मोती डूंगरी गणेश का 151 किलो दूध, 21 किलो दही-घी से पंचामृत, 1008 मोदक का लगा भोग
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मोती डूंगरी गणेश का 151 किलो दूध, 21 किलो दही-घी से पंचामृत, 1008 मोदक का लगा भोग

छोटीकाशी में पुष्य नक्षत्र पर मोतीडूंगरी गणेश मंदिर में पंचामृत अभिषेक हुआ. शहर के गणेश मंदिरों में भगवान श्रीगणेश की मनुहार होती रही.

मोती डूंगरी गणेश का 151 किलो दूध, 21 किलो दही-घी से पंचामृत, 1008 मोदक का लगा भोग

Jaipur: छोटीकाशी में पुष्य नक्षत्र पर मोतीडूंगरी गणेश मंदिर में पंचामृत अभिषेक हुआ. शहर के गणेश मंदिरों में भगवान श्रीगणेश की मनुहार होती रही. मंदिरों में अथर्व शीर्ष के पाठों से प्रथम पूज्य श्रीगणेश को मोदक अर्पित किए.भक्तों ने गणपति स्त्रोत, गणपति अष्टोत्तरशत नामावली पाठों से भगवान गणेश की विशेष पूजा की.

मोतीडूंगरी गणेश मंदिर में महंत कैलाश शर्मा के सानिध्य में 151 किलो दूध, 21 किलो दही, सवा पांच किलो घी, 21 किलो बूरा, शहद ,केवड़ा जल, गंगाजल आदि से पंचामृत अभिषेक किया गया.नहर के गणेशजी,श्वेत सिद्धि विनायक मंदिर,गणेश पीठ की ओर से चांदपोल बाजार के खेजड़ों का रास्ता के गणेश मंदिर में गणेश जी का गुलाब, केवड़ा जल से अभिषेक किया गया.

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ऑनलाइन दर्शन की सुविधा

साथ ही नवीन पोशाक धारण करवाकर गणेश जी को फूलों के बंगले में विराजमान किया गया. www.motidungri.com वेब लिंक के जरिए भी भक्त ऑनलाइन दर्शन कर सकते हैं.कोरोना में लोग ऑनलाइन ही दर्शन कर रहे थे. इस दौरान मंदिर में भक्तों को आने की अनुमति नहीं मिली थी. 

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 मोती डूंगरी मंदिर में सैकड़ों लोग हर रोज करते हैं दर्शन

मंदिर की गणेश प्रतिमा 1761 में जयपुर के राजा माधौसिंह की रानी के पैतृक गांव मावली (गुजरात) से लाई गई थी. 1761 से पहले भी इस प्रतिमा का इतिहास 500 सालों से ज्यादा पुराना है. मोती डूंगरी गणेश के प्रति जयपुर और प्रदेश समेत पूरे देश के लोगों के लिए गहरी आस्था का केंद्र है. गणेश चतुर्थी, नवरात्र, दशहरा और दीपावली पर यहां विशेष उत्सव होते हैं और इस दौरान लोग बड़ी संख्या में नए वाहन लेकर यहां आते हैं और पूजन करवाते हैं. सामान्य तौर पर गणेश उत्सव के दौरान यहां 50 हजार से ज्यादा लोग प्रतिदिन दर्शन करने आते हैं.

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