बारां किसानों का रेल रोको आंदोलन स्थगित, प्रशासन से वार्ता के बाद हटे पीछे
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बारां किसानों का रेल रोको आंदोलन स्थगित, प्रशासन से वार्ता के बाद हटे पीछे

राजस्थान के बारां के किसानों का कहना है कि एक माह से भूख हड़ताल और धरना प्रदर्शन के बावजूद अब तक कोई निष्कर्ष नहीं निकला है. हम हमारी मांगों के लिए निरंतर संघर्ष करते रहेंगे. 

 

बारां किसानों का रेल रोको आंदोलन स्थगित, प्रशासन से वार्ता के बाद हटे पीछे

Baran News: राजस्थान के बारां के छबड़ा में किसानों द्वारा फसल बीमा क्लेम, मुआवज़ा और दिन में बिजली दिए जाने सहित अन्य मांगों को लेकर रविवार को आयोजित रेल रोको आंदोलन के लिए के घटनाक्रम शाम तक चलता रहा. किसान खेल मैदान में जमा हुए और सरपंच धर्मा धाकड़ का इंतजार करने लगे. धर्मा के खेल मैदान में पहुंचने पर किसानों ने स्वागत किया.

धर्मा धाकड़ ने कहा कि फसल बीमा क्लेम, दिन में आठ घंटे बिजली, दोनों प्लांटों में टेंडर प्रक्रिया के तहत मैनपॉवर लगाने और स्थानीय लोगों को रोजगार देने, प्लांट में मूल मापदंडों के आधार पर वेतन भुगतान करने के साथ ही वंचित समाजों को छात्रावासों की जगह आवंटित करने के लिए वो संघर्षरत हैं. किसानों का कहना है कि एक माह से भूख हड़ताल और धरना प्रदर्शन के बावजूद अब तक कोई निष्कर्ष नहीं निकला है. हम हमारी मांगों के लिए निरंतर संघर्ष करते रहेंगे. उन्होंने भाजपा विधायक प्रतापसिंह सिंघवी और मंत्री प्रमोद जैन भाया पर भी हमले बोले.

किसान खेल मैदान से पैदल रैली के रूप में रेल रोकने निकले और प्रशासन का काफिला किसानों के आगे-आगे चला. रेलवे स्टेशन के बाहर एएससी दिनेश कनोजिया जीआरपी और आरपीएफ के साथ कमान संभाले हुए थे. रेलवे अधिकारियों और प्रशासन ने रेलवे सीमा के बाहर ही किसानों को रोक दिया तो किसान सड़क पर बैठकर नारेबाजी करने लगे.  इस पर प्रशासन ने किसानों को समझाने का प्रयास किया. एक घंटे तक चली वार्ता के बाद प्रशासन ने एक प्रतिनिधिमंडल बनाकर जिला कलक्टर के सामने अपनी बात रखने को कहा. सभी मांगो को शीघ्र पूर्ण करने का आश्वासन देने पर किसान मान गए और लौट गए.

पुलिस थाने में जिला कलेक्टर सहित प्रशासनिक अधिकारियों से किसानों के प्रतिनिधि मंड़ल ने वार्ता की. जिसमें किसान नेता धर्मा धाकड़ ने बीमा कंपनी पर क्रॉप कटिंग के मूल मापदंड नही अपनाए जाने का आरोप लगाया. 2016 से 2022 तक बीमा कंपनी की तरफ से किसानों की क्लेम के नाम पर राशि काटकर क्लेम सबमिट किया जा रहा है. लेकिन आज तक किसी भी किसान को बीमा क्लेम नही मिला हैं. 

2021-22 खरीफ की फसल का क्लेम बाकी है. उन्होनें कहा कि उसके गांव कडैयावन के किसानों के बीमा के नाम पर छह लाख रूपए कटते हैं. सात गुना सरकार मिलाती हैं. उसके बावजूद किसानों का शोषण किया जा रहा है. किसानों को रात में बिजली देने पर चर्चा हुई और रूटिन-वे में बिजली दिए जाने की बात कही. सीएसआर फंड को प्रभावित गांवों में नहीं खर्च करने का भी आरोप लगाया. कलेक्टर ने कहा कि फसल बीमे के 3.64 करोड़ रुपए आ गए हैं.  शेष राशि भी किसानों को शीघ्र मिल जाएगी. प्रशासन ने दो माह में फसल बीमा क्लेम और मुआवजा किसानों को दिलाने के लिए आश्वस्त किया. 

किसानों से प्रदर्शन खत्म करने को कहा गया तो किसान नहीं माने. फसल बीमा व मुआवजा मिलने तक शांतिपूर्ण प्रदर्शन जारी रखने की बात कही. इस प्रकार प्रशासन और किसानों के बीच कोई निष्कर्ष नहीं निकलने से स्थिति ज्यों की त्यो बनी हुई है.

ये रहें मौजूद

जिला कलक्टर नरेंद्र गुप्ता, एसपी कल्याणमल मीणा, एएसपी जिनेंद्र जैन, एडीएम सत्यनारायण आमेठा, अटरू एक्सईएन आरपी प्रसाद, कृषि अधिकारी धनराज मीणा, मोतीपुरा थर्मल प्लांट के एसीई गजेंद्र त्रिवेदी, एसी सिविल लक्ष्मीकांत केरवाल, राजेश मीणा, डीडीपी ओपी मेघवाल, एसडीएम मनमोहन शर्मा, डीएसपी पूजा नागर, तहसीलदार मुकेश मीणा, सीआई राजेश मीणा सहित अन्य पुलिस व प्रशासनिक अधिकारी व कर्मचारी उपस्थित रहे
किसान प्रतिनिधिमंडल में मौजूद लोग में सरपंच धर्मा धाकड़. भंवरसिंह मीणा, जयनारायण नागर, रामनरेश मीणा, रामकल्याण कश्यप, संजय शर्मा, पप्पू धाकड़, पवन धाकड़, मुकेश नागर आदि शामिल थे.

Reporter: Ram Mehta 

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