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हैदराबाद का नाम BJP जिस पर रखना चाहती है, जानिए उसकी रोचक स्‍टोरी

हैदराबाद नगर निगम चुनाव में चर्चाओं का केंद्र रहे भाग्यलक्ष्मी मंदिर को लेकर कई दंतकथाएं हैं, जिनमें ये बताया गया है कि ये मंदिर कब और कैसे अस्तित्व में आया था.

भाग्यलक्ष्मी मंदिर का इतिहास

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भाग्यलक्ष्मी मंदिर का इतिहास

भाग्यलक्ष्मी मंदिर हैदराबाद के मशहूर चार मीनार के दक्षिणपूर्व मीनार से सटा हुआ है, जिसमें मां लक्ष्मी विराजमान हैं. बांस के खंभे और तिरपाल से मंदिर का स्ट्रक्चर बना है, टीन की छत है और चार मीनार का दक्षिणपूर्व मीनार इस मंदिर के पीछे की दीवार के रूप में है. इसके बारे में कोई विश्वसनीय जानकारी नहीं मिलती है कि यह मंदिर कब बना और किसने बनवाया. लेकिन मंदिर के पुजारियों का दावा है कि ये मंदिर करीब 800 साल पुराना है. 

 

800 साल पहले हुआ था मंदिर का निर्माण

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800 साल पहले हुआ था मंदिर का निर्माण

चार पीढ़ियों से भाग्यलक्ष्मी मंदिर की पूजा करते आ रहे पुजारी की मानें तो इस मंदिर का निर्माण करीब 800 साल पहले किया गया था. उन्होंने बताया, 'मंदिर के स्थान पर पहले एक पत्थर हुआ करता था जिसपर देवी की तस्वीर थी. इसलिए सालों से श्रद्धालु उस पत्थर को देवी मानते हुए उसकी पूजा करते आ रहे थे. पुजारी ने आगे बताया कि भाग्यलक्ष्मी मंदिर के बाहर से ही देवी के चरणों में चांदी के दो आभूषण दिखाई देते हैं, जिनके पीछे उस पत्थर की झलक दिखाई देती है जो टूट गया है. चूंकि टूटे पत्थरों की पूजा नहीं की जाती है, इसलिए वहां एक तस्वीर रख दी गई और बाद में वहां पर एक प्रतिमा प्रतिष्ठित की गई.'

चार मीनार से भी पुराना है ये मंदिर!

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चार मीनार से भी पुराना है ये मंदिर!

सिकंदराबाद के भाजपा सांसद और केंद्रीय गृह राज्य मंत्री जी किशन रेड्डी दावा करते हैं कि भाग्यलक्ष्मी मंदिर का इतिहास चार मीनार (Char Minar) से भी पुराना है जिसका निर्माण 1591 में शुरू हुआ था. चार मीनार एरिया में रहने वाले हिंदू बड़ी संख्या में इस मंदिर में पूजा करने के लिए आते हैं. ​दिवाली के मौके पर भाग्यलक्ष्मी मंदिर में मां लक्ष्मी के दर्शन पाने के लिए श्रद्धालुओं की लंबी कतारें लगती हैं.

भाग्यलक्ष्मी को भाग्यनगर से क्यों जोड़ रहे संगठन

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भाग्यलक्ष्मी को भाग्यनगर से क्यों जोड़ रहे संगठन

श्रद्धालुओं की मान्यता है कि इस मंदिर में पूजा करने से जीवन में सुख और समृद्धि आती है. वहीं हिंदूवादी संगठन ​भाग्यलक्ष्मी (Bhagya Lakshmi) को भाग्यनगर (Bhagya Nagar) से जोड़ते हैं. भाजपा नेताओं का कहना है कि हैदराबाद पहले भाग्यनगर ही हुआ करता था. लेकिन गोलकोंडा के कुतुब शाही वंश के 5वें सुल्तान मुहम्मद कुली कुतुब शाह ने भाग्यनगर का नाम बदलकर हैदराबाद कर दिया. पूर्व में भाग्यलक्ष्मी मंदिर को लेकर हिंसात्मक घटनाएं भी हो चुकी हैं.

सीएम योगी आदित्यनाथ का बयान

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सीएम योगी आदित्यनाथ का बयान

CM योगी आदित्यनाथ (Yogi Adityanath) ने अपने भाषण में कहा था, 'कुछ लोग मुझसे पूछ रहे थे कि क्या हैदराबाद का नाम फिर से भाग्यनगर हो सकता है? मैंने कहा क्यों नहीं. जब फैजाबाद का नाम अयोध्या हो सकता है, इलाहाबाद का नाम प्रयागराज हो सकता है तो हैदराबाद का नाम भाग्यनगर क्यों नहीं हो सकता.' दरअसल, भाजपा के कुछ नेता यह दावा करते हैं कि भाग्यनगर के नाम से ही इस मंदिर का नाम पड़ा था. 

तीन बार हुआ मंदिर पर हमला

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तीन बार हुआ मंदिर पर हमला

- नवंबर 1979 में मक्का की बड़ी मस्जिद को हथियारबंद गिरोह ने अपने कब्जे में ले लिया था. तब MIM ने हैदराबाद बंद करने का ऐलान किया था. दिवाली नजदीक थी, हिंदू दुकानदारों ने एमआईएम से अपील की कि उन्हें दुकानें खोलने दी जाए. इस बात को लेकर हिंसा भड़की. भाग्यलक्ष्मी मंदिर पर हमला किया गया, उसे अपवित्र किया गया. 

- इसके बाद सितंबर 1983 में, गणेश उत्सव के मौके पर भाग्यलक्ष्मी मंदिर के बाहर बैनर टांगे गए कि इसका विस्तारीकरण होगा. इसके बाद मंदिर और ऑल्विन मस्जिद दोनों पर हमले हुए.

- नवंबर 2012 में बात उठी कि भाग्यलक्ष्मी मंदिर प्रशासन इसके विस्तारीकरण की योजना बना रहा है. बांस के खंभे हटाकर स्थाई निर्माण होगा. ​फिर हिंसा भड़की. तब आंध्र प्रदेश हाई कोर्ट ने मंदिर में किसी भी प्रकार के स्थायी निर्माण पर रोक लगा दी थी.

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