देश की आजादी के इतिहास में 13 अप्रैल का दिन एक दुखद घटना के साथ दर्ज है. साल 1919 में 13 अप्रैल का ही दिन था, जब जलियांवाला बाग (Jallianwala Bagh) में एक शांतिपूर्ण सभा के लिए जमा हुए हजारों भारतीयों पर ब्रिगेडियर जनरल रेजीनॉल्ड डायर (General Reginald Dyer) ने अंधाधुंध गोलियां बरसाई थीं. पीएम नरेंद्र मोदी (Narendra Modi) ने बुधवार (13 अप्रैल) को ट्वीट कर कहा, '1919 में आज के दिन जलियांवाला बाग में शहीद हुए लोगों को श्रद्धांजलि. उनका अद्वितीय साहस और बलिदान आने वाली पीढ़ियों को प्रेरित करता रहेगा.' इसके साथ ही पीएम मोदी ने पिछले साल जलियांवाला बाग स्मारक के पुनर्निर्मित परिसर के उद्घाटन के अवसर पर दिया अपना भाषण भी शेयर किया.
पंजाब के अमृतसर जिले में स्थित जलियांवाला बाग नाम के बगीचे में 13 अप्रैल 1919 को अंग्रेजों की गोलीबारी से घबराई औरतें अपने बच्चों को लेकर जान बचाने के लिए कुएं में कूद गई थीं. बाहर निकलने का रास्ता काफी पतला था, इस वजह से बहुत से लोग भगदड़ में कुचले गए और हजारों लोग गोलियों की चपेट में आए. इस घटना ने देश के स्वतंत्रता संग्राम (Swatantra Sangram) का रुख मोड़ दिया.
अंग्रेजों की दमनकारी नीति और रोलेट एक्ट समेत कई मुद्दों के खिलाफ 13 अप्रैल 1919 को अमृतसर के जलियांवाला बाग में एक सभा का आयोजन किया गया था. इस दिन शहर में कर्फ्यू लगा हुआ था, लेकिन इसके बावजूद हजारों लोग सभा में शामिल होने के लिए जलियांवाला बाग पहुंचे. भीड़ को देखकर ब्रिटिश हुकूमत बौखला गया और उसे बड़ी क्रांति को लेकर चिंता होने लगी. ऐसे में अंग्रेजों ने भारतीयों की आवाज दबाने के लिए क्रूरता की सारी हदें पार कर दी.
सभा के दौरान जब नेता भाषण दे रहे थे, तभी ब्रिगेडियर जनरल रेजीनॉल्ड डायर (General Reginald Dyer) सैनिकों के साथ जलियांवाला बाग (Jallianwala Bagh) पहुंच गए और गोलीबारी का आदेश दे दिया. 90 ब्रिटिश सैनिकों ने बिना चेतावनी के हजारों लोगों पर गोलियां चलानी शुरू कर दी.
जलियांवाला बाग (Jallianwala Bagh) में ब्रिटिश सैनिकों ने महज 10 मिनट में कुल 1650 राउंड गोलियां चलाईं. इस दौरान जलियांवाला बाग में मौजूद लोग बाहर नहीं निकल सकते थे, क्योंकि बाग से निकलने का सिर्फ एक ही रास्ता था, जहां अंग्रेजी सैनिक खड़े थे. गोलीबारी से बचने के लिए लोग कुएं में कूद गए. इस घटना में बहुत से लोग भगदड़ में कुचले गए और हजारों लोग गोलियों की चपेट में आए.
अंग्रेजों की गोलियों से बचने के लिए जलियांवाला बाग (Jallianwala Bagh) में लोग वहां स्थित कुए में कुद गए, लेकिन इसके बाद भी लोगों की जान नहीं बची. पूरा कुआं देखते-देखते लाशों से भर गया था.
जलियांवाला बाग (Jallianwala Bagh) में शहीद होने वाले लोगों का सही आंकड़ा आज भी पता नहीं चल सका है. डिप्टी कमिश्नर कार्यालय में 484 शहीदों की सूची है, तो जलियांवाला बाग में 388 शहीदों की लिस्ट है. वहीं ब्रिटिश सरकार के दस्तावेजों में 379 लोगों की मौत और 200 लोगों के घायल होने का दावा किया गया था.
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