छठ मैय्या के गीतों से माहौल धार्मिक हो गया. खरना के बाद व्रती महिला-पुरुष 36 घंटे तक बिना अन्न और जल के उपवास रखते हैं और उदय होते सूर्य को अर्घ्य देने के बाद प्रसाद ग्रहण करते हैं.
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Keshoraipatan: पूर्वांचल का सबसे महत्वपूर्ण और शुद्ध रूप से प्रकृति को समर्पित छठ महोत्सव का सोमवार को उदीयमान सूर्य को अर्घ्य देने के साथ ही समापन हो गया. कस्बे की एसीसी कोलोनी मे कामगार संघ अध्यक्ष कुमार आशुतोष के घर पर पिछले 17 वर्षो से छठ महोत्सव मनाया जा रहा है.
पहले दिन नहाए खाए के बाद घर को शुद्ध करने के बाद व्रती लोगों ने खरना किया. इसके अगले दिन अस्त होते सूर्य को अर्घ्य दिया और समाज के लिए मंगल कामना की. सोमवार सुबह उदय होते सूर्य को अर्घ्य दिया गया. व्रत करने वाली महिला-पुरुषों ने जल में खड़े होकर सूर्य की उपासना की.
इस दौरान छठ मैय्या के गीतों से माहौल धार्मिक हो गया. खरना के बाद व्रती महिला-पुरुष 36 घंटे तक बिना अन्न और जल के उपवास रखते हैं और उदय होते सूर्य को अर्घ्य देने के बाद प्रसाद ग्रहण करते हैं.
पूर्वांचल के इस लोक उत्सव की झांकी देखने के लिए कस्बे में लोगों में उत्सुकता रही. राजस्थानी संस्कृति से एकदम अलग परिवेश में छठ उत्सव को देखकर लोगों में खुशी छाई. यह एक ऐसा उत्सव होता है, जिसमे प्रकृति प्रदत्त उत्पादों के साथ मौसम के अनुकूल फलों सहित अन्य सामानों के साथ छठ मैय्या और सूर्य की पूजा करके अर्पण करते हैं. इस पर्व में बांस की बनी टोकरी-सुपे का प्रयोग किया जाता है.
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अन्य धातु के बर्तन प्रयोग में नहीं लिए जाते है. अस्त होते सुर्य को अर्घ्य देने के बाद पूजा-स्थल पर कोशी भरी जाती है, जिसमे गन्ने का घर बनाकर कोशी पर दीपक जलाए जाते हैं. कोशी उस स्थिति में भरते है, जब श्रदालुओं की मनोकामना पूर्ण होती है. इस दौरान पूर्वांचल के परिवारों ने इसमे भाग लिया.
Reporter- Sandeep Vyas