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नई दिल्लीः पंजाब कांग्रेस में लंबे वक्त से सीएम के चेहरे को लेकर चली आ रही तनातनी पर अब विराम लग गया है. राहुल गांधी ने चरणजीत सिंह चन्नी के नाम को सीएम के चेहरे के तौर पर आगे बढ़ाया है. सूत्रों के मुताबिक राहुल की इस घोषणा के बाद कांग्रेस में अंदरखाने नए विवाद ने जन्म ले लिया है.
पंजाब कांग्रेस में विधान सभा चुनाव के वक्त सीएम कुर्सी की जंग हर बार तेज हो जाती है. ऐसा पहली बार नहीं बल्कि कई बार देखने को मिला है. हालांकि, नवजोत सिद्धू और चरणजीत चन्नी के बीच ऐसा घमासान पहली बार देखा जा रहा है. जिससे कांग्रेस की छवि को भी झटका लगता दिखाई दे रहा है.
#WATCH | I have accepted Rahul Gandhi's decision...if I am given decision-making power, I will finish the mafia, improve people's lives. If not given power, I will walk with a smile with whomever you make CM: Punjab Congress president Navjot Singh Sidhu in Ludhiana pic.twitter.com/pS71BUBkhW
— ANI (@ANI) February 6, 2022
2002 : कैप्टन अमरिंदर सिंह सी एम की कुर्सी के सबसे बड़े दावेदार थे क्योंकि वह पंजाब कांग्रेस के प्रधान भी थे. उनके अलावा पूर्व सी एम राजिंदर कौर भट्ठल, प्रताप सिंह बाजवा, शमशेर दूलो इस कुर्सी पर दावा ठोक रहे थे. अंत में कैप्टन सी एम बने.
2007 : कैप्टन अमरिंदर सिंह के साथ प्रताप बाजवा और राजिंदर कौर भट्ठल दौड़ में थे. इस चुनाव में कांग्रेस हार गई. पंजाब में शिअद-भाजपा गठबंधन की सरकार बन गई.
2012 : कैप्टन अमरिंदर सिंह के साथ राजिंदर कौर भट्ठल, प्रताप बाजवा सी एम बनने की दौड़ में थी. तभी मनप्रीत बादल ने अकाली दल छोड़ पीपल पार्टी ऑफ पंजाब (पी पी पी) बना ली. इससे ऐसा समीकरण बिगड़ा कि कांग्रेस पिछड़ गई और शिअद-भाजपा फिर सत्ता में आ गई.
2017 : कैप्टन अमरिंदर सिंह की अगुआई में चुनाव लड़ा गया. चुनाव रणनीतिकार प्रशांत किशोर ने प्रचार का जिम्मा संभाला. पूरा प्रचार कैप्टन के ईर्द-गिर्द ही रहा. कांग्रेस सरकार बनाने में कामयाब रही.
राहुल गांधी द्वारा चरणजीत सिंह चन्नी को मुख्यमंत्री का चेहरा बनाए जाने के बाद कांग्रेस अब सीधे अपने विपक्षियों को टक्कर देने के लिए मैदान में उतरेगी. ऐसे में यह देखना काफी दिलचस्प होगा कि एस सी कार्ड खेलकर चन्नी को मुख्यमंत्री का चेहरा घोषित करने के बाद कांग्रेस कितनी कामयाब होती है.
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