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निंबाहेड़ा: मेवाड़ के प्रसिद्ध श्री शेषावतार कल्लाजी वेदपीठ के सप्तदश कल्याण महाकुंभ के उपलक्ष्य में घुलोक स्थित श्री मार्तण्ड यज्ञशाला में पांच दिवसीय 51 कुण्डीय श्री मार्तण्ड महायज्ञ शुक्रवार से प्रारंभ होगा. वेदपीठ के पदाधिकारियों ने बताया कि प्रथम दिवस 300 से अधिक यजमान युगल इस महायज्ञ में गौघृत एवं शाकल्य की आहूतियां देकर भगवान सूर्यनारायण सहित ब्रह्माण्ड के समस्त देवों एवं वेदपीठ पर विराजित ठाकुरजी सहित पंच देवों की कृपा प्राप्ति का जतन करेंगे. उन्होंने बताया कि गुरूवार को यज्ञशाला में स्थापित देवताओं एवं सभी पीठों का वैदिक मंत्रोच्चार के साथ आचार्यों एवं बटुकों ने पूजन कर इस महायज्ञ को सफलतम बनाने की कामना की.
मार्तण्ड महायज्ञ का शुभारंभ ऋग्वेद की अग्नि सूक्त की ऋचाओं के गान के साथ अरणी मंथन कर अग्नि देव को प्रकट करते हुए प्रदान यज्ञकुण्ड में स्थापित करने के बाद विधिवत सभी 51 कुण्डों में अग्निदेव को प्रकट करते हुए यज्ञ प्रारंभ किया जाएगा. श्री मार्तण्ड यज्ञशाला के चारों ओर श्रंगार और आकाश में आए बादलों से आज यह गीता जी श्लोक अन्नाद्भवन्ति भूतानि पर्जन्यादन्नसम्भवः. यज्ञाद्भवति पर्जन्यो यज्ञः कर्मसमुद्भवः..3.14.. सिद्ध हो रहा है. सप्तदश कल्याण महाकुंभ में बनी यज्ञशाला के चारों तरफ श्रीयज्ञनारायण भगवान का श्रृंगार स्वयं पर्जन्य देव कर रहे है यह दृश्य अद्भुत एवं अकल्पनीय हैं.
ठाकुरजी को धराया पंच मेवों का छप्पनभोग
कल्याण महाकुंभ के दौरान वेदपीठ पर विराजित ठाकुरश्री को नित्य नए छप्पनभोग के क्रम में गुरूवार को पंच मेवों का छप्पनभोग न्यौछावर किया गया. जिसकी झांकी देखते ही बनती थी.
सतरंगी फूलों से सजे राजाधिराज
महाकुंभ के तृतीय दिवस कल्याण नगरी के राजाधिराज को ठाकुर श्री कल्लाजी को सतरंगी फूलों से सुसज्जित किया गया. जिनकी मनमोहिनी छवि ने भक्तों को अपलक निहारने के लिए विवश कर दिया. दूर दराज से मंगवाएं फूलों की महक से समूचा वेदपीठ भिनी भिनी सुगंध से महक रहा था. वहीं दिनभर दर्शनार्थियों का तांता लगा रहा. वेदपीठ के आचार्यों द्वारा ठाकुरजी का सतरंगी पुष्पों से श्रंगार करने से पूर्व उनके द्वारा किए गए चंदन के लेप के फलस्वरूप ठाकुरजी युवा रूप में भक्तों के लिए आकर्षण का केन्द्र बने हुए थे.
श्री कृष्ण की नूतन प्रतिमा व ठाकुरजी का किया महारूद्राभिषेक
श्री कल्लाजी वेदपीठ द्वारा कल्याणलोक के समीपस्थ संचालित कल्याण गौशाला में स्थापित की जाने वाली भगवान श्री कृष्ण की प्रतिमा तथा ठाकुरजी श्री कल्लाजी का उनके प्रिय 21 द्रव्यों, पदार्थों से महारूद्राभिषेक किया गया, वहीं नूतन प्रतिमा का शुक्रवार को सर्व औषाधिवास के साथ ही वस्त्राधिवास कराया गया.
महाकुंभ के दौरान भजन संध्या का आयोजन जारी
महाकुंभ के चतुर्थ दिवस 17 जून शुक्रवार रात्रि को श्याम रंगीला बजरंग मित्र मंडल शंभूपुरा की भजन संध्या का आयोजन किया जाएगा. गायक गोपाल नामदेव एवं साथियों द्वारा प्रस्तुतियां दी जाएगी. पंचम दिवस 18 जून शनिवार को उज्जैन के प्रसिद्ध गायक पंडित रोहित भूषण मिश्रा एंड ग्रुप की भजन संध्या का आयोजन होगा. जिसमें गायक अपनी मधुर स्वर से ठाकुर श्री के भजनों की प्रस्तुतियां देंगे. षष्ट्म दिवस 19 जून रविवार को भजन गायक पंकज तिवारी एंड ग्रुप मनासा भजन संध्या में खाटू श्याम के दरबार में प्रस्तुति देंगे. महाकुंभ के अंतिम दिवस 20 जून सोमवार को भजन सम्राट महेंद्रसिंह राठौड़ सभी भक्तों के बीच भजन के माध्यम से भगवान व भक्तों को लुभाएंगे.
वीररस से ओतप्रोत कवि सम्मेलन
सप्तदश कल्याण महाकुंभ के अवसर पर तृतीय दिवस सुमंतु कथा मंडपम में वीर रस से सराबोर विराट कवि सम्मेलन का आयोजन किया गया. जिसमें श्रोता देर रात तक जमे रहे. देर रात तक चले कवि सम्मेलन में वेदपीठ के कवि संदीप शर्मा ने सोए हुए भारत में फिर से अलख जगानी है. ईटावा के कवि देवेन्द्रप्रतापसिंह आग ने पापियों के पक्ष में पितामाह खड़े थे व केशव भी कहां थे तटस्थ धर्मयुद्ध में की रचना प्रस्तुत की. इसी प्रकार राजसमंद के कवि गौरव पालीवाल ने चारभुजानाथ श्रीनाथ जी हमारों हैं. सुमंतु मंडपम को भक्ति मय बना दिया. हिगोरिया के कवि विकास नागदा ने घास की रोटी खाकर हमको महाराणा प्रताप बनना होगा, नीमच की कवियत्रि दीपशिखा रावल ने अजेय विश्व सम्पदा है वन्दनीय भारतीय का काव्य पाठ किया.
इंदौर के कवि मुकेश मोलवा ने कवि सम्मेलन का ओजस्वी संचालन करते हुए गौमांस खाने वाले से हम रिश्तों जोड़ते नहीं है की काव्य रचना प्रस्तुत की. उदयपुर के कवि सिद्धार्थ देवल ने ठाकुर श्री कल्लाजी के प्रति श्रद्धा प्रकट करते हुए कहा कि मै कल्ला हूं मेवाड़ी सूरज ना डूबने दूंगा. लखनऊ के कवि प्रख्यात मिश्रा ने या तो यह तिरंगा लपेट घर आऊंगा या तो यह तिरंगा सीमा पार लहराएगा प्रस्तुत कर वातारण को देशभक्ति से ओतप्रोत कर दिया. नेवी से रिटायर्ड अधिकारी व कवि राज शेखावत पिलानी ने धरती पर संकट आया तो कल्लाजी राठौड़ को आना पड़ा. पूरे कवि सम्मेलन के सूत्रधार एवं स्व.शांति तूफान के शिष्य विनोद सोनी कल्याण नगरी निंबाहेड़ा ने कल्लाजी की यह सेना इतिहास बनाने वाली की प्रस्तुति दी. कवि सम्मेलन से पूर्व इंदौर से आए कवि मुकेश मोलवा ने स्वरचित गौग्रंथ धेनू ही धर्म ठाकुरजी को भेंट किया.
Reporter- Deepak vyas