बेटियों ने निभाया बेटों का फर्ज, मां की अर्थी को दिया कंधा, लोगों की आंखे हुई नम
Advertisement
trendingNow1/india/rajasthan/rajasthan1448770

बेटियों ने निभाया बेटों का फर्ज, मां की अर्थी को दिया कंधा, लोगों की आंखे हुई नम

Rajgarh, Alwar news:  राजगढ़ अलवर कस्बे के गोविंद देव जी बाजार  में रहने वाली सेवानिवृत्त अध्यापिका कांता तिवारी के निधन पर बेटियों ने मां की अर्थी को कांधा देकर अंतिम संस्कार किया.

बेटियों ने निभाया बेटों का फर्ज, मां की अर्थी को दिया कंधा, लोगों की आंखे हुई नम

Rajgarh, Alwar news: हिंदू धर्म में बेटियो को शमशान घाट में जाना वर्जित माना जाता है. लेकिन राजगढ़ अलवर कस्बे के गोविंद देव जी बाजार  में रहने वाली सेवानिवृत्त अध्यापिका कांता तिवारी के निधन पर बेटियों ने मां की अर्थी को कांधा देकर अंतिम संस्कार किया.

 बेटियों ने इन सारे सामाजिक और धर्म के बंधनों को तोड़ते हुए अपनी मां का दाह संस्कार किया और शमशान घाट में जाकर मां की चिता को मुखाग्नि दी. यह सब देखकर सभी की आंखे नम हो गई. दरअसल, राजगढ़ गोविंद देवजी बाजार की रहने निवासी सेवानिवृत्त शिक्षिका कांता देवी तिवाड़ी पति के देहांत के बाद अक्सर अपनी शादीशुदा बेटियों के पास ही रहती थी. उनकी  बेटियां  उनका  बेटों की तरह ही ख्याल रखती थी.

जानकारी के मुताबिक कांता तिवाड़ी के पास कोई बेटा नहीं था. ऐसे में छः बेटिया मीना शर्मा (ग्रहणी), नीलम शर्मा (रिटायर्ड अध्यापिका), राजकुमारी भारद्वाज (अध्यापिका),सुनीता उपाध्याय (अध्यापिका), आरती शर्मा (ग्रहणी) और ऋतु शर्मा (निजी स्कूल संचालिका) ने सारी सामाजिक रीति रिवाजों के बंधन को तोड़ते हुए मां की अंतिम इच्छा पूरी करने को लेकर दाह संस्कार करने का निर्णय लिया. उनके इस फैसले का परिवार के सदस्य और अन्य लोगों ने भी स्वागत किया. 

इस अवसर पर बेटियों ने बताया कि उनकी मां की अंतिम इच्छा थी कि बेटियां ही उन्हें मुखांग्नि दें. उन्होंने अपनी बेटियों की परवरिश बेटों से बढ़कर की और उन्हें इस योग्य बनाया कि वह अपने माता पिता के आखिरी वक्त पर काम आ सके, ऐसा करके उन्हें बेहद खुश .

बेटियों ने दिया मां को कांधा

कांता तिवाड़ी की बेटिया अपनी मां की अर्थी को कंधा देते हुए शमशान घाट पहुंची और उन सारे नियमों का पालन भी किया जो एक बेटे को करना चाहिए. हिंदू रीति रिवाज के अनुसार उन्होंने अपना फर्ज निभाते हुए मां की चिता को मुखाग्नि दी, बेटियों के इस निर्णय की चर्चा दिन भर कस्बे में बनी रही. उन्होंने कहा कि समाज को रुढ़िवादी परम्परा व लिंगभेद खत्म करते बुजर्गो की सेवा व उनकी इच्छाओं का सम्मान करना चाहिए.

यह भी पढ़ेंः 

Shraddha Aftab Murder Case: कसाई खाने में हत्यारे आफताब ने ली थी श्रद्धा के 35 टुकड़े करने की ट्रेनिंग, अब नार्को टेस्ट में उगलेगा मर्डर का सच

आखिर क्यों Kangana बोलीं कि 'मेरे पिता सुबह-शाम जय मोदी-योगी कहते हैं', कहीं ये तो नहीं है इरादा ?

Trending news