एक तरफ तो जहां देश में लोग अपने स्वार्थ के लिए पेड़-पौधों की कटाई कर रहे हैं वहीं दूसरी ओर एक ऐसा अधिकारी जो अपने हर दिन की शुरुआत पेड़-पौधों की देख-रेख से कर रहा हैं. एक ऐसा व्यक्ति जिनका पर्यावरण से बचपन से जुड़ाव रहा है.
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Sujangarh: एक तरफ तो जहां देश में लोग अपने स्वार्थ के लिए पेड़-पौधों की कटाई कर रहे हैं वहीं दूसरी ओर एक ऐसा अधिकारी जो अपने हर दिन की शुरुआत पेड़-पौधों की देख-रेख से कर रहा हैं. एक ऐसा व्यक्ति जिनका पर्यावरण से बचपन से जुड़ाव रहा है. यह है बीदासर के उपखंड अधिकारी श्योराम वर्मा इन्होंने अपने जीवन में पर्यावरण की अलख जगाते हुए हमेशा पेड़-पौधों की देखभाल की है.
बता दें कि अपने दिन की शुरुआत पेड़-पौधों की देख-रेख से करते आ रहे हैं और इनका पर्यावरण से बचपन से जुड़ाव रहा है. सादगी से जीवन जीने वाले प्रशासनिक अधिकारी वर्मा का अंदाज बिल्कुल अलग है. बचपन से ही पेड़-पौधे लगाने का शौक रखने वाले उपखंड अधिकारी सयोराम वर्मा अब तक सैंकड़ों पेड़ पौधे लगा चुके हैं. मिलिट्री की नौकरी ज्वाइन करने से लेकर एसडीएम के पद पर पदोन्नति तक जिस गांव में भी इनका तबादला हुआ वहां कोई स्कूल, गौशाला और सार्वजनिक स्थान नहीं छोड़ा, जहां पेड़ पौधे नहीं लगाएं हो और अबतक हजारों पेड़-पौधे लगा चुके है. जो बड़े होकर घने पेड़ों में बदल चुके हैं.
एसडीएम का कहना है कि उन्हें ये प्रेरणा अपने पिता स्वर्गीय भगवानाराम से मिली जो पर्यावरण और जीव-जन्तुओं से प्यार करते थे. जब एसडीएम श्योराम वर्मा 2019 में तबादला होकर बीदासर आए तब से अनेकों स्थानों पर पेड़-पौधे लगाकर आमजन को पर्यावरण के प्रति प्रेरित करते रहते हैं. बहुत से शासकीय कार्यालयों में गंदगी और अव्यवस्थाओं का आलम देखने को मिलता है लेकिन किसी सरकारी कार्यालय में हरे-भरे पौधे लगे हो तो फिर बात ही अलग है.
बीदासर के उपखंड और तहसील कार्यालय की बात करें तो यहां अशोक, कनेर, केला, नीम, खेजड़ी, सीसम, बकान, गुलाब, तुलसी, कालमेघ, फोग, फिरान्स, सयजन, अश्वगंधा, फाइकस, बोगण विलिया, सहित अन्य प्रजाति के पेड़-पौधे लगाए गए हैं. एसडीएम ने पिछले कई सालों में और खास तौर पर लॉकडाउन के दौरान अपने कार्यालय में गार्डन बनाने के लिए कई अलग-अलग तरह के पौधे लगाए और फिर उनकी लगातार पानी और खाद डालकर सेवा की, आज वह पौधे बड़े हो गए हैं और अब कार्यालय किसी बगीचे से कम नहीं लगता.
इस दौरान उपखंड अधिकारी ने कहा कि इस पूरे काम में कोई सरकारी बजट खर्च नहीं किया गया. इसमें कुछ भामाशाहों का सहयोग और अपने निजी खर्च से यह कार्य हुआ है. साथ ही वर्मा ने कहा कि उनके साथी अफसरों, कर्मचारियों, नगरपालिका कर्मचारियों और कुछ निजी टैंकर चालकों का भी सहयोग रहा. उपखंड अधिकारी ने कोरोना काल के दिनों को याद करते हुए कहा कि अगर हम पेड़-पौधे लगाने और उन्हें पालने में अपना समय दें तो हमें ऑक्सीजन सिलेंडरों की कभी आवश्यकता ही नहीं पड़ेगी.
एसडीएम श्योराम वर्मा के प्रसाशनिक कार्य की बात करें तो इन्होंने वर्ष 1982 से 1998 तक मिलिट्री में सर्विस की और इसके बाद एक वर्ष तक राजस्थान राज्य विधुत मंडल, 2 वर्ष तक जिला साक्षरता समिति झुंझुनूं में जिला समन्वयक पद पर रहें है. वर्ष 2003 से 2005 तक सहकारिता विभाग में निरीक्षक के पद पर रहें और वर्ष 2005 से 2016 तक तहसीलदार सेवा में डीडवाना, अनुपगढ़, बीकानेर, चूरू और बीदासर रहे और मई 2016 में राजस्थान आरएस सेवा में पदोन्नति के बाद घडसाना (श्रीगंगानगर), नोखा (बीकानेर) और वर्तमान में चूरू के बीदासर एसडीएम के पद पर रहकर सेवाएं दे रहे है. वर्मा जहां भी तबादला होकर जाते है वहां सैंकड़ों पौधे लगा देते है और आमजन को पर्यावरण के प्रति प्रेरित करते रहते है.
Reporter: Gopal Kanwar
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