खराब मौसम के बावजूद सीमावर्ती इलाकों में तैनात जवान कर सकेंगे बेहतर कम्युनिकेशन
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खराब मौसम के बावजूद सीमावर्ती इलाकों में तैनात जवान कर सकेंगे बेहतर कम्युनिकेशन

देश के दूर सीमावर्ती इलाकों में तैनात जवानों को आए दिन कम्युनिकेशन की समस्या से जूझना पड़ता है. कई बार खराब मौसम के चलते भी ये समस्या काफी जटिल हो जाती है.

खराब मौसम के बावजूद सीमावर्ती इलाकों में तैनात जवान कर सकेंगे बेहतर कम्युनिकेशन

 नई दिल्‍ली: देश के दूर सीमावर्ती इलाकों में तैनात जवानों को आए दिन कम्युनिकेशन की समस्या से जूझना पड़ता है. कई बार खराब मौसम के चलते भी ये समस्या काफी जटिल हो जाती है. लेकिन अब इन जवानों के लिए 'POLNET' नाम से नई तकनीक लॉन्च हुई है. Directorate of Coordination Police Wireless (DCPW) के POLNET 2.0 की शुरुआत से देश में पुलिस संगठनों और अर्धसैनिक बलों की संचार व्यवस्था मजबूत होगी. साथ ही आपदा में भी मिलेगी हर कोने तक संचार की सुविधा. पोलनेट 2.0 एक ऐसी संचार सुविधा है जो भारत में पहली बार पुलिस और आपदा प्रबंधन संस्थानों के लिए प्रारंभ की जा रही है. गृह राज्य मंत्री नित्यानंद राय ने इसका उद्घाटन विज्ञान भवन में किया.  

इससे देश के किसी भी कोने से दूसरे छोर पर एक समय में 3 और लोगों के साथ वीडियो कांफ्रेंसिंग कर सकते हैं और डाटा भेज सकते हैं. इंटरनेट और कॉल और विडियो मल्टीमीडिया से लैस इस तकनीकी में भविष्य में पीएसटी एन कनेक्ट प्रस्तावित है जिससे सीमा पर जवान अपने परिवारों से उनके मोबाइल या टेलीफोन से भी संपर्क में रह पाएंगे.

इसके माध्‍यम से एक समय में देश के विभिन्न हिस्सों में स्थित 40 लोगों के साथ वीडियो कांफ्रेंसिंग करने की सुविधा दिल्ली में उपलब्ध होगी. POLNET 2.0 में ज्यादा प्रभावी और उन्नत प्रकार के C Band में सैटेलाइट द्वारा Communication होता है और किसी भी मौसम में यह काम करता रहेगा.  

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इसमें इसरो के उपग्रह का प्रयोग होता है और इसके लिए एक 36 MHz का ट्रांसपोंडर DCPW के पास है. यह अब तक देश के सभी राज्यों की राजधानियों में स्थित अंतर राज्य पुलिस बेतार स्टेशनों और सभी राज्यों के डीजीपी कार्यालयों में स्थापित किया जा चुका है.

सूत्रों के मुताबिक अगले दो सालों में देश के 3000 विभिन्न केंद्रों पर यह POLNET 2.0 संचार तंत्र स्थापित हो जायेगा और इससे आतंरिक सुरक्षा और आपदा प्रबंधन कार्यों में बहुत सहायता मिलेगी.

अगर देश के किसी सुदूर इलाके में आपदा आई हो और सभी संचार के माध्यम बंद हों, तो ऐसी परिस्थिति में POLNET 2.0 बहुत कारगर सिद्ध होगा और इससे उन्नत तकनीकी और C Band के माध्यम से दिल्‍ली समेत और 3 लोगों के साथ सामान्य रूप से वीडिओ कांफ्रेंसिंग  हो पायेगी और हालात की जानकारी दी जा सकेगी.

ऐसी सुविधा से निश्चित तौर पर जमीनी वास्तविकता की सटीक जानकारी तुरंत मिल सकेगी और ज्यादा से ज्यादा लोगों को बचाया जा सकेगा. साथ ही, इसमें ऐसी व्यवस्था है कि इसके Flyaway Terminals द्वारा किसी भी परिस्थिति और स्थान पर आधे घंटे में वीडियो कांफ्रेंसिग समेत इस नेटवर्क को स्थापित किया जा सकता है और सूचनाएं भेजी जा सकती हैं. इससे किसी भी आपदा में प्रभावित लोगों तक तुरंत मदद पहुंचाने में संचार की ठोस भूमिका को और बेहतर किया जा सकेगा.

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