किसान आंदोलन की आड़ में टूलकिट के जरिए रची गई खालिस्तानी साजिश का खुलासा करने के बाद एक नया नाम सामने आया था, वो था पीटर फ्रेडरिक का.
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नई दिल्ली: किसान आंदोलन की आड़ में टूलकिट के जरिए रची गयी खालिस्तानी साजिश का खुलासा करने के बाद एक नया नाम सामने आया था, वो था पीटर फ्रेडरिक का. जिसके बारे में स्पेशल सेल के डीसीपी ने खुलासा किया था कि उसकी तलाश भारतीय एजेंसियों को 2006 से है, और जो खालिस्तान की मांग करने वाले भजन सिंह भिंडर का करीबी है. फ्रेडरिक इस पूरी साजिश का हिस्सा हो सकता है, जिसकी जांच चल रही है. डीसीपी ने कहा कि टूलकिट में जिन जिन लोगों को फॉलो करने के बारे में लिखा था, उसमें पीटर का भी जिक्र किया गया था. पुलिस अब 26 जनवरी को हुई हिंसा में पीटर की भूमिका की भी जांच कर रही है. वहीं जब पीटर से संपर्क करने की कोशिश की, तो पीटर ने अपना जवाब दिया है जिसमें लिखा है कि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के शासन में काम कर रही भारत की दिल्ली पुलिस ने इस मामले को एक अंतरराष्ट्रीय साजिश बनाने की कोशिश की है.
दिल्ली पुलिस का दावा है कि पीटर फ्रेडरिक 2006 से भारतीय एजेंसियों के रडार पर है. फ्रेडरिक ने टूलकिट केस में ट्विटर के जरिये भेजे अपने जवाब में कहा कि मेरे सहित, एक ही विचारधारा के कई नाम दिए हुए थे. पुलिस ने मेरा नाम भजन सिंह भिंडर से जोड़ा है. मैंने भिंडर (जिसे भजन सिंह के नाम से भी जाना जाता है) के साथ दो पुस्तकों का सह-लेखन किया है, जिनमें से एक यह भी है कि सिख धर्म की उत्पत्ति जाति-विरोधी संघर्ष से कैसे जुड़ी हुई है. भजन सिंह भिंडर मेरे उन कई दक्षिण एशियाई मूल दोस्तों में से एक है, जो मैंने वर्षों में बनाए हैं. इनमें सिख, हिंदू, मुस्लिम, दलित और सभी पृष्ठभूमि के लोग शामिल हैं. हमारी मित्रता सभी मानवता के लिए समानता और स्वतंत्रता के लिए काम करने के लिए एक आपसी जुनून पर केन्द्रित है-और सबसे बढ़कर, भारत में मानवाधिकारों की समस्याओं को दबाने के लिए शांतिपूर्ण समाधान.
उसने कहा कि मैं भारत के बारे में बहुत कम जानता था. जब मैं भजन से मिला, उसके बाद भारत में दशकों के मानव अधिकारों के मुद्दों के बारे में जाना. जिसमें पंजाब और कश्मीर में हो रहे मानवाधिकारों के हनन की बातें भी हैं. जिस कड़ी में जसवंत सिंह खलरा जैसे मानवाधिकारवादियों की हत्या की गई थी.
पीटर फ्रेडरिक ने कहा कि मोदी सरकार के समर्थन वाली मेनस्ट्रीम मीडिया समेत सोशल मीडिया अकाउंट्स पर 'इस पूरे किसान आंदोलन को अंतरराष्ट्रीय स्तर पर साजिश रचने का आरोप मुझ पर लग रहा है. मुझे मीडिया में खलनायक और मास्टरमाइंड के तौर पर बताया जा रहा है.
पीटर फ्रेडरिक ने कहा कि किसानों के विरोध के लिए हैशटैग और समग्र 'टूलकिट' की योजना बनाना एक सम्मान की बात होगी. क्योंकि मैं दुनिया भर के सभी शांतिपूर्ण प्रदर्शनकारियों के साथ खड़ा हूं. खासकर भारतीयों के साथ खड़ा हूं. भारत के हालात कैसे है? सरकार अपने विरोधियों से बदला लेने के लिए कैसे पुलिस का इस्तेमाल करती है? इस बारे में एक बार खुद भारत के पूर्व गृह मंत्री पी चिदंबरम ने बताया था, 'भारत बेतुका रंगमंच बन रहा है और यह दुखद है कि दिल्ली पुलिस सरकार के द्वारा लोगों के खिलाफ किये जाने वाले उत्पीड़कों का औजार बन गई है.'
पीटर फ्रेडरिक ने कहा कि आज खालिस्तान आंदोलन के रूप में मेरी भागीदारी बिल्कुल भी नहीं है. इसके बावजूद मुझे जानबूझ कर खलनायक बनाने की कोशिश की जा रही है. दरअसल मुझे निशाना बनाए जाने की सबसे बड़ी वजह ये है कि मैं उत्तरी अमेरिकी महाद्वीप में मोदी सरकार के खिलाफ सबसे मजबूती से आवाज उठा रहा हूं.
दरअसल पीटर द्वारा दिये गए जवाब का सार सिर्फ इतना है कि पीटर फ्रेडरिक ने खुद को खालिस्तान समर्थक नहीं माना है और पुलिस को मोदी सरकार का हथियार करार दिया है.
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टूलकिट की प्लानिंग के हिसाब से जो ट्वीट किए गए उसमें पीटर फ्रेडरिक को भी टैग किया गया था. वह भजन सिंह भिंडर के संपर्क में 2006 से है. भजन सिंह भिंडर खालिस्तानी है और पीटर फेड्रिक भी K2 से ताल्लुक रखता है. पीटर फ्रेडरिक का नाम टूलकिट के रिसोर्स में क्यों डाला गया, इसकी जांच चल रही है. पीटर फेडरिक ने ये प्लान किया था कि किसे हैशटैग करना है, किसे फॉलो करना है, कब क्या ट्वीट कराना है.