120 साल पुराने बरगद के पेड़ को बचाने के लिए लोगों ने किया दिल जीतने वाला काम
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120 साल पुराने बरगद के पेड़ को बचाने के लिए लोगों ने किया दिल जीतने वाला काम

दिल्ली (Delhi) की नरेला विधानसभा (Narela Legislative Assembly) के खामपुर गांव में पर्यावरण (Environment) बचाने की अनूठी पहल के तहत ग्रामीण 120 साल पुराने बरगद के पेड़ (Banyan Tree) को भू-माफियाओं (Land Mafia) से बचाने के लिए 24 घंटे पेड़ की रखवाली कर रहे हैं.

120 साल पुराने बरगद के पेड़ को भू माफियाओं से बचाने के लिए 24 घंटे पेड़ की रखवाली में जुटे ग्रामीण.

नई दिल्ली : पिछले 120 सालों से ये पेड़ दिल्ली के खामपुर गांव (Khampur Village) के करीब 2 हजार लोगों की आस्था और उनके प्रकृति (Nature) प्रेम से जुड़ा हुआ है. यहां के लोग सालों से इस पेड़ को पूजते आए हैं. लेकिन पिछले सप्ताह कुछ अज्ञात लोगों द्वारा इसकी टहनियां काट दिए जाने के बाद खामपुर गांव के लोग 24 घंटे इस पेड़ की निगरानी (Supervision) में लगे हुए हैं. बता दें कि करीब 2,000 लोगों की आबादी (Population) वाला गांव लगभग 500 साल पुराना है.

  1. बरगद के पेड़ के लिए विद्रोह में जुटे ग्रामीण
  2. 120 साल पुराना है बरगद का ये पेड़
  3. भू-माफियाओं से बचाने के लिए 24 घंटे निगरानी

ग्रामीणों ने लगाया आरोप

ग्रामीणों (villagers) ने आरोप लगाते हुए बताया कि गांव के पास ही एक कॉलोनी (Colony) बसाने का काम चल रहा है, जिसे कुछ बिल्डरों (Builders) की मदद से तैयार किया जा रहा है. जब यहां कॉलोनी का काम शुरू हुआ था तभी ग्रामीणों ने उनसे कहा था कि वे इस ऐतिहासिक पेड़ (Historical Tree) को न काटें क्योंकि यह पेड़ प्रकृति के साथ-साथ उनकी आस्था (Faith) से जुड़ा हुआ है. ऐसे में चोरी-चुपके इस पेड़ को काटा जा रहा है जिसका ग्रामीण विरोध (Protest) कर रहे हैं.

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पुलिस में दर्ज कराई शिकायत

इस मामले को लेकर ग्रामीणों ने पुलिस (Police) में शिकायत (Complaint) दर्ज कराई है, जिसके बाद यह मामला उत्तरी दिल्ली के अलीगढ़ थाने (Aligarh Police Station) में लंबित है. पुलिस ने ग्रामीणों को ये आश्वासन दिया है कि फिलहाल जब तक जांच (Investigation) नहीं की जाती कि ये पेड़ कितना पुराना है और किसकी जमीन (Land) पर बना हुआ है तब तक इस पेड़ को कोई नहीं काटेगा. लेकिन ग्रामीणों को अज्ञात लोगों पर भरोसा नहीं है इसलिए वे अब भी दिन-रात इसकी निगरानी में लगे हुए हैं. कभी बच्चे तो कभी युवा तो कभी गांव के बुजुर्ग बारी-बारी से इसकी निगरानी करते हैं.

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दिल्ली में पेड़ों की हालत

भारत की राजधानी दिल्ली (Capital Delhi) में पेड़ों की हालत अच्छी नहीं है. पिछले 20 सालों में लगभग आधा शहरी जंगल क्षेत्र (Urban Forest Area) नई इमारतों (Buildings) की भेंट चढ़ चुका है. यहां निर्माण के लिए परमिट (Permit) हासिल करना आसान है जबकि नियम ये कहता है कि जहां तक संभव हो पेड़ों को काटने से बचाया जाए.

पेड़ हैं कुदरती एयर फिल्टर्स

गांवों की तुलना में पेड़ शहरों के लोगों के लिए बहुत अहम हैं. निवासियों के लिए पेड़ कुदरती एयर फिल्टर्स (Natural Air Filters) हैं. वे अनगिनत सूक्ष्म जीवों (Micro-Organisms), छोटे जानवरों (Small Animals) और परिंदों (Birds) के घर हैं. एक रिपोर्ट (Report) के मुताबिक साल 2015 से साल 2018 के बीच दिल्ली में पेड़ों के कटान की एक भी अर्जी खारिज (No Application Rejected) नहीं हुई और इस तरह 17 हजार से ज्यादा पेड़ काटे जा चुके हैं.

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इंसान प्रकृति का गला घोंटने में जुटा

एक रिपोर्ट के मुताबिक जब से इंसान ने खेती (Farming) करना शुरू की तब से अब तक हम दुनिया के करीब छह खरब पेड़ों में से आधे यानी 3 खरब पेड़ों (Trees) को काट चुके हैं. अब भी कॉन्क्रीट के जंगल (Concrete Jungle) बनाने की रेस में हम लगातार प्रकृति का दहन कर रहे हैं. 

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