शरीर त्यागने से पहले अपनी पत्नी शिवरानी देवी से क्षमायाचना करते हुए प्रेमचंद ने कहा कि वो ईमानदारी के साथ मरना चाहते हैं और उन्होंने अपनी एक प्रेमिका होने की बात स्वीकार की.
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नई दिल्ली: प्रेमचंद अपने अंतिम दिनों में बहुत बीमार थे. शरीर त्यागने से पहले अपनी पत्नी शिवरानी देवी से क्षमायाचना करते हुए प्रेमचंद ने कहा कि वो ईमानदारी के साथ मरना चाहते हैं और उन्होंने अपनी एक प्रेमिका होने की बात स्वीकार की. इस बात का जिक्र शिवरानी देवी ने अपनी किताब 'प्रेमचंद घर में' में किया है. किताब के वो अंश इस तरह हैं -
आप (प्रेमचंद) बोले- अच्छा मेरी एक और चोरी सुनो. मैंने अपनी पहली स्त्री के जीवन-काल में ही एक और स्त्री रख छोड़ी थी. तुम्हारे आने पर भी उससे मेरा संबंध था.
मैं बोली - मुझे मालूम है.
यह सुनकर वे मेरी ओर देखने लगे. उस देखने के भाव से ऐसा मालूम होता था जैसे वे मेरे मुंह को पढ़ लेना चाहते हों. मैंने उनको अपनी तरफ देखते देखकर निगाह नीची कर ली. बड़ी देर तक वे गंभीर होकर मेरे चेहरे की ओर देखते रहे. मैं शर्म से सिर झुकाए थी. बार-बार मेरे दिल के अंदर ख्याल हो रहा था कि इन बीती बातों के कहने का रहस्य क्या है?
कुछ देर बाद प्रेमचंद बोले- तुम मुझसे बड़ी हो.
मैं बोली - आज आपको हो क्या गया है?
तब प्रेमचंद हंसते हुए बोले - तुम हृदय से सचमुच मुझसे बड़ी हो. इतने दिन मेरे साथ रहते हुए भी तुमने भूलकर भी जिक्र नहीं किया.
यह सुनकर मैंने उनका मुंह बंद कर कहा - मैं इसे नहीं सुनना चाहती.
अमृत राय की खोज
साहित्यकार और आलोचक अब्दुल बिस्मिल्लाह बताते हैं कि प्रेमचंद के बेटे अमृत राय अपने पिता को कभी कभी 'कम्बख्त प्रेमचंद' कहते थे. नई दिल्ली में एक सभा में अमृत राय ने कहा, 'जब मुझे पता चला कि कम्बख्त प्रेमचंद का कोई प्रेम प्रसंग भी था मैंने सोचा कि खोजूं. 'जब उन्होंने खोजबीन शुरू की तो पता चला कि मिर्जापुर जिले में चुनार के पास किसी गांव की लड़की थी. अमृत राय उस गांव में पहुंच गए. वहां पता चला कि उस लड़की की तो जबलपुर में शादी हो गई है. उन्होंने नाम पता लिया और पहुंच गए जबलपुर.
अमृत राय बताते हैं, 'मैंने कुंडी खटखटाई. इस बीच दो तीन सवाल मेरे मन में थे - कैसे पिता जी से संपर्क हुआ. किस तरह के संबंध थे. कैसे मिलते जुलते थे. जब दरवाजा खुला तो मैं एक ऐसी औरत के सामने था, जिसके एक भी दांत नहीं थे. मेरे होश फाख्ता हो गए. एक भी सवाल करने की हिम्मत नहीं हुई.' उन्होंने पूछा कि बेटा कैसे आए हो. अमृत राय ने कहा कि कुछ नहीं माता जी बस आपके दर्शन करने आया था और इतना कहकर वो लौट आए.