MSME बिजनेस लोन में आने वाली टॉप 5 चुनौतियां

Written by Web Desk Team | Published :November 21, 2022 , 11:10 am IST

भारत में सूक्ष्म, लघु और मध्यम उद्यम (MSME) क्षेत्र देश की अर्थव्यवस्था में महत्वपूर्ण योगदान देता है. वास्तव में, यह भारत के सकल घरेलू उत्पाद (GDP) के लिए विकास का चालक है, क्योंकि अधिकांश manufacturing units इसी श्रेणी में आती हैं और non-agricultural workforce को सबसे ज्यादा रोजगार देती हैं.

इन खूबियों के बाद भी, अपने बिजनेस में विस्तार या बेसिक जरूरतों को पूरा करने के लिए धन जुटाना MSMEs के लिए सबसे बड़ी परेशानियों में से एक है. जब MSME Business Loan की बात आती है तो यहां हमने टॉप 5 चुनौतियों के बारे में बात की हैं, जिनके कारण MSME को लोन मिलने में परेशानी होती है:

Collateral ( ऐसा कुछ जो गारंटी के तौर पर रखा जा सके)
कई बार, ऋणदाता चाहते हैं कि छोटे व्यवसायों के मालिक लोन accept करने के लिए Collateral दें. लेकिन यह उन बिजनेस के लिए मुश्किल होता है, जो अभी ग्रोथ के लिए संघर्ष कर रहा हो और जिसके मालिक के पास गिरवी (Collateral) रखने के लिए आवश्यक संपत्ति नहीं हो. गौरतलब है कि, भारत में बहुत से छोटे बिजनेस के पास ऐसी संपत्ति नहीं है, जिसे वे Collateral के तौर पर रख सकें. यह MSME मालिकों को अक्सर उच्च ब्याज दरों पर non-Collateral लोन लेने के लिए मजबूर करता है.

विश्वास की कमी
ऋणदाता अक्सर छोटे बिजनेस के मालिकों पर भरोसा नहीं करते हैं, जो अभी भी मार्केट में संघर्ष कर रहे हैं. इसके अलावा, बैंक अक्सर MSME में रुचि नहीं लेते हैं, क्योंकि लोन की राशि बहुत कम होती है और इसलिए, उनकी loan book के लिए अप्रासंगिक है.

इसके अलावा, ऋणदाता अक्सर सोचते हैं कि छोटे बिजनेस में ऋण चुकाने की क्षमता नहीं है. नतीजतन, जब बड़े बिजनेस की तुलना में उधार लेने की बात आती है तो MSME को अक्सर कड़ी छानबीन का सामना करना पड़ता है.

MSME को high risk वाला उधारकर्ता भी माना जाता है, क्योंकि उनके पास बूट करने के लिए ज्यादातर Credit rating नहीं होती है और इसलिए वे अक्सर Business Loan के लिए पात्र नहीं होते हैं.

Financial Literacy की कमी
MSME वाले मालिक अच्छे Businessman और risk taker हो सकते हैं, लेकिन MSME मालिकों में अक्सर Financial Literacy की कमी होती है. जब पैसे उधार लेने की बात आती है, तो यही Financial Literacy उनके लिए एक बाधा बन जाती है, जिसके कारण वे अक्सर गलत निर्णय लेते हैं. परिणामस्वरूप उनकी पूंजी अनुपात और कम Credit Score में असंतुलन होता है.

इसके अलावा, चूंकि वे Loan Market को नहीं समझते हैं, इसलिए वे गलत Loan देने वाले का चयन कर सकते हैं और फिर High Interest Rate का भुगतान कर सकते हैं. उन्हें आमतौर पर Fintech Space की जानकारी नहीं होती है.

अत्यधिक नियम-कायदे व परीक्षण
जब पैसा उधार लेने की बात आती है, तो MSME को अक्सर अत्यधिक Regulations और Scrutiny का सामना करना पड़ता है. यहां तक कि उन्हें लाइसेंस, certifications और insurance जैसी आवश्यकताओं के साथ भी संघर्ष करना पड़ता है. जिससे उन्हें समय पर लोन नहीं मिल पाता है, जिसके कारण उनका ग्रोथ भी प्रभावित होता है.

efficient disbursement में कमी

अक्सर, छोटे businesses के मालिकों को उधार लेने के पारंपरिक तरीकों पर निर्भर रहना पड़ता है, जिसके लिए उन्हें कड़े eligibility norms को पूरा करने की आवश्यकता होती है. उन्हें ऐसे डॉक्यूमेंट्स देने होते हैं, जो उधार लेने की प्रक्रिया को लंबा और time taking बनाते हैं. इसके अलावा, पैसे का disbursal अपने आप में एक लंबी प्रक्रिया है, जिससे पूंजी की समस्या होती है. जब छोटे बिजनेस को पैसे की तत्काल आवश्यकता होती है, तो उनके लिए ऐसे कड़े मानदंडों को पूरा करना कठिन होता है.

निष्कर्ष
भारत में MSMEs को व्यावसायिक ऋण लेने में कई अहम चुनौतियों का सामना करना पड़ता है. collateral आवश्यकताओं से लेकर लंबे paperwork और बड़े उधारदाताओं के बीच विश्वास या रुचि की कमी तक, MSME अधिकतर Business Loan लेने के लिए संघर्ष करते रहते हैं.

हालाँकि, जैसे-जैसे लोन लेने के नए रूप विकसित हो रहे हैं और बाजार Digital हो रहा है, MSME के लिए भी चीजें आसान होती जा रही हैं.