Dausa news: देश में इलेक्ट्रोल बांड को लेकर चर्चाएं तेज हैं. कोर्ट के आदेश के बाद हाईकोर्ट जस्टिस अनिल कुमार उपमन ने बड़ा बयान दिया है.सर्वोच्च न्यायलय ने कहा नही पैसा कहा से आ रहा है .इसका जनता को जानने का पूरा हक.इसलिए सर्वोच्च न्यायालय ने इलेक्ट्रोल बांड स्कीम को किया निरस्त.
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Dausa news: देश में इलेक्ट्रोल बांड को लेकर चर्चाएं तेज हैं. कोर्ट के आदेश के बाद हाईकोर्ट जस्टिस अनिल कुमार उपमन ने बड़ा बयान दिया है. जस्टिस अनिल कुमार उपमन ने कहा कि सर्वोच न्यायलय ने दिया है निर्णय,उसे मीडिया जनता के सामने रखे और बताएं इसके पिछे न्यायलय की मंशा क्या है.
साथ ही अनिल कुमार उपमन ने राजनितिक दलों को लेकर बयान दिया .अनिल कुमार उपमन ने कहा राजनीतिक दलों के पास पैसा कहा से आ रहा है इसकी जानकारी जनता को नहीं देते, लेकिन सर्वोच्च न्यायलय ने कहा नही पैसा कहा से आ रहा है. इसका जनता को जानने का पूरा हक.इसलिए सर्वोच्च न्यायालय ने इलेक्ट्रोल बांड स्कीम को किया निरस्त.
जनता को पूरा हक
अनिल कुमार उपमन ने कहा कि न्यायलय के पास संविधान के अनुसार असीमित शक्तियां है.सरकारों द्वारा किए जा रहे कोई भी गैर कानूनी कार्य को अदालत अपने अधिकार क्षेत्र का प्रयोग कर ज्यूडिशियल रिव्यू करते हुए उसे निरस्त कर सकती है.
सुप्रीम कोर्ट का आदेश
आपको बता दें कि इस वक्त देश में इलेक्ट्रोल बांड को लेकर चर्चाएं तेज हैं. दरअसल लोकसभा चुनाव से पहले ही इलेक्ट्रोल बांड को लेकर सुप्रीम कोर्ट ने बड़ा फैसला सुनाया है.रिपोर्ट का कहना है कि लोकसभा के दृष्टी से यह फैसला बहोत अहम भी है. कोर्ट ने इलेक्ट्रोल बांड अवैध मानते हुए इसको रद्द कर दिया है. कोर्ट ने कहा कि जनता को यह जानने का पूरा हक है कि पार्टी के पास कहा से फंड आ रहा है.
क्या है इलेक्टोरल बॉन्ड ?
इलेक्टोरल बॉन्ड चुनाव के समय दान लेने के राजनितिक दलों व्दारा इस्तेमाल किए जाने वाला सरकार की एक योजना है. रिपोर्ट के मुताबिक इलेक्टोरल बॉन्ड योजना 29 जनवरी 2018 को कानूनन लागू कर दिया गया.इसमें कोई भी साखा या कोई भी किसी भी पार्टी को गुमनाम तरीके से चंदा दे सकता है.