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नई दिल्ली: प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी (PM Narendra Modi) बुधवार (9 सितंबर) को वीडियो कॉन्फ्रेंसिंग के माध्यम से पांच देशों के समूह BRICS (ब्रिक्स- ब्राजील, रूस, चीन, भारत और दक्षिण अफ्रीका) के सालाना शिखर सम्मेलन (BRICS Summit) की अध्यक्षता करेंगे. विदेश मंत्रालय के मुताबिक बैठक में रूस के राष्ट्रपति व्लादिमीर पुतिन, चीन के राष्ट्रपति शी जिनपिंग, दक्षिण अफ्रीका के राष्ट्रपति सिरिल रामफोसा और ब्राजील के राष्ट्रपति जेयर बोल्सोनारो भी शामिल होंगें.
ब्रिक्स में वैसे तो आज जलवायु परिवर्तन समेत कई बड़े मुद्दों पर चर्चा होगी. लेकिन सबसे ज्यादा जोर अफगानिस्तान के ताजा हालात पर रहेगा. विदेश मंत्रालय के मुताबिक भारत ने अपनी अध्यक्षता के लिए प्राथमिकता वाले क्षेत्रों की रूपरेखा तैयार की है. जिसमें आतंकवाद से मुकाबला सबसे प्रमुख है. साथ ही कोरोना महामारी के प्रभाव पर भी चर्चा होगी.
ये दूसरा मौका है जब प्रधानमंत्री मोदी ब्रिक्स सम्मेलन की अध्यक्षता करेंगे. इससे पहले 2016 में पीएम मोदी ने गोवा में सम्मेलन की अध्यक्षता की थी.
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ब्रिक्स सम्मेलन में चीन अफगानिस्तान के मुद्दे पर अलग-थलग पड़ सकता है. क्योंकि ये सभी को मालूम है कि आतंक के खिलाफ भारत-रूस एकजुट हैं, जबकि चीन लगातार तालिबान का समर्थन कर रहा है. आतंक के खिलाफ बुधवार को भारत और रूस के NSA ने हाईलेवल मीटिंग की थी. जबकि बुधवार को ही चीन ने तालिबान को आर्थिक मदद पहुंचाई. भारत ने रूस से अफगानिस्तान में मौजूद पाकिस्तानी आतंकी संगठनों को लेकर चिंता जताई, जिससे रूस सहमत दिखा, तो वहीं चीन ने बाकायदा तालिबान के प्रतिनिधियों को बीजिंग बुलाकर मुलाकात की थी. तालिबान पर भारत और रूस सावधानी से कदम बढा रहे हैं तो वहीं, चीन तालिबान को मान्यता देने के पक्ष में खड़ा है ऐसे में अगर ब्रिक्स में मोदी और पुतिन अफगानिस्तान और आतंकवाद पर बात करेंगे तो मानकर चलिए कि आतंक के मददगार चीन को तीखी मिर्च लग सकती है.