खासकर गेंहू, आलू और सरसों को खाद की नितांत आबश्यकता है. इन तीनों फसलों के पौधों में पीलापन आ रहा है.
Trending Photos
धौलपुर: राजस्थान के धौलपुर जिले में यूरिया खाद की किल्लत खत्म होने का नाम नहीं ले रही है. जिले का कास्तकार यूरिया खाद के लिए दर दर की ठोखरे खाने को मजबूर हो रहा है. किसानों को सुबह से शाम तक खाद बीज विक्रेताओं की दुकानों पर लाइन में खड़ा होने के बाद भी खाद का एक दाना भी नसीब नहीं हो रहा है. जिस कारण किसानों द्वारा तैयार की गई सरसों, आलू, मटर और गेंहू की सफल पर संकट के बादल मंडरा रहे हैं.
किसानों ने बताया कि बुबाई से लेकर अब तक खरीफ फसल का सीजन बहुत अच्छा रहा है. किसानों ने मेहंगे खाद बीज और कीटनाशक डालकर फसल को बनाया था लेकिन खरीफ की सरसों, आलू, मटर और गेंहू में मौजूदा समय में यूरिया खाद की सख्त जरुरत है. खासकर गेंहू, आलू और सरसों को खाद की नितांत आबश्यकता है. इन तीनों फसलों के पौधों में पीलापन आ रहा है.
सरसों में फंगीसाइड और तना गलन रोग की शुरुआत हो चुकी है. वहीं आलू झुलसा रोग की चपेट में आ रहा है. गेंहू की फसल को पकाव तक चार से पांच बार पानी की आवश्यकता होती है. यानी सबसे अधिक पानी से गेंहू को पकाव तक पहुंचाया जाता है. किसानों ने पानी तो निजी संसाधनों द्वारा गेंहू की फसल को लगा दिया लेकिन यूरिया खाद नहीं होने से पौधा कमजोर हो रहा है. जड़ों से लेकर पत्तियों तक पौधे पीले पड़ रहे हैं. ऐसे में पानी के साथ यूरिया खाद की सख्त जरूरत है. किसानों ने कहा कि अगर खेती के समय पर खाद नहीं मिला तो फसल बर्बाद हो सकती है या फिर उत्पादन में बहुत कमी आएगी.