राजस्थान में बात अपराधियों की हो या अपराध की इन दिनों बेलगाम है. पूरा माजरा टोंक जिले वन क्षेत्र से जुड़ा है, जहां अक्सर दिखने वाले मोर और गांवों में सुबह सुनाई देने वाली सुरीली आवाज अब लुप्त हो चुकी है.
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Tonk: सरकारों से लेकर कानून के रखवाले लाख कोशिशें कर लें लेकिन कुछ ऐसे लापरवाह अफसर हैं, जिनकी बदौलत प्रदेश में अब राष्ट्रीय पक्षी मोर (Peacock) की सुरक्षा रामभरोसे हो गई है. हालात यह हो गए है कि नवाबी नगरी टोंक सहित राजस्थान (Rajasthan) में मोर के अस्तित्व पर खतरा मंडरा गया है.
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राजस्थान में बात अपराधियों की हो या अपराध की इन दिनों बेलगाम है. पूरा माजरा टोंक जिले वन क्षेत्र से जुड़ा है, जहां अक्सर दिखने वाले मोर और गांवों में सुबह सुनाई देने वाली सुरीली आवाज अब लुप्त हो चुकी है. ऐसा इसलिए कह रहे हैं कि लगातार बढ़ता राष्ट्रीय पक्षी मोर का शिकार और उस वन विभाग से लेकर पुलिस अधिकारियों की सरपरस्ती इन सबका बढ़ा कारण है. अब हर जगह से एक आवाज आ रही है 'हमें बचा लो सरकार'.
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टोंक जिले के निवाई उपखंड क्षेत्र के गांव पथराज में कई सालों से राष्ट्रीय पक्षी मोर का शिकार किया जा रहा है, जिसको लेकर ग्रामीणों ने कई बार विभाग पुलिस प्रशासन को अवगत करवाया है लेकिन शिकार रुकने का नाम नहीं ले रहा है. शिकारियों की फायरिंग से ग्रामीणों में दहशत है. लगातार हो रहे मोरों के शिकार से क्षेत्रीय जनता में प्रशासन के प्रति गहरा रोष और नाराजगी है. ग्रामीणों का कहना है कि पिछले साल हुए शिकार के मामले में वन विभाग अवगत करवाया गया था लेकिन फिर शिकारियों ने राष्ट्रीय पक्षी मोर का शिकार किया है.
क्या कहना है ग्रामीणों का
शिकारियों द्वारा लगातार किए जा रहे फायरिंग से आवाज लोग सुनकर दहशत के साए में जी रहे हैं. ग्रामीणों का कहना है कि गांव के पीपल वह बरगद के पेड़ों पर झुंड के झुंड मोर हुआ करते थे लेकिन अब गिने-चुने मोर दिखाई दे रहे हैं.
ग्रामीणों का कहना है कि वन विभाग को सूचना करने पर कार्मिक कहते हैं कि आप शिकारियों को पकड़ो, उसके बाद आएंगे. इस विषय को लेकर निवाई रेंजर दिनेश दातौनिया से बातचीत की तो उनका कहना है कि सूचना मिली है और जांच की जा रही है.
जरूरत है लापरवाह अधिकारियों पर कार्रवाई की
देश की इस विरासत को बचाने के लिए सरकार ने कई एजेंसियां स्थापित किए. वन विभाग से लेकर पुलिस विभाग तक कई महकमे खोल दिए. अफसरों की तैनाती कर दी लेकिन यह सब सिर्फ सरकार साथ मोटी तनख्वाह ऐंठने के अलावा कोई काम करते नजर नहीं आ रहे हैं. ऐसे में जरूरत है ऐसे लापरवाह अधिकारियों पर सख्त कार्रवाई करने की.
Reporter- Purushottam Joshi