Student suicide in Dausa: दौसा के लालसोट में दसवीं कक्षा में पढ़ने छात्रा ने परीक्षा के डर से घर में ही फांसी का फंदा लगाकर अपनी जीवन लीला को समाप्त कर लिया. उसने मरने से पहले एक सुस्साइड नोट भी छोड़ा है. जिसमें उसने अपने माता पिता से माफी मांगते हुए छोटे भा को ILove you कहा.
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Student suicide in Dausa: दौसा के लालसोट में दसवीं कक्षा में पढ़ने वाली निजी स्कूल की एक छात्रा ने फांसी का फंदा लगाकर अपनी जीवन लीला को समाप्त कर ली. हादसे की सूचना पर लालसोट पुलिस मौके पर पहुंची और घटनास्थल का मौका मुआयना किया. जिसमें पुलिस को एक सुसाइड नोट भी मिला. पुलिस ने सुसाइड नोट को अपने कब्जे में लेते हुएम छात्रा के शव को लालसोट जिला अस्पताल की मोर्चरी में रखवाया. जहां डॉक्टर ने मृतक लड़की की बॉडी को जांच के बाद मृत घोषित कर दिया. पुलिस ने मामले की जांच पड़ताल में जुट गई.
सुसाइड नोट के मुताबिक छात्रा बोर्ड परीक्षाओं को लेकर बेहद डरी हुई थी. सुसाइड नोट में छात्रा की पहचान खुशबू ने हुई. जो कक्षा 10वीं में पढ़ती थी. खुशबू के सुसाइड नोट में लिखा था 'आई एम सो सॉरी पापा- मम्मी मुझसे नहीं हो पाएगा. मैं नहीं बना पाती शायद 95 प्लस परसेंटेज. मैं परेशान हो गई हूं.' 10th क्लास से मुझसे अब और नहीं सहा जाता I love you papa mummy and Rishabh I am so sorry. आपकी खुशबू.
दरअसल, पूरे प्रदेश में मार्च माह में बोर्ड की परीक्षाएं आयोजित होनी है. परीक्षा का डर हमेशा विद्यार्थियों के मन में बना रहता है और उस डर को निकालने के बजाय जब परिजन भी उन पर अधिक अंक लाने का दबाव बनाते हैं तो वे और ज्यादा परेशान हो जाते हैं और कई बार अपना आत्मविश्वास भी खो देते हैं. जब आत्मविश्वास खत्म होता हैं तो बच्चे सुसाइड जैसा बड़ा कदम उठा लेते हैं. बेवजह मौत को गले लगा कर दुनिया को अलविदा कह जाते हैं और शायद यही दसवीं कक्षा की छात्रा खुशबू के साथ हुआ जिसने अपना आत्मविश्वास खोया और फांसी का फंदा लगाकर आत्महत्या कर ली.
बेशक आज पढ़ाई में कंपटीशन बढ़ गया हो लेकिन अपनी क्षमता के अनुसार हर विद्यार्थी पढ़ाई करता है और उसके मुताबिक अंक भी मिलते हैं लेकिन जब डर और और दबाव दिल और दिमाग में बैठता है तो वह ठीक से पढ़ नहीं पाता, जो उसने पढ़ा होता है वह भी भूल जाता है. ऐसे में दौसा जिला शिक्षा अधिकारी घनश्याम मीणा का कहना है पढ़ाई और परीक्षा को छात्र-छात्राओं को सहज में लेना चाहिए .डरे नहीं मेहनत करें और निश्चित रूप से जब मेहनत करते हैं तो उन्हें सफलता भी मिलती है अगर कई बार सफलता नहीं मिल पाती है तो वह हारे नहीं उसके लिए फिर से मेहनत करें तो निश्चित रूप से उन्हें मंजिल मिलेगी साथ ही अभिभावक भी बजाए बच्चों को डराने धमकाने के उनकी हौसला अफजाई करें और सकारात्मक सोच के साथ उनका साथ दें ताकि वह सुसाइड जैसा कदम उठाने पर मजबूर नहीं हो.