Ladnun: तेरापंथ की राजधानी में निरतंर आध्यात्म की गंगा प्रवाहित होती रही है- आचार्य महाश्रमण
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Ladnun: तेरापंथ की राजधानी में निरतंर आध्यात्म की गंगा प्रवाहित होती रही है- आचार्य महाश्रमण

नागौर में लाडनूं तेरापंथ धर्मसंघ की राजधानी लाडनूं में सोमवार को तेरापंथ धर्मसंघ के एकादशमाधिशास्ता आचार्य महाश्रमण ने आचार्य भारमल महाप्रयाण द्विशताब्दी समारोह के दूसरे दिन भव्य दीक्षा समारोह में एक 81 वर्षीया श्राविका सहित सात दीक्षाएं प्रदान कर तेरापंथ धर्मसंघ के इतिहास में एक नया स्वर्णिम अध्याय जोड़ दिया है. 

द्विशताब्दी और अमृत महोत्सव

Ladnun: राजस्थान के नागौर में लाडनूं तेरापंथ धर्मसंघ की राजधानी लाडनूं में सोमवार को तेरापंथ धर्मसंघ के एकादशमाधिशास्ता आचार्य महाश्रमण ने आचार्य भारमल महाप्रयाण द्विशताब्दी समारोह के दूसरे दिन भव्य दीक्षा समारोह में एक 81 वर्षीया श्राविका सहित सात दीक्षाएं प्रदान कर तेरापंथ धर्मसंघ के इतिहास में एक नया स्वर्णिम अध्याय जोड़ दिया है. आचार्य महाश्रमण ने मंगल पाथेय प्रदान करते हुए कहा कि गुरु शिष्य को शिक्षण और ज्ञान प्रदान करने वाले होते है. योग्य गुरु की सन्निधि का प्राप्त होना भी सौभाग्य की बात होती है. हमे तेरापंथ धर्मसंघ के आद्य प्रवर्तक आचार्य भिक्षु स्वामी प्राप्त हुए और आचार्य के महामंत्रोच्चार के साथ कार्यक्रम का शुभारम्भ हुआ है.

तेरापंथ धर्मसंघ के इतिहास के अनुसार विक्रम संवत 1887 में लाडनूं की धरती से पहली दीक्षा हुई है. वर्तमान में सोमवार की दीक्षा समारोह के उपरान्त लाडनूं के दीक्षार्थियों की संख्या 175 हो गई है. आचार्य महाश्रमण ने कहा कि लाडनूं की इस धरती पर और जैन विश्व भारती में कितनी-कितनी दीक्षाएं हो चुकी है. यहां निरंतर अध्यात्म की गंगा प्रवाहित होती रहे. मुमुक्षु समता ने मुमुक्षु बहनों और 81 वर्षीया श्राविका सूरजबाई का परिचय प्रस्तुत किया है. समणी ज्योतिप्रज्ञा ने श्रेणी आरोहण करने वाली समणीवृंद का परिचय प्रस्तुत किया है. पारमार्थिक शिक्षण संस्थान के बजरंग जैन ने मुमु़क्षुओं के आज्ञा पत्र का वाचन किया है. दीक्षार्थियों के परिजनों द्वारा पूज्यचरणों में आज्ञा पत्र अर्पित किया गया. तदुपरान्त मुमुक्षु सुरभि, मुमुक्षु चेतना, समणी रुचिप्रज्ञाजी, समणी प्रशांतप्रज्ञाजी, समणी मनस्वीप्रज्ञाजी, समणी शरदप्रज्ञाजी और 81 वर्षीया वयोवृद्ध श्राविका सूरजबाई ने अपनी आंतरिक प्रसन्नता को अभिव्यक्ति दी और संचालन मुनि दिनेश कुमार ने किया है.

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तीन संतानों के बाद स्वयं ने भी 81 की उम्र में ली दीक्षा
चार समणियों के श्रेणी आरोहण सहित दो मुमुक्षु बाइयों और हमारी एक श्राविका जिन्होंने धर्मसंघ को अपने तीन संतानों को प्रदान करने के बाद स्वयं भी धर्मसंघ दीक्षित होने जा रही है. आचार्य ने श्राविका सूरजबाई और दो मुमुक्षुओं बाइयों के परिजनों से मौखिक स्वीकृति प्राप्त कर सभी दीक्षार्थियों के मजबूत मनोभावों का स्वयं परीक्षण करने के उपरान्त आचार्य ने पूर्वाचार्यों का श्रद्धा के साथ स्मरण और साध्वीप्रमुखा का अभिवादन करते हुए आर्षवाणी का उच्चारण कर दीक्षार्थियों को जीवन भर के लिए सर्व सावद्य योग त्याग कराकर साध्वी दीक्षा प्रदान की है.

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साध्वी प्रमुखा ने केशलोच कर रजोहरण प्रदान किया
तेरापंथ धर्मसंघ की असाधारण साध्वी प्रमुखा ने तेरापंथ धर्मसंघ के दीक्षा प्रणाली सहित व्यवस्थाओं के संदर्भ में लोगों को उत्प्रेरित किया. आचार्य की अनुज्ञा से साध्वीप्रमुखा ने सभी दीक्षार्थियों का केशलोच कर रजोहरण प्रदान किया. तदुपरान्त आचार्य ने नवदीक्षित साध्वियों का नामकरण किया जो इस प्रकार है- समणी रुचिप्रज्ञा- साध्वी रुचिरप्रभा, समणी प्रशांतप्रज्ञा-साध्वी परिधिप्रभा, समणी मनस्वीप्रज्ञा-साध्वी महकप्रभा, साध्वी शरदप्रज्ञा-साध्वी सिद्धांतप्रभा, ज्ञाविका सूरजबाई-साध्वी सुधर्मप्रभा, मुमुक्षु चेतना-साध्वी चिरागप्रभा और मुमुक्षु सुरभि-साध्वी सुशीलप्रभा. आचार्य ने नामकरण के पश्चात नवदीक्षित साध्वियों को संयम और अनुशासन का ओज आहार प्रदान करते हुए उन्हें संयम पथ पर दृढ़ता के साथ आगे बढ़ने की प्रेरणा प्रदान की है.

आचार्य भारमल का द्विशताब्दी और साध्वी प्रमुखा का अमृत महोत्सव
गुरुदेव ने कहा कि हम आचार्य भारमल के महाप्रयाण का द्विशताब्दी समारोह मना रहे है और उसे सभी उपवास, जप, स्वाध्याय, साधना आदि के द्वारा आध्यात्मिक ढंग से मनाने का प्रयास करे. वहीं साध्वीप्रमुखा के भी पचास वर्ष पूर्ण होने जा रहे है. हमने साधुप्रमुखा के 'अमृत महोत्सव' के लिए भी लाडनूं का चुनाव कर लिया है आपने धर्मसंघ को अपनी महनीय सेवाएं प्रदान की है और वर्तमान में भी कर रही है.

Report: Hanuman Tanwar

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