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नई दिल्ली: प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी (Narendra Modi) लोक सभा में राष्ट्रपति के अभिभाषण के धन्यवाद प्रस्ताव पर जवाब देते हुए कहा, 'राष्ट्रपति का भाषण देश की संकल्प शक्ति का प्रतीक'. पीएम ने कहा, 'मैं इस चर्चा में भाग लेने वाले सभी सांसदों का आभार व्यक्त करता हूं. मैं विशेष रूप से हमारी महिला सांसदों का आभार व्यक्त करना चाहता हूं. उन्होंने कहा कि राष्ट्रपति का भाषण भारत के 130 करोड़ भारतीयों की संकल्प शक्ति को प्रदर्शित करता है. विकट और विपरीत काल में भी ये देश किस प्रकार से अपना रास्ता चुनता है, रास्ता तय करता है और रास्ते पर चलते हुए सफलता प्राप्त करता है, ये सारी बातें राष्ट्रपति जी ने अपने अभिभाषण में कही.
पीएम मोदी ने कहा कि आजादी के 57 वर्ष जल्द पूरे होने वाले हैं. इस मौके पर हमें नए संकल्प लेना है. प्रधानमंत्री ने कहा, 'देश जब आजाद हुआ, जो आखिरी ब्रिटिश कमांडर थे, वो आखिर तक यही कहते रहे कि भारत कई देशों का महाद्वीप है और कोई भी इसे एक राष्ट्र नहीं बना पाएगा. लेकिन भारतवासियों ने इस आशंका को तोड़ा. विश्व के लिए आज हम आशा की किरण बनकर खड़े हुए हैं. भारत आज एक मजबूत राष्ट्र बनकर खड़ा है.'
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पीएम ने कहा कि कुछ लोग ये कहते थे कि India was a miracle democracy. ये भ्रम भी हमने तोड़ा है. लोकतंत्र हमारी रगों और सांस में बुना हुआ है, हमारी हर सोच, हर पहल, हर प्रयास लोकतंत्र की भावना से भरा हुआ रहता है. उन्होंने कहा, आज जब हम भारत की बात करते हैं तो मैं स्वामी विवेकानंद (Swami Vivekananda) की बात का स्मरण करना चाहूंगा. 'हर राष्ट्र के पास एक संदेश होता है, जो उसे पहुंचाना होता है, हर राष्ट्र का एक मिशन होता है, जो उसे हासिल करना होता है, हर राष्ट्र की एक नियति होती है, जिसे वो प्राप्त करता है.'
पीएम ने कहा, 'हमारे लिए आवश्यक है कि हम आत्मनिर्भर भारत के विचार को बल दें. ये किसी शासन व्यवस्था या किसी राजनेता का विचार नहीं है. आज हिंदुस्तान के हर कोने में वोकल फॉर लोकल सुनाई दे रहा है. ये आत्मगौरव का भाव आत्मनिर्भर भारत के लिए बहुत काम आ रहा है.'
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पीएम ने कहा, 'हम कोरोना से जीत पाए, क्योंकि डॉक्टर्स, सफाई कर्मचारी, एम्बुलेंस का ड्राइवर ये सब भगवान के रूप में आए. हम उनकी जितनी प्रशंसा करें, जितना गौरवगान करेंगे, उससे हमारे भीतर भी नई आशा पैदा होगी.'
पीएम ने कहा, 'दुनिया के बहुत सारे देश कोरोना, लॉकडाउन, कर्फ्यू के कारण चाहते हुए भी अपने खजाने में पाउंड और डॉलर होने के बाद भी अपने लोगों तक नहीं पहुंचा पाए. लेकिन ये हिंदुस्तान है जो इस कोरोना कालखंड में भी करीब 75 करोड़ से अधिक भारतीयों को 8 महीने तक राशन पहुंचा सकता है.' उन्होंने कहा कि कोरोना कालखंड में जनधन खाते, आधार, ये सभी गरीब के काम आए. लेकिन कभी-कभी सोचते हैं कि आधार को रोकने के लिए कौन लोग सुप्रीम कोर्ट के दरवाजे में गए थे?
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पीएम ने कहा, 'इस कोरोना काल में 3 कृषि कानून भी लाये गए. ये कृषि सुधार का सिलसिला बहुत ही आवश्यक और महत्वपूर्ण है और बरसों से जो हमारा कृषि क्षेत्र चुनौतियां महसूस कर रहा है, उसको बाहर लाने के लिए हमें निरंतर प्रयास करना ही होगा और हमने एक ईमानदारी से प्रयास किया भी है. हम मानते हैं कि इसमें सही में कोई कमी हो, किसानों का कोई नुकसान हो, तो बदलाव करने में क्या जाता है. ये देश देशवासियों का है. हम किसानों के लिए निर्णय करते हैं, अगर कोई ऐसी बात बताते हैं जो उचित हो, तो हमें कोई संकोच नहीं है.'
पीएम ने कहा कि कृषि कानूनों के कंटेंट पर चर्चा करने की बजाय हमारी विपक्षी पार्टियों ने कृषि कानूनों के रंग पर चर्चा किया. उन्होंने कहा कि अगर विपक्षी पार्टियां कृषि कानूनों के कंटेंट पर चर्चा करतीं तो हमारे किसान भाई-बहनों के मन में गलतफहमी न होती. पीएम ने कहा कि हमारे देश के किसान भाई अफवाहों का शिकार हुए. इस बीच सदन में विपक्ष ने हंगामा शुरू कर दिया और पीएम मोदी चुप होकर थोड़ी देर के लिए बैठ गए.
पीएम ने कहा कि आंदोलन कर रहे सभी किसान भाइयों का ये सदन और सरकार आदर करते हैं. सरकार के वरिष्ठ मंत्री लगातार किसानों से बातचीत कर रहे हैं. पीएम के भाषण के दौरान विपक्ष ने कृषि कानून वापस लो के नारे लगाए. इस दौरान कांग्रेस नेता अधीर रंजन चौधरी को पीएम ने फटकार लगाते हुए कहा, ' अधीर जी अब ज्यादा हो रहा है.
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प्रधानमंत्री ने कहा कि कानून लागू होने के बाद न देश में कोई मंडी बंद हुई, न एमएसपी बंद हुआ. ये सच्चाई है. इतना ही नहीं ये कानून बनने के बाद एमएसपी की खरीद भी बढ़ी है. उन्होंने कहा आंदोलनजीवी इसी तरह अफवाहें फैला रहे हैं. पीएम ने कहा कि मैं हैरान हूं कि पहली बार सदन में ऐसा तर्क आया कि हमने मांगा नहीं तो आपने दिया क्यों. उन्होंने कहा कि ये कानून किसी के ऊपर थोपे नहीं गए. जिसे चाहिए वो लें नहीं चाहिए तो न लें.
पीएम मोदी ने कहा कि प्रगतिशील समाज और बदलाव के लिए कई कानून आवश्यक होते हैं. अब मांगने की परंपरा खत्म हो चुकी है. दहेज हो या तीन तलाक, किसी ने इसके लिए कानून बनाने की मांग नहीं की थी, लेकिन प्रगतिशील समाज के लिए आवश्यक होने के कारण कानून बनाया गया. इस बीच कांग्रेस सांसदों ने हंगामा मचाते हुए लोक सभा से वॉकआउट किया. प्रधानमंत्री मोदी ने कहा कि कांग्रेस कंफ्यूज पार्टी है. उन्होंने कहा, 'संसद में ये हो-हल्ला, ये आवाज, ये रुकावटें डालने का प्रयास, एक सोची समझी रणनीति के तहत हो रहा है. रणनीति ये है कि जो झूठ, अफवाहें फैलाई गई हैं, उसका पर्दाफाश हो जाएगा. इसलिए हो-हल्ला मचाने का खेल चल रहा है.'
प्रधानमंत्री ने कहा कि कानून बनने के बाद किसी भी किसान से मैं पूछना चाहता हूं कि पहले जो हक और व्यवस्थाएं उनके पास थी, उनमें से कुछ भी इस नए कानून ने छीन लिया है क्या? इसका जवाब कोई देता नहीं है, क्योंकि सबकुछ वैसा का वैसा ही है.
प्रधानमंत्री ने कहा कि हमारे यहां एग्रीकल्चर समाज के कल्चर का हिस्सा रहा है. हमारे पर्व, त्योहार सब चीजें फसल बोने और काटने के साथ जुड़ी रही हैं. किसानों की परेशानियों को कम करना और कृषि क्षेत्र को आत्मनिर्भर बनाना जरूरी. हमारा किसान आत्मनिर्भर बने, उसे अपनी उपज बेचने की आजादी मिले, उस दिशा में काम करने की आवश्यकता है.
पीएम ने कहा कि किसान रेल से देश के किसानों को बड़ा बाजार मिला. किसान रेल एक चलता फिरता कोल्ड स्टोरेज है. E-NAM से गांव का किसान फसल बेच रहा. उन्होंने कहा कि अन्नदाता समृद्ध हों ये हम सबकी जिम्मेदारी है.
पीएम ने कांग्रेस पर तंज कसते हुए लोक सभा में एक भोजपूरी कहावत का जिक्र किया. उन्होंने कहा एक कहावत है, 'न खेलब, न खेले देब, खेलिए बिगाड़ब'. पीएम मोदी ने किसान आंदोनल को पवित्र बताते हुए कहा कि कुछ आंदोलनजीवी हैं जो इस आंदोलन को बर्बाद कर रहे हैं. उन्होंने कहा कि देश आंदोलनकारी और आंदोलनजीवी के बीच फर्क को समझे. पीएम ने कहा कि किसान आंदोलन को मैं पवित्र मानता हूं. भारत के लोकतंत्र में आंदोलन का महत्व है, लेकिन जब आंदोलनजीवी पवित्र आंदोलन को अपने लाभ के लिए अपवित्र करने निकल पड़ते हैं तो क्या होता है?
पीएम ने कहा कृषि के अंदर जितना निवेश बढ़ेगा, उतना ही रोजगार के अवसर भी बढ़ेंगे. हमने कोरोना काल में किसान रेल का प्रयोग किया है. यह ट्रेन चलता-फिरता एक कोल्ड स्टोरेज है. दूसरा महत्वपूर्ण काम जो हमने किया है वो यही 10,000 FPOs बनाने का. ये छोटे किसानों के लिए एक बहुत बड़ी ताकत के रूप में उभरने वाले हैं. महाराष्ट्र में FPOs बनाने का विशेष प्रयोग हुआ है. केरल में भी कम्युनिस्ट पार्टी के लोग काफी मात्रा में FPO बनाने के काम में लगे हुए हैं. ये 10,000 FPOs बनने के बाद छोटे किसान ताकतवर बनेंगे, ये मेरा विश्वास है.
प्रधानमंत्री ने सरदार पटेल को याद करते हुए सदन में कहा, सरदार पटेल कहते थे कि- 'स्वतंत्रता प्राप्ति के बाद भी यदि परतंत्रता की दुर्गंध आती रहे, तो स्वतंत्रता की सुगंध नहीं फैल सकती.' जब तक हमारे छोटे किसानों को नए अधिकार नहीं मिलते तब तक पूर्ण आजादी की उनकी बात अधूरी रहेगी.
पीएम ने कहा, 'देश के लिए पब्लिक सेक्टर जरूरी है तो प्राइवेट सेक्टर का योगदान भी जरूरी है. आज मानवता के काम देश आ रहा है तो इसमें प्राइवेट सेक्टर का भी बहुत बड़ा योगदान है. देश का सामर्थ्य बढ़ाने में सभी का सामूहिक योगदान है. जब सभी देशवासियों का पसीना लगता है, तभी देश आगे बढ़ता है.'
प्रधानमंत्री ने सदन में अपने भाषण के अंत में कहा, 'मैं किसान भाइयों से आग्रह करता हूं कि आइए टेबल पर बैठकर बात करें.
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