'युद्ध के दौरान आप सैनिकों को नाराज मत कीजिए, थोड़ा पैसे का इंतजाम कीजिए'
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'युद्ध के दौरान आप सैनिकों को नाराज मत कीजिए, थोड़ा पैसे का इंतजाम कीजिए'

सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि कोरोना वायरस जैसी वैश्विक महामारी के खिलाफ अपनी जान जोखिम में डालकर हमारे कोरोना वॉरियर्स यानी डॉक्टर लड़ रहे हैं.

प्रतीकात्मक फोटो

नई दिल्ली: कोरोना वायरस (Coronavirus) से संक्रमित मरीजों के इलाज में जुटे डॉक्टरों को हॉस्पिटल के नजदीक बेहतर क्वारंटाइन की सुविधा देने की मांग वाली याचिका पर सुप्रीम कोर्ट (Supreme Court) में शुक्रवार को सुनवाई हुई. सुनवाई के दौरान सुप्रीम कोर्ट ने कहा सरकार इन डॉक्टरों की मांग पर फैसला करे. सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि कोरोना वायरस जैसी वैश्विक महामारी के खिलाफ अपनी जान जोखिम में डालकर हमारे कोरोना वॉरियर्स यानी डॉक्टर लड़ रहे हैं. ऐसे में कोई नहीं चाहेगा कि वो असंतुष्ट रहें. उनके लिए बेहतर व्यवस्था होनी चाहिए. याचिकाकर्ता को सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि वो आज ही सरकार को अपने सुझाव भेज दें और सरकार भी इस पर फैसला करे. इस मामले पर अगली सुनवाई 17 जून को होगी.

कोविड-19 महामारी के खिलाफ जंग लड़ रहे चिकित्सकों को वेतन का भुगतान नहीं करने और उनके रहने की समुचित व्यवस्था नहीं होने पर कड़ा रुख अपनाते हुए सुप्रीम कोर्ट ने शुक्रवार को कहा, ‘‘युद्ध के दौरान आप सैनिकों को नाराज मत कीजिए. थोड़ा आगे बढ़कर उनकी शिकायतों के समाधान के लिये कुछ अतिरिक्त धन का बंदोबस्त कीजिये.’’ कोर्ट ने कहा कि स्वास्थ्यकर्मियों के वेतन का भुगतान नहीं होने जैसे मामलों में अदालतों को शामिल नहीं करना चाहिए और सरकार को ही इसे हल करना चाहिए.

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न्यायमूर्ति अशोक भूषण, न्यायमूर्ति संजय किशन कौल और न्यायमूर्ति एम आर शाह की पीठ ने वीडियो कांफ्रेन्सिंग के जरिये डाकटरों की समस्याओं को लेकर दायर याचिका पर सुनवाई के दौरान यह टिप्पणी की. पीठ ने कहा कि इस तरह की खबरें आ रही हैं कि कई क्षेत्रों में चिकित्सकों को वेतन नहीं दिया जा रहा है.

पीठ ने कहा, ‘‘हमने ऐसी खबरें देखीं हैं कि डाक्टर हड़ताल पर हैं. दिल्ली में कुछ डाक्टरों को पिछले तीन महीने से वेतन नहीं दिया गया है. इसका ध्यान रखा जाना चाहिए था और इसमें न्यायालय के हस्तक्षेप की जरूरत नहीं होनी चाहिए.’’

कोर्ट इस संबंध में एक डाक्टर की याचिका पर सुनवाई कर रहा था. इस याचिका में आरोप लगाया गया था कि कोविड-19 के खिलाफ जंग में पहली कतार के योद्धाओं को वेतन नहीं दिया जा रहा या फिर वेतन में कटौती की जा रही है अथवा इसके भुगतान में विलंब किया जा रहा है. इस चिकित्सक ने 14 दिन के पृथकवास की अनिवार्यता खत्म करने संबंधी केंद्र के नए दिशानिर्देश पर भी सवाल उठाये थे.

पीठ ने कहा, ‘‘युद्ध में, आप सैनिकों को नाराज नहीं करते. थोड़ा आगे बढ़िये और शिकायतों के समाधान के लिये कुछ अतिरिक्त धन का बंदोबस्त कीजिये. कोरेाना महामारी के खिलाफ चल रहे इस तरह के युद्ध में देश सैनिकों की नाराजगी सहन नहीं कर सकता.’’

केन्द्र की ओर से सालिसीटर जनरल तुषार मेहता ने कहा कि अगर कुछ बेहतर सुझाव मिलेंगे तो उन्हें शामिल किया जायेगा. पीठ ने कहा कि आपको और अधिक करना होगा. आप सुनिश्चित कीजिये कि उनकी चिंताओं का समाधान हो. न्यायालय ने इस मामले को अगले सप्ताह के लिये सूचीबद्ध कर दिया है.

केन्द्र ने चार जून को न्यायालय से कहा था कि संक्रमित लोगों की लगातार बढ़ रही संख्या को देखते हुये निकट भविष्य में उनके लिये बड़ी संख्या में अस्थाई अस्पतालों का निर्माण करना होगा.

केंद्र ने यह भी दलील दी कि यद्यपि संक्रमण के रोकथाम और नियंत्रण की गतिविधियां लागू करने की जिम्मेदारी अस्पतालों की है लेकिन कोविड- 19 से खुद को बचाने की अंतिम रूप से जिम्मेदारी स्वास्थ्यकर्मियों की है. केंद्र ने यह भी कहा था कि 7/14 दिन की ड्यूटी के बाद स्वास्थ्यकर्मियों के लिये 14 दिन का पृथकवास अनावश्यक है और यह न्यायोचित नहीं है.

(इनपुट: एजेंसी भाषा के साथ)

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