Alwar News: अलवर जिले के सरिस्का में पर्यावरण प्रेमियों को राहत की सांस मिल रही है. पर्यावरण प्रेमियों को राहत की सांस मिली है. गिद्धों की संख्या देशभर में लगातार कम हो रही है. वहीं सरिस्का में गिद्धों की संख्या तेजी से बढ़ रही है. सरिस्का में फिलहाल 500 से अधिक गिद्ध मौजूद हैं. गिद्धों की बढ़ती संख्या के अलावा सरिस्का में यूरोपीय और अन्य विदेशी प्रजातियों के गिद्ध भी देखे जा रहे हैं, जो जैव विविधता के लिए अच्छा संकेत है.
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Alwar News: राजस्थान के अलवर जिले के सरिस्का में पर्यावरण प्रेमियों को राहत की सांस मिल रही है. पर्यावरण प्रेमियों को राहत की सांस मिली है.गिद्धों की संख्या देशभर में लगातार कम हो रही है. वहीं सरिस्का में गिद्धों की संख्या तेजी से बढ़ रही है. सरिस्का में फिलहाल 500 से अधिक गिद्ध मौजूद हैं. जो पर्यावरण के संतुलन को बरकरार रखने में महत्वपूर्ण भूमिका निभा रहे हैं.
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गिद्ध को पर्यावरण का मित्र भी कहा जाता है. ये मृत जानवरों को खाकर सफाई करते हैं. गिद्धों की बढ़ती संख्या के अलावा सरिस्का में यूरोपीय और अन्य विदेशी प्रजातियों के गिद्ध भी देखे जा रहे हैं, जो जैव विविधता के लिए अच्छा संकेत है. वर्ल्ड वाइल्डलाइफ़ फ़ंड (WWF) इंडिया ने गिद्धों की गणना के लिए प्रस्ताव भी भेजा है, ताकि इनके सही संख्या का आंकलन किया जा सके.
सरिस्का में बाघों की बढ़ती संख्या के साथ-साथ गिद्धों की उपस्थिति प्रकृति के लिए खुशी की खबर है. हाल ही में जयपुर में आयोजित एक कार्यक्रम में WWF इंडिया ने जानकारी देते हुए बताया कि राजस्थान में 52 रेप्टर्स प्रजातियां पाई जाती हैं, जिनमें से 32 प्रजातियां अकेले सरिस्का में हैं. गिद्धों की प्रजातियां इनमें सबसे अधिक हैं.
सरिस्का के CCF संग्राम सिंह ने बताया कि पर्यावरणीय संतुलन को बनाए रखने में रेप्टर्स अहम भूमिका निभाते हैं. सरिस्का में अलग-अलग जगहों जैसे कि गोपी जोड़ा, देवरा चौकी और टहल स्थित मानसरोवर बांध के पास गिद्धों के झुंड देखे जा सकते हैं. वहीं राजस्थान में 52 रेप्टर्स प्रजातियां पाई जाती हैं.
प्रकृति गाइड लोकेश खंडेलवाल के बताए अनुसार सरिस्का में सबसे ज्यादा लंबी चोंच वाले गिद्ध पाए जाते हैं. सरिस्का में गिद्धों के लिए कई प्वाइंट बने हैं. जिसमें गोपी जोहड, देवरा चौकी, टहला में मानसरोवर बांध, पांडुपोल काली पहाड़ी के पास खड़ी चट्टानें आदि शामिल हैं. जंगल के पारिस्थितिक संतुलन के लिए गिद्धों की उपस्थिति को जरूरी माना गया है.