2 सितंबर 2005 में सतीश ने एक ट्रेन हादसे में अपने दोनों पैर गवा दिए थे. सतीश अब तक लगभग 2 लाख किलोमीटर की यात्रा कर चुके हैं. आर्टिफिशियल पैर होने के बाद भी सतीश में इतना हौसला बुलंद है.
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Baran News: जिंदगी में हताश होने के बाद प्यार में धोखा मिलने के बाद या किसी दुर्घटना का शिकार होने के बाद अमूमन लोग जीवन से हताश होकर जीवन जीना छोड़ देते हैं.
वहीं, उड़ीसा के रहने वाले गोटा सतीश 2005 में एक ट्रेन हादसे में सतीश अपने दोनों पैर खो चुके थे, पैर खोने के बाद सतीश के परिवार जन आत्मविश्वास खो चुके थे. वही पैर खोने के बाद भी सतीश ने अपना आत्मविश्वास नहीं खोया और दूसरे पैर तैयार करवाकर जीवन जीने का एक मकसद ढूंढा तभी से सतीश इस जीवन को बेहतरीन जीवन के तौर पर जी रहे हैं.
2 सितंबर 2005 में सतीश ने एक ट्रेन हादसे में अपने दोनों पैर गवा दिए थे, जिसके बाद भी पढ़ाई में लगन होने पर वह व्हीलचेयर से कॉलेज आया-जाया करते थे. पढ़ाई पूरी होने के बाद सतीश ने कुछ समय बैंक में नौकरी की और 2016 में उन्होंने एक सुसाइड आर्टिकल पड़ा, जिसमे देश का युवा सुसाइड की ओर बढ़ रहा है, तभी से मैंने सोचा के इन युवाओं को जीवन जीने की प्रेरणा देने के लिए मुझे कुछ करना चाहिए, तभी से मैंने सोच लिया था कि मुझे पूरे भारत का भ्रमण करना है. मेरे दोनों पैर आर्टिफिशियल है और आज मैं खुद कमाता हूं और अपना जीवन यापन कर रहा हूं.
मेरे जहन में जब सुसाइड की बात आती है, तो सुनकर बड़ा बुरा लगता है. छोटी बड़ी गलती इंसान के जीवन में होती रहती हैं. उन गलतियों से हार नहीं मानकर उन गलतियों से सीख लेनी चाहिए. इस देश का युवा बहुत जल्द भ्रमित हो जाता है, कोई पढ़ाई की टेंशन मैं सुसाइड कर लेता है, तो कोई प्यार के लफड़े में पढ़कर सुसाइड कर लेता है, तो कोई इस जीवन में स्ट्रगल करते-करते हताश होकर सुसाइड कर बैठता है.
लेकिन सतीश का मानना है कि इन सब समस्याओं का समाधान आत्महत्या नहीं होती है. यदि आत्महत्या ही इन सब समस्याओं का समाधान होती तो मेरे साथ हुए इतना बड़े हादसे के बाद मैं भी आज इस दुनिया में नहीं होता. इन सब ख्यालों को देखते हुए मैंने मोटरसाइकिल से पूरे भारत का भ्रमण करने का सोचा.
सतीश अब तक लगभग 2 लाख किलोमीटर की यात्रा कर चुके हैं. आर्टिफिशियल पैर होने के बाद भी सतीश में इतना हौसला बुलंद है. वह नेपाल में माउंट एवरेस्ट की चढ़ाई करने जा रहे थे, लेकिन नेपाल सरकार ने उन्हें चढ़ाई करने की परमिशन नहीं दी, जिससे वह वहां नहीं जा सके. वहीं, सतीश दो बार ऑल इंडिया राइड भी कर चुके हैं. सतीश वर्ल्ड रिकॉर्ड में भी अपना नाम दर्ज कर चुके है.
हाल ही में आजादी के अमृत महोत्सव में सेंट्रल गवर्नमेंट की तरफ से ऑल इंडिया राइड के लिए 75 राइडर के साथ सतीश का भी नाम भी शामिल था. 21000 किलोमीटर की ऑल इंडिया यात्रा हमने की जो 9 सितंबर को शुरू हुई और यात्रा 24 नवंबर को दिल्ली में खत्म हुई थी. इसके बाद मैं अपनी पत्नी के साथ कश्मीर, उत्तराखंड, पंजाब के बाद यात्रा करते हुए राजस्थान के बारां में पहुंचे, जहां हमे यहां के लोगों से काफी स्नेह मिला.
Reporter- Ram Mehta