर्व मुख्यमंत्री जयललिता की मौत के बाद उनकी करीबी शशिकला ने अपनी सियासी कलाओं के दम पर राजनीति के सारे मोहरे अपनी तरफ कर लिए हैं। अब शशिकला बिना कोई चुनाव लड़े तमिलनाडु की मुख्यमंत्री बन सकती हैं। किसी राज्य के मुख्यमंत्री के करीबी होने का ये सबसे बड़ा ईनाम है। कानून की नज़र से देखें तो इसमें कुछ भी गैरकानूनी नहीं है। भारत का संविधान शशिकला को ये अधिकार देता है कि अगर उनके पास विधायकों का समर्थन है, तो वो मुख्यमंत्री बन सकती हैं। यानी शशिकला का मुख्यमंत्री बनना अवैध नहीं है, लेकिन ये अनैतिक ज़रूर है। नैतिकता की नज़र से देखा जाए तो शशिकला ने बहुत ही चतुराई से तमिलनाडु की सत्ता का रिमोट कंट्रोल अपने हाथ में ले लिया है और वो कल सुबह से सत्ता का चैनल चेंज करने वाली है। 

लेकिन जनता को ये पसंद नहीं आ रहा तमिलनाडु की जनता ने जयललिता को अपना नेता माना था। जनता ने जो वोट दिया था जो जनादेश दिया था वो जयललिता को दिया था उनके किसी नज़दीकी व्यक्ति को नहीं लेकिन अब शशिकला उसी जनादेश पर कब्ज़ा कर रही है जिसकी वजह से तमिलनाडु की सत्ता में एक अजीब सी ख़ामोशी और खालीपन है। मुख्यमंत्री बनने पर जिस तरह से जयललिता का सम्मान हुआ था और जश्न मनाया गया था वैसा माहौल शशिकला के पक्ष में नहीं है। जब एक बड़े लीडर का सपोर्टर खुद लीडर बन जाता है तो यही होता है तमिलनाडु की राजनीतिक नब्ज़ इस वक़्त बहुत तेज़ चल रही है हम इसका गहरा विश्लेषण करेंगे।

Trending news