प्रदेश में कुल 2754 अभ्यर्थियों ने राज्य सरकार से मान्यता प्राप्त पात्र कॉलेजों से एनटीटी की डिग्री ले रखी है. जबकि इनमें से करीब 1300 अभ्यर्थी ऐसे है जिनकी नौकरी लग चुकी है
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आशीष चौहान/जयपुर: राजस्थान में एनटीटी (नर्सरी टीचर ट्रेनिंग) भर्ती में परीक्षा होने से पहले ही धांधली और फर्जीवाडे का बडा खेल सामने आया है. शिक्षा के दलालों के जरिए हजारों अभ्यर्थियों ने एनटीटी की फर्जी डिग्री हासिल कर परीक्षा में आवेदन किया है. अब फरवरी में परीक्षा होगी तो हजारों अभ्यर्थी फर्जी डिग्री के साथ परीक्षा में बैठेंगे. सरकारी सिस्टम की लाचारी के सामने ना तो फर्जी डिग्री देने वालों पर कोई कार्रवाई हो रही है और ना ही ऐसे अभ्यर्थी जो फर्जी डिग्री लेकर परीक्षा में बैठ रहे है.
राजस्थान में आखिरी बार एनटीटी डिग्रीधारी अभ्यर्थियों के लिए 1310 पदों पर भर्ती के लिए परीक्षा होगी. प्रदेश में कुल 2754 अभ्यर्थियों ने राज्य सरकार से मान्यता प्राप्त पात्र कॉलेजों से एनटीटी की डिग्री ले रखी है. जबकि इनमें से करीब 1300 अभ्यर्थी ऐसे है जिनकी नौकरी लग चुकी है. यानि अब प्रदेश में केवल 1400 अभ्यर्थी ऐसे है जिनके पास एनटीटी की डिग्री है. इसके बाद एनटीटी की आखिरी भर्ती में केवल 1400 अभ्यर्थी ही परीक्षा के लिए आवेदन कर सकते थे, क्योंकि उन्हीं के पास एनटीटी की डिग्री है. लेकिन आपको ये जानकर हैरानी होगी कि इस भर्ती के लिए 1400 नहीं, बल्कि 24268 अभ्यर्थियों ने आवेदन किया है. यानि इसमें से 22868 अभ्यर्थी फर्जी डिग्री लेकर परीक्षा में बैठ रहे है.
सरकार ने दिए जांच के आदेश
जब जी मीडिया ने यह पूरा मामला सरकार में महिला बाल विकास मंत्री ममता भूपेश के संज्ञान में लाया तो उन्होंने तुरंत कार्रवाई के आदेश दिए. ममता भूपेश का कहना है कि "किसी भी अपात्र अभ्यर्थियों को परीक्षा में बैठने नहीं दिया जाएगा और पात्र अभ्यर्थियों को परीक्षा में बैठने का पूरा हक मिलेगा. उनका कहना है कि कांग्रेस सरकार पूरी निष्पक्षता के साथ सरकार चला रही है और इस भर्ती में भी पूरी तरह निष्पक्षता बरतते हुए दोषियों के खिलाफ कार्रवाई होगी."
राजस्थान में एनटीटी भर्ती की आखिरी परीक्षा क्यों
एनसीटीई (National Council for Teacher Education) ने एनटीटी कोर्स को तृतीया श्रेणी शिक्षक भर्ती के लिए अमान्य करार देते हुए 2010 में यह कहा था कि केंद्र स्तर पर इसे मान्यता नहीं दी जाएगी. राज्य चाहे तो अपने स्तर पर एनटीटी का कोर्स करवा सकता है. लेकिन राजस्थान सरकार ने 2010 में ही एनटीटी कोर्स कराने वाले संस्थानों की मान्यता वापस ले ली थी. तब से राज्य में एनटीटी की परीक्षा भी बंद है. लेकिन कोर्स बंद होने के बाद राजस्थान में ऐसे कई हजारों अभ्यर्थी थे,जिन्होंने एनटीटी में करियर बनाने के लिए कोर्स कर रहे थे.
इसके बाद पिछली गहलोत सरकार में कोर्स किए हुए अभ्यर्थियों आंदोलन को देखते हुए तत्तकालीन गहलोत सरकार 2011-12 में महिला बाल विकास विभाग के अधीन शाला पूर्व प्राथमिक अध्यापक का कैडर बनाया और 500 पदों के लिए भर्ती निकाली, 2012 में परीक्षा हुई नौकरी मिली. उसके बाद बजट 2013 में गहलोत सरकार ने 1 हजार पदों की घोषणा और की, जिसकी परीक्षा 19 जनवरी 2014 को होनी थी. लेकिन तत्कालीन वसुंधरा सरकार ने परीक्षा को समीक्षा में ही डाल दिया. एनटीटी अभ्यर्थियों द्धारा आंदोलन के बाद 2016 में परीक्षा करवाई और अभ्यर्थियों को नियुक्ति दी 910 गई. उसके बाद शेष रहे अभ्यर्थियों द्धारा आंदोलन करने पर बजट 2018 में 1 हजार पदों की घोषणा की गई. जिसकी संभावित परीक्षा फरवरी में होगी.
जी मीडिया के इस खुलासे के बाद में एनटीटी संघर्ष समिति के प्रदेश उपाध्यक्ष राजेश तिवाडी ने मांग की है कि महिला बाल विकास विभाग और अधीनस्थ बोर्ड के तत्वाधान में एक कमेटी का गठन किया जाए और दस्तावेजों की जांच कर फर्जी तरीके से डिग्री लेने वालों के खिलाफ कानूनी कार्रवाई की जाए. वहीं पात्र अभ्यर्थी ब्रहा कुमार का कहना है कि सालों से आंदोलन करने के बाद सरकार ने भर्ती निकाली और हम हमारी मेहनत पर डाका कोई और डाल रहा है. वहीं पात्र अभ्यर्थी विद्याधर डाका ने भी सरकारी सिस्टम को कोसते हुए कहा कि यदि भर्ती निकालनी ही थी तो डिग्रीधारियों को परीक्षा में बैठाने की क्या जरूरत थी, वैसे ही परीक्षा में फर्जी डिग्रीधारियों को नौकरी दे दी होती.