बाड़मेर में बाल दिवस के दिन से जिले में आशा, एएनएम एवं कार्यकर्त्ता बच्चो के स्वास्थ्य की जाँच कर अभियान की शुरुवात की जाएगी. जिला प्रजनन एवं शिशु स्वास्थ्य अधिकारी डॉ. प्रीत मोहिंदर सिंह ने बताया कि बच्चों के समग्र विकास के लिए उनके स्वास्थ्य और पोषण पर ध्यान देना बहुत आवश्यक है.
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शिव: बाड़मेर जिले में बच्चों एवं किशोर किशोरियों में स्वास्थ्य, पोषण, जांच और उपचार, जन्मजात विकृतियों की पहचान के लिए जिला कलेक्टर लोक बंधू के निर्देशन में चिकित्सा एवं स्वास्थ्य विभाग की ओर से जिले में कार्यरत समस्त आशा सहयोगिनियो, कार्यकर्त्ता, एएनएम, सीएचओ एवं अध्यापकों को प्रशिक्षण दिया जा चुका है. सीएमएचओ डॉ. चन्द्रशेखर गजराज ने बताया कि बच्चो के स्वास्थ्य, जन्मजात विकृतियों एवं कुपोषण की पहचान के लिए जिले में मिशन मॉड पर कार्य किया जा रहा है, इस बार बाल दिवस की थीम- इंक्ल्यूजन, फॉर एव्री चिल्ड्रेन है, बच्चों के समग्र विकास की पहल वैश्विक स्तर पर बच्चों के समग्र कल्याण को ध्यान में रखते हुए लोगों में जागरूकता बढ़ाने के उद्देश्य से हर साल 20 नवंबर को विश्व बाल दिवस मनाया जाता है.
बाल दिवस के दिन से जिले में आशा, एएनएम एवं कार्यकर्त्ता बच्चो के स्वास्थ्य की जाँच कर अभियान की शुरुवात की जाएगी. जिला प्रजनन एवं शिशु स्वास्थ्य अधिकारी डॉ. प्रीत मोहिंदर सिंह ने बताया कि बच्चों के समग्र विकास के लिए उनके स्वास्थ्य और पोषण पर ध्यान देना बहुत आवश्यक है, हालांकि इस दिशा में अब भी वैश्विक स्तर पर कई चुनौतियां हैं, जलवायु परिवर्तन, कोविड महामारी, और खाद्य पदार्थो में मिलावट के चलते बच्चों के पोषण पर असर देखने को मिला है.आंकड़े बताते हैं कि विश्व स्तर पर पांच साल से कम उम्र के लगभग 14 मिलियन बच्चों के लिए कुपोषण बड़ा खतरा बना हुआ है.
स्वास्थ्य विशेषज्ञ इसे बच्चों के शारीरिक और मानसिक दोनों प्रकार की सेहत के लिए नुकसानदायक मानते हैं. इस दिशा में जमीनी स्तर पर हम सबको मिलकर प्रयास करने की जरूरत है. डॉ सिंह ने बताया कि इस अभियान के तहत 0 से 19 वर्ष के समस्त बच्चो को शामिल किया गया है, जिसमे सभी सरकारी एवं निजी विधालय में पढने वाले बच्चे, आंगनवाड़ी में पंजीयन बच्चे एवं स्कुल नही जाने वाले बच्चो पर विशेष ध्यान दिया जायेगा. जिला आशा समन्वयक राकेश भाटी ने बताया कि इस अभियान के तहत 14 नवंबर 2022 से 15 दिसंबर 2022 तक आशा एवं कार्यकर्ताओ द्वारा सर्वे का कार्य कर बच्चो के स्वास्थ्य, जन्मजात विकृतियों एवं कुपोषण की पहचान की जायेगी,
इसके लिए जिले में 2800 आशा सहयोगियों, 3000 से अधिक आंगनवाड़ी कार्यकर्त्ता, एक हजार से अधिक एएनएम् एवं 150 सीएचओ तथा अध्यापकों को प्रशिक्षित किया जा चुका है, विधालय में कक्षा 1 से 8 तक बच्चे 452736, कक्षा 9 से 12 तक 133029 के कुल 5 लाख 85 हजार सात सो पैसठ बच्चो की प्री स्क्रीनिंग का कार्य विधालय के प्रशिक्षित अध्यापकों द्वारा की जायेगी तथा चिन्हित बच्चो की स्क्रीनिग का कार्य पूरा किया जाने के बाद आरबीएसके टीम द्वारा ट्रीटमेंट का कार्य किया जायेगा.