राजस्थान में गायों में मंकीपॉक्स जैसी बीमारी, कई गौवंश की मौत
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राजस्थान में गायों में मंकीपॉक्स जैसी बीमारी, कई गौवंश की मौत

Death Of Cow : मंकी पॉक्स जैसी ही बीमारी पाकिस्तान से सटे राजस्थान के सीमावर्ती इलाकों में गायों में देखने को मिल रही है. जानकारी के मुताबिक जोधपुर ग्रामीण और जैसलमेर-बाड़मेर समेत कई इलाकों में गायों में ये बीमारी फैल रही है और कई गांवशों की मौत भी हो चुकी है.

राजस्थान में गायों में मंकीपॉक्स जैसी बीमारी, कई गौवंश की मौत

Death Of Cow : कोरोना के बाद मंकी पॉक्स संक्रमण चर्चा में हैं. भारत में अभी तक मंकीपॉक्स के दो मामले सामने आ चुके हैं. इस संक्रमण के दौरान शरीर के ऊपर बड़े बड़े चकत्ते उभर जाते हैं. मंकी पॉक्स एक दुर्लभ बीमारी है, जो मंकीपॉक्स नाम के वायरस संक्रमण की वजह से ही होती है. मंकीपॉक्स भी स्मॉलपॉक्स परिवार के वायरसों का ही हिस्सा है. यानी इसमें भी स्मॉलपॉक्स माता की तरह ही मंकी पॉक्स के भी लक्षण होते हैं. हालांकि, मंकी पॉक्स के लक्षण स्मॉलपॉक्स की तरह गंभीर नहीं, बल्कि हल्के होते हैं. मंकीपॉक्स बहुत कम मामलों में ही घातक होता है. यहां यह बात ध्यान देने वाली है कि इसका चिकनपॉक्स से कोई लेनादेना नहीं है.

इस बीच मंकी पॉक्स जैसी ही बीमारी पाकिस्तान से सटे सीमावर्ती इलाकों में गायों में में देखने को मिल रही है. जानकारी के मुताबिक जोधपुर ग्रामीण और जैसलमेर-बाड़मेर समेत कई इलाकों में गायों में ये बीमारी फैल रही है और कई गांवशों की मौत भी हो चुकी है. जानकारी के मुताबिक, गायों में अचानक फैले इस संक्रमण के दौरान गायों के पूरे शरीर के किसी हिस्से में बड़ी-बड़ी गांठ की तरह फोड़े निकल रहे हैं, जो धीरे-धीरे पूरे शरीर पर फैल रहे हैं. गायों के मुंह से खून निकलता है और कुछ देर में उनकी मौत हो जाती है. वहीं कई गायों में इस बीमारी के चलते अजन्मे बच्चों की गर्भ में ही मौत हो गई.

दरअसल बाड़मेर जिले के ग्रामीण क्षेत्रों में पिछले कई दिनों से गोवंश में त्वचा रोग फैल रहा है. ये एक वायरल बीमारी है. लंपी स्किन डिजीज नाम की इस बीमारी से दुधारू पशुओं के शरीर पर गांठें हो जाती है और पशु दूध देना बंद कर देता है. बीमारी से पूर्व पशुओं को पहले बुखार आता है और खाना पीना बंद कर देते हैं. पशु के शरीर पर गोलाकार आकृति के छल्ले हो जाते हैं. इस बीमारी के चलते समय पर इलाज नहीं मिलने के कारण सैकड़ों गौवंश की मौत हो गई है.

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बीमारी का वक्त पर इलाज नहीं होने के चलते दर्जनों गौवंश की मौत हो चुकी है. पशुपालन विभाग के अतिरिक्त निदेशक डॉ रतन लाल जीनगर ने बताया कि कुछ दिन पहले यह बीमारी सिणधरी की एक गौशाला में सामने आई थी जिसके बाद सैंपल लेकर लैब में भेजा गया था, तो लंबी स्किन डिजीज नामक बीमारी की पुष्टि हुई थी. जिसके बाद से ही पशुपालन विभाग के सभी अधिकारियों को फील्ड में उतार कर सर्वे करवाया जा रहा है और यहां पर भी इस बीमारी गोवंश में फैलने की सूचना मिलती है. तुरंत वहां टीम जाकर इलाज करती है.

लेकिन हकीकत तो ये है कि बाड़मेर जिले के ग्रामीण इलाकों में अधिकांश पशु चिकित्सकों के पद रिक्त है ग्रामीण क्षेत्रों में पशुओं की बीमारी से संबंधित कोई दवाई नहीं मिल रही है. शुरुआती दौर में दुधारू गोवंश को बुखार आता है उसके बाद वह खाना पीना छोड़ देता है और धीरे-धीरे शरीर में स्किन से निकल जाती है और दो तीन दिन बाद ये गांठे फुट घाव का रूप ले लेती हैं. पशुपालन विभाग के अधिकारियों का कहना है कि यह एक संक्रमण बीमारी है जो एक से दूसरे में फैलती है.

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बाड़मेर जिले के ग्रामीण इलाकों में फैल रही गोवंश में इस भयंकर बीमारी के बाद बाड़मेर जिला कलेक्टर लोकबंधु भी काफी गंभीर नजर आ रहे हैं और उन्होंने पशुपालन विभाग की पूरी मशीनरी को फील्ड में उतार कर सर्वे करवाया जा रहा है कि जिले में कितना गोवंश इस बीमारी की चपेट में है और कितने गोवंश की अभी तक मौत हो चुकी है साथ ही पशु पालकों से भी अपील की है की ऐसी बीमारी गोवंश में लक्षण दिखते ही तुरंत पशुपालन विभाग के अधिकारियों को सूचित करें ताकि समय रहते गोवंश का इलाज किया जा सके.

इधर बाड़मेर-जैसलमेर जिलो में गायों में फैली इस लम्पी स्कीन बीमारी को लेकर सोमवार को बायतु विधायक और पूर्व मंत्री हरीश चौधरी ने गौपालन और खान मंत्री प्रमोद जैन भाया से मुलाकात की. चौधरी ने मंत्री प्रमेाद भाया जैन को अवगत करवाया कि सीमावर्ती जिलो में गायो में स्कीन की बीमारी पैर पसार रही हैं, जिससे किसानों को गायों को बचाने के लिए कई जतन करने पड़ रहे हैं. साथ ही बीमारी लगातार क्षेत्र में बढ़ रही हैं. इसको लेकर कोई पुख्ता ईलाज की व्यवस्था नही होने से पशुपालक परेशान हैं.

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उन्होंने बताया कि गायों को इस बीमारी से बचाने के लिए जयपुर स्तर से मॉनिटरिंग कर विशेषज्ञों को क्षेत्र में भेज कर पुख्ता प्रबंध करवाने की जरूरत है. विधायक ने इलाके में बजरी खनन शुरू करवाने को लेकर भी वार्ता की. हरीश चौधरी ने बताया कि बजरी का खनन शुरू नहीं होने से गरीब लोग अपना आशियाना नहीं बनवा पा रहे हैं. साथ ही जिले में मनरेगा, प्रधानमंत्री आवास योजना सहित कई सरकारी कामकाज प्रभावित हो रहे हैं.

जालोर की बजरी बाड़मेर में चार गुना दामों पर बिक रही हैं. उन्होने मंत्री से लीज धारक और ठेकेदार को पाबंद कर जल्द ही बजरी खनन शुरू करवाने की मांग रखी. इस दौरान उनके साथ वन एवं पर्यावरण मंत्री हेमाराम चौधरी, पचपदरा विधायक पदन प्रजापत, जेसलमेर विधायक रूपा राम मेघवाल, विधायक पदमाराम मेघवाल साथ में रहे. बाडमेर जिले में बजरी लीज धारक से बजरी का खनन शुरू करवाने को लेकर खान मंत्री प्रमोद जैन से मुलाकात कर मंत्री को अवगत करवाया कि बजरी को लेकर सुप्रीम कोर्ट रोक हटा चुका हैं लेकिन लीज धारक व ठेकेदार जानबूझ कर बजरी का खनन शुरू नहीं कर रहा हैं जिससे बाड़मेर जिले के लोगों को बजरी से लिए परेशान होना पड़ रहा हैं.

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