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नई दिल्ली: लोक सभा (Lok Sabha) में राष्ट्रपति के अभिभाषण पर चर्चा का जवाब देते हुए प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी (PM Narendra Modi) के कई रूप देखने को मिले. सबसे पहले तो उन्होंने अपने भाषण की शुरुआत करने से पहले कांग्रेस नेता अधीर रंजन चौधरी से मजाकिया लहजे में पूछा, और दादा कैसे हैं. ऐसा कहकर पीएम मोदी खुद भी हंसने लगे और सदन में मौजूद सदस्यों ने भी ठहाके लगाए. इसके बाद पीएम ने अपने भाषण शुरू किया.
प्रधानमंत्री ने अपने भाषण में कोरोना काल का जिक्र करते हुए देश के डॉक्टरों, नर्सों और सभी फ्रंटलाइन वर्कर्स का धन्यवाद किया. इसके बाद पीएम ने कृषि कानूनों की बात शुरू की तो सदन का माहौल गरमा गया और विपक्षी नेताओं ने हंगामा करना शुरू कर दिया.
जब पीएम खेती से जुड़े कानूनों का बचाव करते हुए बोल रहे थे तो कांग्रेस नेता अधीर रंजन चौधरी बीच में टोकने लगे. इस पर मोदी ने पहले हंसते हुए उन्हें चुप कराया. नोक-झोंक के बीच मोदी ने स्पीकर से कहा- ये सब भी चलते रहना चाहिए लेकिन जब टोकाटकी बढ़ गई तो मोदी थोड़े गुस्से में आ गए. उन्होंने अधीर रंजन चौधरी को लगभग डांट लगाते हुए कहा, 'दादा अब ज्यादा हो रहा है'.
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पीएम मोदी ने कांग्रेस पर तंज कसते हुए कहा कि कृषि कानूनों के कंटेंट पर चर्चा करने की बजाय हमारी विपक्षी पार्टियों ने कृषि कानूनों के रंग पर चर्चा किया. उन्होंने कहा कि अगर विपक्षी पार्टियां कृषि कानूनों के कंटेंट पर चर्चा करतीं तो हमारे किसान भाई-बहनों के मन में गलतफहमी न होती. पीएम ने कहा कि हमारे देश के किसान भाई अफवाहों का शिकार हुए. इस बीच सदन में विपक्ष ने हंगामा शुरू कर दिया और पीएम मोदी चुप होकर थोड़ी देर के लिए बैठ गए.
पीएम के भाषण के दौरान कांग्रेस सांसदों ने हंगामा मचाते हुए लोक सभा से वॉकआउट किया. इसपर प्रधानमंत्री मोदी ने कहा कि कांग्रेस कंफ्यूज पार्टी है. उन्होंने कहा, 'संसद में ये हो-हल्ला, ये आवाज, ये रुकावटें डालने का प्रयास, एक सोची समझी रणनीति के तहत हो रहा है. रणनीति ये है कि जो झूठ, अफवाहें फैलाई गई हैं, उसका पर्दाफाश हो जाएगा. इसलिए हो-हल्ला मचाने का खेल चल रहा है.'
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पीएम ने कांग्रेस पर तंज कसते हुए लोक सभा में एक भोजपूरी कहावत का जिक्र किया. उन्होंने कहा एक कहावत है, 'न खेलब, न खेले देब, खेलिए बिगाड़ब'. पीएम मोदी ने किसान आंदोनल को पवित्र बताते हुए कहा कि कुछ आंदोलनजीवी हैं जो इस आंदोलन को बर्बाद कर रहे हैं. उन्होंने कहा कि देश आंदोलनकारी और आंदोलनजीवी के बीच फर्क को समझे. पीएम ने कहा कि किसान आंदोलन को मैं पवित्र मानता हूं. भारत के लोकतंत्र में आंदोलन का महत्व है, लेकिन जब आंदोलनजीवी पवित्र आंदोलन को अपने लाभ के लिए अपवित्र करने निकल पड़ते हैं तो क्या होता है?