MP News: कौन हैं ये स्वामी जिन्हें हाथ पकड़कर PM मोदी ने कुर्सी पर बैठाया, गले लगकर लिया आशीर्वाद, देखें Video
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MP News: कौन हैं ये स्वामी जिन्हें हाथ पकड़कर PM मोदी ने कुर्सी पर बैठाया, गले लगकर लिया आशीर्वाद, देखें Video

PM Modi Chitrakoot visit: पीएम मोदी आज अपने मध्यप्रदेश के दौरे पर चित्रकूट पहुंचें. पीएम ने चित्रकूट स्थित तुलसी पीठ में जगद्गुरु रामभद्राचार्य का आशीर्वाद लिया. इस दौरान एक संत के प्रति उनका समर्पण देखते ही बन रहा था.

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PM Modi Meets Jagadguru Ramanandacharya: मध्यप्रदेश के चित्रकूट में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने तुलसी पीठ के जगद्गुरु रामभद्राचार्य से मुलाकात की और उनसे आशीर्वाद लिया. प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी उनकी तीन पुस्तकों का विमोचन करने पहुंचे थे. इस भेंट में पीएम मोदी की एक संत के साथ अद्भुत आत्मीयता और बॉन्डिंग देने को मिली. पीएम मोदी ने उनकी तीन पुस्तकों - 'अष्टाध्यायी भाष्य', 'रामानंदाचार्य चरितम्' और 'भगवान श्री कृष्ण की राष्ट्रलीला' का विमोचन किया. इस दौरान जगद्गुरु रामभद्राचार्य ने कहा कि प्रधानमंत्री ने देश का कायाकल्प कर दिया और पीएम मेरे मित्र हैं. 

सांसारिक जीवन में मेरे दो मित्र: जगद्गुरु रामभद्राचार्य

पीएम मोदी संतों के लगातार संपर्क में रहते हैं. चित्रकूट की पवित्र धरती की बात करें तो आज जगद्गुरु रामभद्राचार्य से आशीर्वाद लेने के बाद पीएम मोदी के मुंह से निकला पहला शब्द 'नमो राघवाये' रहा. इस दौरान जगद्गुरु रामभद्राचार्य ने पीएम मोदी को गले लगाया. पीएम से मुलाकात के बाद रामभद्राचार्य ने कहा कि सांसारिक जीवन में मेरे 2 मित्र हैं. एक नरेंद्र मोदी हैं. यह कोई चाटुकारिता नहीं है और अलौकिक मित्र श्री कृष्ण हैं. उन्होंने आगे कहा, ‘नरेंद्र मोदी जी ने देश की काया बदल दी. कौन कल्पना कर सकता था कि चंद्रयान-3 चांद के दक्षिणी ध्रुव पर पहुंच जाएगा.’

'रामचरित मानस हो राष्ट्र ग्रंथ'

अपनी पुस्तकों के विमोचन पर संत शिरोमणि ने ये भी कहा, 'मुझे अब आंख नहीं चाहिए. लेकिन मुझे भारत में बार-बार जन्म चाहिए. मैंने अब तक 230 पुस्तकें लिखी हैं, जिसमें से पीएम मोदी 3 का लोकार्पण करने जा रहे हैं. देश सही राह पर है. रामचरित मानस को ही राष्ट्र ग्रन्थ होना चाहिए.'

स्वामी जी के संकल्प पूरे हो रहे हैं: PM Modi

इस दौरान पीएम मोदी ने कहा, 'स्वामी जी ने देख के लिए जो संकल्प लिए थे वो अब पूरे हो रहे हैं, मां गंगा की धारा निर्मल हो रही है. अदालत से लेकर अदालत के बाहर तक आने जो राम मंदिर के लिए जो योगदान दिया है वो सभी जानते है दो दिन पहले ही राम मंदिर की प्राण प्रतिष्ठा के लिए आमंत्रण मिला है. इसको मैं अपना सौभाग्य मानता हूं देश विकास और विरासत को साथ लेकर चल रहा है. चित्रकूट को भी हमने विकसित किया है. ये नई ऊंचाइयों पर पहुंचे यही हमारी कामना है.'

तुलसी पीठाधीश्वर जगतगुरू रामभद्राचार्यजी को जानिए

जगद्गुरु स्वामी रामभद्राचार्य महाराज पद्म विभूषण से सम्मानित हैं. वो मानस मर्मज्ञ हैं. भगवान श्रीराम में उनकी अटूट आस्था है. उनके भक्तों का कहना है कि उन्हें श्री हनुमान जी महाराज का साक्षात्कार हो चुका है. वो राम कथा बड़े अद्भुत अंदाज में सुनाते हैं. रामभद्राचार्य जी तुलसी पीठ नामक धार्मिक और सामाजिक सेवा संस्थान के संस्थापक और अध्यक्ष हैं. वे चित्रकूट स्थित जगद्गुरु रामभद्राचार्य विकलांग विश्वविद्यालय के संस्थापक और आजीवन कुलाधिपति हैं. ये विश्वविद्यालय केवल चतुर्विध विकलांग विद्यार्थियों को स्नातक तथा स्नातकोत्तर पाठ्यक्रम और डिग्री प्रदान करता है. जगद्गुरु रामभद्राचार्य दो मास की आयु में नेत्र की ज्योति से रहित हो गए थे और तभी से प्रज्ञाचक्षु हैं. उन्होंने पढ़ाई लिखाई के लिए कभी ब्रेल लिपि का प्रयोग नहीं किया. 

रामभद्राचार्य जी कई भाषाओं के जानकार हैं. वे क्षण भर में कई भाषाओं में ईश्वरीय रचना के उदाहरण प्रस्तुत कर सकते हैं. वे संस्कृत, हिंदी, अवधी, मैथिली सहित कई भाषाओं में कई पुस्तकों और ग्रंथों की रचना कर चुके हैं. जिनमें चार महाकाव्य (दो संस्कृत और दो हिन्दी में), रामचरितमानस पर हिंदी टीका, अष्टाध्यायी पर काव्यात्मक संस्कृत टीका और प्रस्थानत्रयी (ब्रह्मसूत्र, भगवद्गीता और प्रधान उपनिषदों) पर संस्कृत भाष्य सम्मिलित हैं. उन्हें श्रीरामचरितमानस के रचयिता तुलसीदास जी पर भारत के सर्वश्रेष्ठ विशेषज्ञों में गिना जाता है. वे रामचरितमानस की एक प्रामाणिक प्रति के संपादक हैं. जिसका प्रकाशन तुलसी पीठ ने किया गया है. स्वामी रामभद्राचार्य रामायण और भागवत के प्रसिद्ध कथाकार हैं. देश के कई शहरों और विदेशों में भी नियमित रूप से उनकी कथा आयोजित होती रहती है.

पूरब से पश्चिम और उत्तर से दक्षिण तक पीएम मोदी के ऊपर कई संतों का आशीर्वाद है. पीएम मोदी के अभी तक के राजनीतिक जीवन में मिली कामयाबियों को लोग उनकी आध्यात्मिक ऊर्जा और ईश्वर की कृपा और संतों की कृपा का परिणाम बताते हैं.

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