सिकराय: ग्राम पंचायतों में लाखों की लागत से लगे सोलर प्लांट खराब, बैटरियां-प्लेट भी टूटीं
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सिकराय: ग्राम पंचायतों में लाखों की लागत से लगे सोलर प्लांट खराब, बैटरियां-प्लेट भी टूटीं

स्थिति यह है कि बिजली गुल होते ही ग्राम पंचायतों में कामकाज भी बंद हो जाता है. ऐसे में इस सिस्टम से भी ग्रामीणों को फायदा नहीं मिल रहा है. इतना कुछ होने के बाद भी पंचायत राज विभाग के जिम्मेदार अधिकारी मूकदर्शक बने हुए हैं. 

सिकराय: ग्राम पंचायतों में लाखों की लागत से लगे सोलर प्लांट खराब, बैटरियां-प्लेट भी टूटीं

Sikrai: सरकार की ओर से ग्राम पंचायतों को हाइटेक बनाने के लिए लाखों की लागत से लगाए सोलर प्लांट कई वर्षों से बदहाल हैं. दौसा जिले के सिकराय उपखंड की अधिकांश ग्राम पंचायतों में यह सोलर प्लांट काम ही नहीं कर रहे हैं. 

सोलर सिस्टम में लगी बैटरियां सूख गई हैं तो कई पंचायतों में सोलर प्लांट की सूर्य ऊष्मा संग्रहण की प्लेटें भी टूटी गई है. ऐेसे में ग्राम पंचायतों में कामकाज के लिए बिजली पर निर्भरता बढ़ गई है. ऐसे में सरकार की ओर से ग्राम पंचायतों को हाइटैक बनाने का सपना हकीकत से कोसों दूर है. 

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स्थिति यह है कि बिजली गुल होते ही ग्राम पंचायतों में कामकाज भी बंद हो जाता है. ऐसे में इस सिस्टम से भी ग्रामीणों को फायदा नहीं मिल रहा है. इतना कुछ होने के बाद भी पंचायत राज विभाग के जिम्मेदार अधिकारी मूकदर्शक बने हुए हैं. बैकअप सिस्टम दुरुस्त नहीं होने से राजीव सेवा केंद्र में लगे ई-मित्र और ग्राम पंचायतों के ऑनलाइन कार्य करने में परेशानी उठानी पड़ रही है. 

क्या कहना है कार्मिकों का 
कार्मिकों का कहना है कि सोलर प्लांट काम नहीं करने से बिजली बंद होते ही सारा कामकाज भी बंद हो जाता है. ऐसे में केंद्र पर लगे कंप्यूटर सेट भी खराब हो रहे है. कंप्यूटर बार-बार फोरमेट करवाने पड़ रहे है. ऐसे में समय व आर्थिक नुकसान उठाना पड़ रहा है. 

दरअसल, सरकार की ओर से ग्राम पंचायतों को हाइटैक बनाने के लिए राजीव गांधी सेवा केंद्र पर 2013-14 में सोलर प्लांट मय बैटरी सिस्टम लगाया था, लेकिन कुछ समय चलने के बाद यह प्लांट बंद हो गया है. कार्मिकों का कहना है कि इस प्लांट की मरम्मत के लिए कई बार कंपनी में शिकायत दर्ज करवाई है लेकिन उसके बाद भी समस्या का समाधान नहीं हो रहा है.

नहीं मिल रहा है कोई फायदा
सरकार की ओर से राजीव गांधी सेवा केंद्र पर 24 घंटे बिजली उपलब्ध करवाने के लिए 3.25 लाख की लागत से सोलर प्लांट मय बैटरी सिस्टम लगाया था, यह सिस्टम पांच साल की गारंटी अवधि में था, लेकिन लगने के कुछ समय बाद से ही यह सिस्टम जवाब दे गए. हाल यह है कि अब तो यह सिस्टम बिल्कुल भी काम नहीं करते हैं. कार्मिकों का कहना है कि एक किलो वाट सौर फोटोविल्ट क्षमता वाले इस संयंत्र से पांच कंप्यूटर एवं एक प्रिंटर के पांच घंटे चलने की क्षमता है. ऐसे में ग्रामीणों को कामकाज के लिए पंचायतों में घंटों तक इंतजार करना पड़ता है. खासकर ऑनलाइन आवेदन के दौरान बिजली गुल होने पर घंटों का समय व्यर्थ गुजरता है.

कामकाज में परेशानी
ग्राम पंचायतों में सोलर प्लांट सिस्टम काम नहीं करते हैं. बिजली गुल होते ही ग्राम पंचायतों में कामकाज भी बंद हो जाता है. ऐसे में हर कामकाज को करवाने के लिए घंटों का समय गुजरता है. बिजली आने पर ही काम हो पाते हैं.

Reporter- Laxmi Avatar Sharma

 

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