जस्थान की भीलवाड़ा पुलिस लगातार अपनी कार्यप्रणाली के चलते किरकिरी झेल रही है और अब दमनकारी नीति पर उतर आई है. पुलिस ने मीडिया पर सेंसरशिप लगाने की शुरुआत भी की.
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Bhilwara: राजस्थान की भीलवाड़ा पुलिस लगातार अपनी कार्यप्रणाली के चलते किरकिरी झेल रही है और अब दमनकारी नीति पर उतर आई है. पुलिस ने मीडिया पर सेंसरशिप लगाने की शुरुआत भी की. तो वो भी उस मामले में जिसमें खुद महिला पुलिसकर्मी पीड़िता है. और आरोप से घिरे है अजमेर के कद्दावर और पूर्व बीजेपी नेता भंवर सिंह पलाड़ा. पूर्व भाजपा नेता पलड़ा पर भीलवाड़ा में ही कार्यरत महिला सब इंस्पेक्टर ने रेप का आरोप लगाया था. मामले को लेकर पलाड़ा भीलवाड़ा जिला पुलिस अधीक्षक के कार्यालय पहुंचे. जहां पर एसपी साहब के आदेश पर मुख्य द्वार पर ताला जड़ दिया गया. साथ ही मीडिया को कवरेज करने से भी रोक दिया गया.
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आपको बता दें कि भीलवाड़ा पुलिस महकमे में तैनात एक महिला पुलिसकर्मी ने अजमेर क्षेत्र के कद्दावर नेता और पूर्व भाजपा नेता भंवर सिंह पलाड़ा नागौर के तत्कालीन एसपी संजय गुप्ता समेत कुल 12 लोगों के खिलाफ संगीन धाराओं में मुकदमा भीलवाड़ा के प्रताप नगर थाने में दर्ज करवाया था. मामला दर्ज होने के कुछ देर बाद ही पुलिस महकमे में हड़कंप मच गया और पीड़िता ने बयान जारी करते हुए कहा कि वो मामले की एफआईआर दर्ज नहीं करवाना चाहती थी. लेकिन भीलवाड़ा पुलिस ने ना जाने किस दबाव में इस मामले को दर्ज किया है. उसने भावावेश में शिकायत देने की बात भी कही थी. पीड़िता के बयानों से पलट जाने के बाद ना सिर्फ भीलवाड़ा पुलिस को किरकिरी का सामना करना पड़ा. बल्कि मामले में भाजपा के पूर्व नेता पलाड़ा को भी बदनामी झेलनी पड़ी.
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उसके बाद पीड़िता ने अपने बयानों में जांच अधिकारी चंचल मिश्रा पर ही आरोप लगाए. इसके चलते जिला पुलिस अधीक्षक आदर्श सिद्धू ने मामले में तत्काल जांच अधिकारी बदलते हुए पूरे मामले की जांच एसपी जिला मुख्यालय जयेष्ठा मैत्रयी को सौंप दी. फिलहाल मामले में जांच जो भी हो लेकिन सबसे बड़ा सवाल अभी ये है कि आखिर भीलवाड़ा पुलिस ने मीडिया पर सेंसरशिप लगाने का निर्णय क्यों लिया है.
रिपोर्ट- दिलशाद खान