डूंगरपुर में हुआ पहला साहित्यकार सम्मेलन, सम्मेलन में जुटे जिले के साहित्यकार
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डूंगरपुर में हुआ पहला साहित्यकार सम्मेलन, सम्मेलन में जुटे जिले के साहित्यकार

First Literary Conference in Dungarpur: पंडित दीनदयाल उपाध्याय भवन में जिले का पहला साहित्यकार सम्मेलन का आयोजन हुआ. सम्मेलन के मुख्य अतिथि राज्यमंत्री डॉ शंकर यादव ने की. 

साहित्यकार सम्मेलन.

First Literary Conference in Dungarpur: राजस्थान साहित्य अकादमी के सहयोग से वागड़ विभा साहित्य एवं कला संस्थान डूंगरपुर की ओर से शहर के पंडित दीनदयाल उपाध्याय भवन में जिले का पहला साहित्यकार सम्मेलन का आयोजन किया गया. सम्मेलन में एससी विकास एवं वित्त निगम के अध्यक्ष व राज्यमंत्री डॉ शंकर यादव और राजस्थान साहित्य अकादमी के अध्यक्ष डॉ दुलाराम सहारण सहित जिले के साहित्यकार शामिल हुए.

राजस्थान साहित्य अकादमी की पहल

डूंगरपुर जिले के साहित्यकारों को मंच उपलब्ध करवाने के लिए राजस्थान साहित्य अकादमी ने पहल की है. इसी पहल के तहत आज शहर के पंडित दीनदयाल उपाध्याय भवन में जिले का पहला साहित्यकार सम्मेलन का आयोजन हुआ. सम्मेलन के मुख्य अतिथि एससी विकास एवं वित्त निगम के अध्यक्ष व राज्यमंत्री डॉ शंकर यादव और अध्यक्षता राजस्थान साहित्य अकादमी के अध्यक्ष डॉ दुलाराम सहारण ने की. 

इस मौके पर वागड़ विभा साहित्य एवं कला संस्थान के जिला अध्यक्ष राजकुमार कंसारा ने डूंगरपुर जिले में संस्थान की ओर से साहित्य के क्षेत्र में किये जा रहे कार्यों के सम्बन्ध में विस्तृत जानकारी प्रदान की. वहीं इस मौके पर मुख्य अतिथि शंकर यादव ने कहा कि वागड़ की साहित्यिक प्रतिभाओं को कमतर नहीं आंका जा सकता. यह साहित्य की उर्वरा भूमि है. आज भी यहां एक से बढ़कर एक लेखक साहित्यकार मौजूद हैं लेकिन आवश्यकता है इन्हें तराश कर उचित मंच प्रदान करने की. साहित्यकार कुदरत का एक अलौकिक प्रतिबिंब है जो अपनी लेखनी से समाज को आईना दिखाता है.

लेखनी के माध्यम से युवा पीढ़ी को जागरूक करना होगा- शंकर यादव 

उन्होंने कहा कि आज की नौजवान पीढ़ी अपने पथ से भटक रही हैं. मादक पदार्थों की चपेट में आ रही हैं. इन्हें बचाना होगा इसके लिए साहित्यकारों को आगे आना होगा. अपनी सशक्त लेखनी के माध्यम से युवा पीढ़ी को जागरूक करना होगा. वहीं सम्मेलन में साहित्य अकादमी अध्यक्ष डॉक्टर दुलाराम सहारण ने कहा कि साहित्यकार अपनी लेखनी के माध्यम से अपनी आवाज को बुलंद करें और इस बात का ध्यान रखें कि हमारी सुरक्षा हमारे संविधान से हमें अपना संविधान बचाना है, देश बचाना है. यह जिम्मेदारी साहित्यकारों को उठानी है. 

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उन्होंने कहा कि वागड़ अंचल मैं लेखक साहित्यकार विषम परिस्थितियों में अपना लेखन कर्म कर रहे हैं. इन्हें अनुकूल अवसर उपलब्ध कराना होगा और यहां के छुपे हुए इतिहास संस्कृति के अनछुए पहलुओं को उजागर करना होगा. जिला साहित्यकार सम्मेलन का आयोजन इसी उद्देश्य के साथ अकादमी द्वारा कराया जाता है. जिससे स्थानीय साहित्यिक प्रतिभाओं को व्यापक मंच मिल सके उन्हें प्रोत्साहित किया जा सके.

Reporter- Akhilesh Sharma

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