Churu news: अस्पताल में 7 वार्ड की जनता ही नहीं बल्कि, 12 महीनों से अस्पताल को भी है डॉक्टर का इंतजार
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Churu news: अस्पताल में 7 वार्ड की जनता ही नहीं बल्कि, 12 महीनों से अस्पताल को भी है डॉक्टर का इंतजार

चूरू में सरदारशहर तहसील के शहरी प्राथमिक स्वास्थ्य केंद्र में बीते 1 साल से भी ज्यादा समय से कोई डॉक्टर नहीं है  7 वार्ड के लोग अपनी स्वास्थ्य संबंधी समस्याओं को लेकर आते हैं, लेकिन मायूस होकर वापस लौट जाते हैं

 

Churu news: अस्पताल में 7 वार्ड की जनता ही नहीं बल्कि, 12 महीनों से अस्पताल को भी है डॉक्टर का इंतजार

Churu news: एक तरफ प्रदेश सरकार चिकित्सा सुविधाओं को बढ़ाने को लेकर व अपनी फ्री दवा योजनाओं, चिरंजीव स्वास्थ्य बीमा योजना को लेकर चर्चाओं में है और दावा करती है कि प्रदेश की सरकार जनता के स्वास्थ्य के प्रति काफी गंभीर हैं. लेकिन जमीनी स्तर पर ऐसा नहीं हैं. वही बात यदि धरातल की करें तो धरातल में अब भी लोग स्वास्थ्य संबंधी समस्याओं से जूझ रहे हैं. अब भी गांव ढाणी कस्बों में अस्पतालों के अंदर डॉक्टर पर्याप्त संख्या में नहीं है जिसके चलते गहलोत सरकार की महत्वकांक्षी योजनाएं धरातल पर दम तोड़ती हुई नजर आ रही है.

इसी का उदाहरण है सरदारशहर तहसील का शहरी प्राथमिक स्वास्थ्य केंद्र वार्ड नंबर 13 में स्थित शहरी प्राथमिक स्वास्थ्य केंद्र में 7 वार्ड के लोग अपनी स्वास्थ्य संबंधी समस्याओं को लेकर आते हैं, लेकिन शर्म की बात यह है कि यहां पर ना तो कोई डॉक्टर है ओर ना ही कोई नर्सिंग स्टाफ है. महज एक एएनएम के सहारे यह शहरी प्राथमिक स्वास्थ्य केंद्र चल रहा है. जिसके चलते यहां पर आने वाले बीमार लोगों को मायूस होकर वापस लौटना पड़ रहा है. पूरा स्टाफ नही होने के चलते यहां पर अधिकांश उपकरण धूल फांक रहे हैं.

डॉक्टरों की कुर्सियों पर मिट्टी की मोटी मोटी परत नजर आती है. ऐसे में इस स्वास्थ्य केंद्र के प्रति लोगों में धीरे-धीरे आक्रोश बढ़ता जा रहा है. आसपास के लोगों का कहना है कि इस स्वास्थ्य केंद्र से 7 वार्ड के लोग लाभान्वित पहले होते थे, लेकिन बीते 1 साल से भी ज्यादा समय से यहां पर डॉक्टर नहीं होने के चलते शहरी प्राथमिक स्वास्थ्य केंद्र का लोग लाभ नहीं ले पा रहे हैं. जिसके चलते स्थानीय लोगों में आक्रोश है. जिसको लेकर बड़ी संख्या में मोहल्ले के लोगों ने स्वास्थ्य केंद्र परिसर में प्रशासन के खिलाफ जमकर प्रदर्शन किया.

लोगों की स्वास्थ्य संबंधी जरूरतों को ध्यान में रखते हुए सूबेदार की टंकी स्थित तत्कालीन भाजपा सरकार ने इस अस्पताल को बनवाया था, इसका उद्घाटन तत्कालीन ग्रामीण विकास एवं पंचायती राज मंत्री राजेंद्र राठौड़ ने 23 सितम्बर 2018 को किया था. वार्ड के मनोज गोदारा ने बताया कि शुरू में इस अस्पताल की व्यवस्था एनजीओ के पास थी, काफी अच्छी सुविधाएं लोगों को यहां मिली. काफी अच्छे डॉक्टर थे, इसके चलते आसपास के 7 वार्ड के हजारों लोग इस स्वास्थ्य केंद्र से लाभान्वित हो रहे थे. फिर अस्पताल में एनजीओ का कार्यकाल पूरा हो गया.

 जिसके बाद सरकार ने इसे अपने अधीन कर लिया. जिसके बाद से धीरे-धीरे इस अस्पताल की व्यवस्थाओं को ग्रहण लग गया. हमने विधानसभा उपचुनाव के दौरान हमारे विधायक अनिल शर्मा से अस्पताल में डॉक्टर लगाने की मांग भी की लेकिन उन्होंने कहा कि चुनाव के बाद 25 दिसंबर तक यहां डॉक्टर लगा दिया जाएगा लेकिन अब तक यहां डॉक्टर नहीं लगा है. स्वास्थ्य केंद्र की बदहाली की जिम्मेदार कहीं ना कहीं स्थानीय राजनीति भी है.

 वार्ड के मनोज शर्मा ने बताया कि राजनीति के चलते यहां पर डॉक्टर नहीं लग रहा है. हम हमारे सभी नेताओं जनप्रतिनिधियों से अस्पताल में डॉक्टर लगाने की मांग कर चुके हैं. पहले इस स्वास्थ्य केंद्र में अच्छी व्यवस्था थी लेकिन अब यह अस्पताल राजनीति की भेंट चढ़ गया है. ना तो सत्तापक्ष हमारी सुनवाई कर रहा है ओर ना ही विपक्ष इस ओर ध्यान दे रहा है. डॉक्टर नर्सिंग स्टाफ नहीं होने के चलते आम लोगों को सरकारी योजनाओं का लाभ नहीं मिल पा रहा है. 

स्थानीय लोगों ने स्वास्थ्य केंद्र में बहुत डोनेशन दिया . लेकिन स्थानीय अधिकारी और जनप्रतिनिधि इस अस्पताल की सुध नहीं ले रहे हैं. ऐसे में धीरे-धीरे यह अस्पताल दम तोड़ रहा है. इस स्वास्थ्य केंद्र को भी एक ऑपरेशन की आवश्यकता है. वहीं स्थानीय रामप्रसाद चौहान ने बताया कि यहां पर किसी प्रकार की कोई सुविधा नहीं है ना ही कोई दवा देने वाला है और ना ही कोई देखने वाला है. यहां पर सभी इंस्ट्रूमेंट बंद पड़े हुए है, इन पर धूल जमी हुई है, धीरे-धीरे इनमें जंग लग जाएगा. 

जब भी यहां पर दिखाने आते हैं तो यहां ताला लगा मिलता है. पहले यह शहर में एक नंबर का हॉस्पिटल था लेकिन 1 साल से यह हॉस्पिटल राम भरोसे चल रहा है. हॉस्पिटल को बंद करके यहां पर सामुदायिक धर्मशाला बना दी जाए ताकि आम लोगों के शादी विवाह में यह काम आ सके. सरकार को यहां पर डॉक्टर, कंपाउंडर और नर्स की व्यवस्था करनी चाहिए. स्थानीय सीताराम ने बताया कि जब भी यहां पर दिखाने के लिए आते हैं तो केवल एक नर्स मिलती है.

उनका कहना होता है कि डॉक्टर की पर्ची के बिना मैं दवाई दे नहीं सकती. ऐसे में इस हॉस्पिटल का कोई लाभ यहां के लोगों को नहीं मिल रहा है. पहले हम यहां पर दवाई लेने आते थे दिखाने आते थे लेकिन 1 साल से यहाँ कोई डॉक्टर नहीं है. आखिर क्यों 7 वार्ड के लोगों के साथ इस प्रकार का भद्दा मजाक हो रहा है. इसे जानने के लिए जब हमने सत्ता पक्ष और विपक्ष के पार्षदों को फोन लगाया तो अधिकांश पार्षदों ने कहा कि हम बाहर हैं.

 वहीं कुछ पार्षदों ने तो फोन उठाना भी मुनासिफ नहीं समझा. स्वास्थ्य केंद्र की अव्यवस्थाओं को लेकर जब हमने बीसीएमएचओ विकास सोनी से बात की तो उन्होंने बताया कि सूबेदार जी की टंकी के पास जो शहरी स्वास्थ्य केंद्र संचालित है पिछले साल तक उन्हें पब्लिक प्राइवेट पार्टनरशिप मोड के तहत चलाया जाता था. जिसके अंतर्गत जो भी चिकित्सकीय स्टॉप वहां पर कार्यरत था वो कॉन्ट्रैक्ट बेसिस पर कार्य करता था और पिछले 3 सालों से वहां पर कांट्रेक्चुअल चिकित्सा अधिकारी से लेकर वार्ड बॉय तक सभी स्टाफ उपलब्ध थे, उन्होंने नियमित सेवाएं कोविड-19 में दी.

 पिछले साल चूंकि यह कॉन्ट्रैक्ट खत्म हो गया था, उसके बाद में यहां प्राथमिक स्वास्थ्य केंद्रों को अपग्रेड करके एनयूएचएम राष्ट्रीय शहरी ग्रामीण स्वास्थ्य मिशन के तहत अपग्रेड कर दिया गया. आज के दिनांक में वहां पर पीएचएस, एएनम, डाटा एंट्री ऑपरेटर यह 3 पद पर वहां पर कर्मचारी कार्यरत है. चिकित्सा अधिकारी नियमित जयपुर उच्च स्तर से लगाया जाता है. इस बारे में सीएमएचओ साब को भी अवगत करवा दिया गया है. आकस्मिक कार्य व्यवस्था के संचालन के लिए हमने पूलासर के चिकित्सा अधिकारी को मंगलवार और शुक्रवार को यहां पर डेपुटेशन के आधार पर लगाया हुआ है.

 इस बारे में हाल ही में मेरी सीएमएचओ साहब से बात हुई थी, उन्होंने आशा जताई है कि जल्द ही कलेक्टर साहब की अध्यक्षता में अर्जेंट टेंपरेरी बेसिस जो यूटीपी के डॉक्टर होते है उनको लेने की जो प्रक्रिया है जो जिला स्तर पर चल रही है. आगामी दिवस में यहाँ पर कॉन्ट्रैक्ट से यूटीपी डॉक्टर लगाए जाने की बात कही जा रही है. क्या यहां राजनीति के चलते डॉक्टर नहीं लगाई जा रहे हैं ? इस सवाल पर बीसीएमएचओ डॉ विकास सोनी ने बताया कि यहां पर किसी प्रकार की कोई राजनीति नहीं है

 यह टेक्निकल इश्यू है. पीपीपी मोड से एनएचयू में स्थानिक होने के चलते चिकित्सा अधिकारी नहीं आ पा रहे हैं, लेकिन विभाग ने हमे यह आश्वासन दिया है आगामी दिवस में यूटीपी से जल्दी डॉक्टर लगा दिया जाएगा. लेकिन बड़ा सवाल यह है कि आखिर 1 साल से यहा डॉक्टर क्यों नहीं लगाया गया. स्वास्थ्य केंद्र में अभी चिकित्सा अधिकारी, जीएनएम, फार्मासिस्ट,वार्ड बॉय और लेव टेक्नीशियन के पद खाली पड़े हैं. यहां पर किसी प्रकार की कोई चिकित्सकीय सुविधा स्थानीय लोगों को नहीं मिल रही है. हैरत की बात यह है कि इस मामले में ना तो कांग्रेस के जनप्रतिनिधि कुछ बोल रहे हैं ना ही भाजपा के नेता अपना मुंह खोल रहे हैं. ऐसे में यहां की जनता राम भरोसे है. 

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