ये बैठक केंद्र द्वारा साल 2019 में जम्मू-कश्मीर (J&K) के विशेष दर्जे को निरस्त करने और इसे 2 केंद्र शासित प्रदेशों में विभाजन करने की घोषणा के बाद से इस तरह की पहली कवायद होगी. इस बैठक में केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह (Amit Shah) के भाग लेने की संभावना है.
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नई दिल्ली: केंद्र शासित प्रदेश जम्मू-कश्मीर (Jammu-Kashmir) में विधानसभा चुनाव कराने सहित राजनीतिक प्रक्रियाओं को मजबूत करने की केंद्र की पहल के तहत प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी (PM Narendra Modi) 24 जून को सूबे के सभी प्रमुख राजनीतिक दलों के साथ बैठक की अध्यक्षता कर सकते हैं. अधिकारियों ने शुक्रवार को यहां यह जानकारी दी.
यह बैठक केंद्र द्वारा साल 2019 में जम्मू-कश्मीर के विशेष दर्जे को निरस्त करने और इसे 2 केंद्र शासित प्रदेशों में विभाजन करने की घोषणा के बाद से इस तरह की पहली कवायद होगी. इस बैठक में केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह और अन्य केंद्रीय नेताओं के भाग लेने की संभावना है.
अधिकारियों ने बताया कि केंद्रीय नेतृत्व ने नेशनल कॉन्फ्रेंस (NC) के प्रमुख फारूक अब्दुल्ला, पीडीपी अध्यक्ष महबूबा मुफ्ती (Mehbooba Mufti), जम्मू-कश्मीर अपनी पार्टी (JKAP) के अल्ताफ बुखारी और पीपुल्स कॉन्फ्रेंस के प्रमुख सज्जाद लोन को चर्चा के लिए आमंत्रित करने की प्रक्रिया शुरू कर दी है.
महबूबा मुफ्ती ने शुक्रवार रात कहा कि उन्हें केंद्र से 24 जून को बैठक के लिए फोन आया था. उन्होंने कहा, ‘मैंने अभी फैसला नहीं किया है. मैं अपनी पार्टी के सदस्यों से चर्चा करके अंतिम फैसला लूंगी.’ अब्दुल्ला और महबूबा दोनों तत्कालीन जम्मू कश्मीर राज्य के मुख्यमंत्री के रूप में कार्य कर चुके हैं.
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केंद्र के साथ बातचीत की संभावना के बारे में पूछे जाने पर, माकपा नेता और पीपुल्स अलायंस फॉर गुपकर डिक्लेरेशन (PADG) के प्रवक्ता एम वाई तारिगामी ने कहा कि नयी दिल्ली से कोई संदेश नहीं आया है, लेकिन अगर ऐसा होता है, तो इसका स्वागत किया जाएगा.
तारिगामी ने कहा, ‘हमने केंद्र के साथ सार्थक जुड़ाव के लिए अपने दरवाजे कभी बंद नहीं किए हैं. हालांकि मुझे किसी बातचीत के बारे में कोई जानकारी नहीं है, अगर ऐसा होता है, तो इसका स्वागत किया जाएगा.’ PADG जम्मू कश्मीर में कुछ पार्टियों का गठबंधन है, जिसमें नेशनल कान्फ्रेंस और पीडीपी शामिल हैं, जिसे केंद्र के अगस्त 2019 के फैसलों के बाद बनाया गया था.
जेकेएपी (JKAP) के अध्यक्ष बुखारी ने कहा, ‘मैं इस कवायद का स्वागत करता हूं. यह मार्च 2020 की हमारी स्थिति की पुष्टि करता है तब हमने साफ किया था कि जम्मू कश्मीर के लिए लोकतंत्र और राज्य का दर्जा बहाल करने के लिए संवाद ही एकमात्र रास्ता है. देर आये दुरुस्त आये क्योंकि हमारी समस्याओं का समाधान दिल्ली के पास ही है.’
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अधिकारियों ने कहा कि न्यायमूर्ति (सेवानिवृत्त) आर देसाई के नेतृत्व में परिसीमन आयोग, जिसे संसद में जम्मू-कश्मीर पुनर्गठन विधेयक के पारित होने के तुरंत बाद गठित किया गया था, के अपने काम में तेजी लाने और अपनी रिपोर्ट प्रस्तुत करने की संभावना है. आयोग का गठन फरवरी 2020 में किया गया था और इसे इसी साल मार्च में एक साल का विस्तार दिया गया था. गौरतलब है कि किसी भी राज्य में परिसीमन का सीधा असर संबंधित क्षेत्रों की चुनाव प्रकिया पर पड़ता है.
पिछले साल जिला विकास परिषद के चुनाव में, पीएजीडी ने भाजपा और उसके सहयोगियों से आगे बढ़कर 280 में से 110 सीटों पर जीत हासिल की थी और नेशनल कांफ्रेंस गठबंधन के भीतर 67 सीटों के साथ मजबूत हुई थी. भाजपा 75 सीटों के साथ सबसे बड़ी पार्टी थी.
(एजेंसी इनपुट के साथ)
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