राजस्थान के भरतपुर में जन्माष्टमी से 2 दिन पहले एक ऐसी घटना घटी, जिसे जानने के बाद हर किसी की आंखों में आंसू आ गए. दरअसल भरतपुर के अपना घर आश्रम में करीब 5 साल बाद मानसिक बीमार हालत में सूरत से निकली गीता देवी और उनके बेटे का जब मिलन हुआ तो उनके लिए यह श्री कृष्ण जन्माष्टमी हमेशा के लिए यादगार बन गई.
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Bharatpur News: आज पूरे देश में कृष्ण जन्माष्टमी का पर्व बड़े ही धूम से मनाया जा रहा है. जिधर देखो, उधर भगवान श्री कृष्ण और उनकी मां देवकी-यशोदा के प्यार के चर्चे हैं लेकिन वहीं, राजस्थान के भरतपुर में जन्माष्टमी से 2 दिन पहले एक ऐसी घटना घटी, जिसे जानने के बाद हर किसी की आंखों में आंसू आ गए. दरअसल भरतपुर के अपना घर आश्रम में करीब 5 साल बाद मानसिक बीमार हालत में सूरत से निकली गीता देवी और उनके बेटे का जब मिलन हुआ तो उनके लिए यह श्री कृष्ण जन्माष्टमी हमेशा के लिए यादगार बन गई.
जानकारी के मुताबिक, करीब 5 साल पहले गीता देवी की मानसिक स्थिति बिगड़ गई थी और इसके कारण वह बेसुध हालत में अपने घर से बाहर निकल गई थी. 6 मई 2019 को उन्हें भरतपुर रेलवे स्टेशन पर देखा गया और इसके बाद फिर 'अपना घर' आश्रम में लाकर उनकी देखभाल शुरू की गई. यहां पर उनकी सेवा और इलाज होने के बाद गीता देवी की सेहत में काफी हद तक सुधार आया और उन्होंने अपना पता बताया.
इसके बाद अपना घर आश्रम की पुनर्वास टीम ने गीता देवी के घर का पता लगाया और इस मामले में सूरत, गुजरात, तालंगपुर में पुलिस को सूचित भी किया. वहीं, गीता देवी के परिवार वालों को जब उनकी मां के जीवित और स्वस्थ होने की खबर लगी तो उनकी खुशी का ठिकाना नहीं रहा. 24 अगस्त को गीता देवी का बेटा सुमित, उनके भाई नंदलाल गुप्ता बहन संगीता गुप्ता भरतपुर के अपना घर आश्रम पहुंचे. यहां पर जब 5 साल बाद मां बेटे की मुलाकात हुई तो दोनों एक दूसरे से लिपटकर जोर-जोर से रोने लगे. दोनों की ही आंखों से खुशी के आंसू बह रहे थे.
इस दृश्य को जिसने भी देखा, वह भी रोने लगा. गीता देवी के बेटे ने बताया कि जब उनकी मां घर से बाहर निकली थी तो उनकी उम्र केवल 12 साल थी. मां के घर से जाने के 15 दिन बाद ही उनके उसके पिता का भी निधन हो गया और मां-बाप से दूरी हो जाने की वजह से उसकी जिंदगी में अंधेरा छा गया था.
5 साल बाद लौटी परिवार की खुशियां गीता देवी के भाई नंदलाल गुप्ता की मानें तो गीता के एक बेटा और दो बेटी है. बड़ी बेटी की शादी तो उन्हीं के सामने हो गई थी और वहीं, छोटा बेटा सुमित मेहनत मजदूरी करके अपना और छोटी बहन का भरो पोषण कर रहा था और फिर उसकी भी शादी करवा दी. मां के मिलने के बाद सुमित की खुशी का ठिकाना नहीं है. वही, अपना घर आश्रम में पुनर्वास की प्रक्रिया पूरी करने के बाद सुमित बड़ी खुशी के साथ अपनी मां गीता देवी को जन्माष्टमी से पहले अपने घर सूरत ले गया.
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