केंद्र के दिए इस 'अवसर' का उठाये फायदा, रिसर्च करने वाले 1 लाख तक का जीत सकते हैं इनाम
Advertisement
trendingNow1/india/rajasthan/rajasthan1123729

केंद्र के दिए इस 'अवसर' का उठाये फायदा, रिसर्च करने वाले 1 लाख तक का जीत सकते हैं इनाम

योजना के तहत आवेदन करने वाले पीएचडी और पीडीएफ शोधार्थी अपने शोध प्रस्तुत करते हैं. पीएचडी शोधकर्ताओं के दिये गये सबसे बेहतर 100 लेखों को 10 हजार रूपये की प्रोत्साहन राशि दी जाती है. 

केंद्र के दिए इस 'अवसर' का उठाये फायदा, रिसर्च करने वाले 1 लाख तक का जीत सकते हैं इनाम

Barmer: शोधार्थियों और शिक्षकों को विज्ञान के विभिन्न विषयों पर लोकप्रिय विज्ञान संचार की कला सिखाने और देश में विज्ञान साक्षरता बढ़ाने के लिए शनिवार से बाड़मेर डाईट में तीन दिवसीय कार्यशाला का शुभारंभ हुआ. डेली साइंस न्यूज एंड फीचर्स फॉर डिजिटल एंड प्रिन्ट वर्जन ऑफ वैज्ञानिक दृष्टिकोण फॉर प्रोमोटिंग साइंस लिट्रेसी नामक इस कार्यशाला के मुख्य अतिथि भारतीय वन सेवा के अधिकारी एसपी भादू और तरूण कुमार जैन रहे जिनका साफा और माला पहनाकर स्वागत किया गया.

विज्ञान साक्षरता की कार्यशाला के पहले सत्र में वैज्ञानिक दृष्टिकोण के संपादक तरुण कुमार जैन ने प्रतिभागियों की कार्यशाला की रूप रेखा के बारे में बताते हुए ये समझाया की विज्ञान हमारे दैनिक जीवन का हिस्सा है. उन्होंने बताया कि सब कुछ हमारे नजरिए में है. अगर हम दुनिया को वैज्ञानिक दृष्टिकोण के नजरिए से देखने लग जाएं तो सारी समस्यां खत्म हो जाएंगी. इसके आलावा उन्होंने भारत सरकार के चलाए जा रहे प्रोग्राम  AWSAR (Augmenting Writing Skills for Articulating Research)के बारे में प्रतिभागियों को बताया. जिससे शोधार्थी अपने शोध पर लाखों का इनाम जीत सकते है.

अवसर योजना (AWSAR)क्या है 
केंद्र सरकार की इस योजना का उद्देश्य वैज्ञानिक शोध को सरल शब्दों में आम लोगों तो पहुंचाना है.ताकि लोकप्रिय विज्ञान से जुड़ी तकनीक को आम लोग आम भाषा में समझ सकें. योजना के तहत  आवेदन करने वाले पीएचडी और पीडीएफ शोधार्थी अपने शोध प्रस्तुत करते हैं. पीएचडी शोधकर्ताओं के दिये गये सबसे बेहतर 100 लेखों को 10 हजार रूपये की प्रोत्साहन राशि दी जाती है. वही सबसे अच्छे तीन लेखों को 1 लाख, 50 हजार और 25 हजार की राशि दी जाती है. वही पीडीएफ शोधार्थियों के सबसे बेहतर लेख को भी 1 लाख रूपये की प्रोत्साहन राशि दी जाती है. योजना में आवेदन के लिए आप www.awsar-dst.in साइट पर लॉगइन कर सकते हैं. 

ये भी पढ़ें: RAS मुख्य परीक्षा- 2021: एग्जाम की डेट का आया सामने, यहां से करें एडमिट कार्ड डाउनलोड

कार्यशाला के दूसरे टेक्निकल सत्र में डॉ नीमचंद ने शुरुआत करते हुए कहा की वैज्ञानिकों के रिसर्च पेपर्स जर्नल्स तक ही सीमित रह जाते है. रिसर्च पेपर्स का आम लोगों तक पहुंचना बहुत अहम है जिसमें ये स्कीम प्रभावी है.  उन्होंने बच्चों से अनुरोध करते हुए कहा कि आप विज्ञान के बारे में जो भी नया सीखे, उसे कम से कम दो लोगों को बताएं और समझाएं. साथ ही उन्होंने देश के विभिन्न गावों और शहरों में मौजूद पानी की गुणवत्ता पर बात की. 

कार्यशाला में दूषित पानी और उससे होने वाली बीमारियों के बारे में बताया गया. कार्यशाला में बाड़मेर क्षेत्र के 30 शोधार्थी और शिक्षक प्रतिभागियों ने हिस्सा लिया. मिशन के संयोजक और वैज्ञानिक दृष्टिकोण के संपादक तरुण कुमार जैन ने बताया कि इस मुहिम के तहत प्रयास किया जा रहा है कि देशभर में अधिक से अधिक विज्ञान संचारक तैयार किए जा सकें ताकि सरल और सहज भाषा में देश के नागरिकों को विज्ञान की उपयोगी एवं प्रामाणिक जानकारी उपलब्ध हो सकें.

रिपोर्टर- अरूण हर्ष

Trending news