क्‍या आपको पता है कि हमारे 'तिरंगे' का डिजाइन किसने तैयार किया? उस गुमनाम हीरो को जानें
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क्‍या आपको पता है कि हमारे 'तिरंगे' का डिजाइन किसने तैयार किया? उस गुमनाम हीरो को जानें

दो अगस्‍त को भारत मां के महान सपूत इन्‍हीं पिंगाली वेंकैया का जन्‍मदिन है.

22 जुलाई, 1947 को संविधान सभा ने राष्‍ट्रीय ध्‍वज के रूप में इसे अंगीकार किया.(फाइल फोटो)

नई दिल्‍ली: राष्‍ट्रीय ध्‍वज 'तिरंगे' को हम सैल्‍यूट करते हैं. इसके सम्‍मान की रक्षा में अपनी जान की बाजी लगा देते हैं. लेकिन क्‍या आपको पता है कि इस तिरंगे का डिजाइन किसने तैयार किया? दरअसल अंग्रेजों के खिलाफ स्‍वतंत्रता संग्राम में आजादी के मतवालों ने अपनी क्षमता के अनुरूप योगदान दिया. ऐसे ही एक स्‍वतंत्रता संग्राम सेनानी पिंगाली वेंकैया थे. उन्‍होंने ही तिंरगे का डिजाइन तैयार किया था. दो अगस्‍त को भारत मां के महान सपूत इन्‍हीं पिंगाली वेंकैया का जन्‍मदिन है. हालांकि यह दुखद है कि पिंगाली को जीते-जी वह सम्‍मान नहीं मिल सका, जिसके वह हकदार थे.

  1. पिंगाली वेंकैया का जन्‍म दो अगस्‍त, 1876 को आंध्र प्रदेश में हुआ
  2. महात्‍मा गांधी से मुलाकात के बाद स्‍वतंत्रता संग्राम सेनानी बने
  3. 1921 में पहली बार ध्‍वज के संबंध में पहले डिजाइन को पेश किया

पिंगाली वेंकैया
142 साल पहले 2 अगस्‍त, 1876 को आंध्र प्रदेश के मछलीपत्‍तनम के निकटवर्ती एक गांव में पिंगाली का जन्‍म हुआ. अपने करियर की शुरुआत में उन्‍होंने सबसे पहले ब्रिटिश आर्मी को ज्‍वाइन किया. उस वक्‍त उनकी उम्र महज 19 साल थी. पिंगाली के जीवन में राष्‍ट्र प्रेम की अलख उस वक्‍त जगी जब उनकी मुलाकात महात्‍मा गांधी से हुई. दक्षिण अफ्रीका में आंग्‍ल-बोअर युद्ध के दौरान ये मुलाकात हुई. एक सामान्‍य मुलाकात से शुरू हुआ यह नाता उसके बाद 50 से अधिक वर्षों तक कायम रहा. गांधी जी की प्रेरणा से ही वह स्‍वतंत्रता संग्राम सेनानी बने.

71 साल पहले आज ही राष्‍ट्रीय ध्‍वज के रूप में अपनाया गया था 'तिरंगा'

1921 में पहली बार पेश किया डिजाइन
पांच वर्षों तक तकरीबन 30 देशों के राष्‍ट्रीय ध्‍वज के बारे में गहराई से रिसर्च करने के बाद 1921 में भारतीय राष्‍ट्रीय कांग्रेस के सम्‍मेलन में पिंगाली वेंकैया ने राष्‍ट्रीय ध्‍वज के बारे में पहली बार अपनी संकल्‍पना को पेश किया. उस ध्‍वज में दो रंग थे- लाल और हरा. ये क्रमश: हिंदू और मुस्लिम समुदायों का प्रतिनिधित्‍व करते थे. बाकी समूहों के प्रतिबिंबन के लिए महात्‍मा गांधी ने इसमें सफेद पट्टी को शामिल करने की बात कही. इसके साथ ही यह सुझाव भी दिया कि राष्‍ट्र की प्रगति के सूचक के रूप में चरखे को भी इसमें जगह मिलनी चाहिए.  

जब प्रस्‍ताव पारित हुआ
उसके अगले एक दशक के बाद 1931 में तिरंगे को कुछ संशोधनों के साथ राष्‍ट्रीय ध्‍वज के रूप में अपनाने का प्रस्‍ताव पारित हुआ. इसमें मुख्‍य संशोधन के तहत लाल रंग की जगह केसरिया ने ले ली. उसके बाद 22 जुलाई, 1947 को संविधान सभा ने राष्‍ट्रीय ध्‍वज के रूप में इसे अंगीकार किया. आजादी के बाद भारत की आन-बान-शान की नुमाइंदगी का ये प्रतीक बना. हालांकि बाद में इसमें मामूली संशोधनों के तहत रंग और उनके अनुपात को बरकरार रखते हुए चरखे की जगह केंद्र में सम्राट अशोक के धर्मचक्र को शामिल किया गया.

गरीबी में गुजरी जिंदगी
इतने महान योगदान के बावजूद पिंगाली वेंकैया का 1963 में बेहद गरीबी में निधन हुआ. विजयवाड़ा में एक झोपड़ी में उनका देहावसान हुआ. उसके वर्षों बाद 2009 में उन पर एक डाक टिकट जारी हुआ. उसके बाद पिछले साल जनवरी में उपराष्‍ट्रपति वेंकैया नायडू ने विजयवाड़ा के ऑल इंडिया रेडियो बिल्डिंग में उनकी प्रतिमा का अनावरण किया.

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