Kotwali Police Station: आपने शायद ही कभी सुना हो कि थानेदार की कुर्सी पर कोई और बैठता हो. लेकिन देश में एक थाना ऐसा भी है, जहां थानेदार की कुर्सी में बाबा काल भैरव (Baba Kal Bhairav) को बैठाया जाता है, और अधिकारी उनकी बगल वाली कुर्सी पर बैंठाते हैं.
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Baba Kal Bhairav, Kashi Police Station: आपने बहुत से थानों में थानेदार का रुतबा और रुआब देखा होगा. लेकिन कभी ऐसा सुना है कि थानेदार की कुर्सी पर बैठकर कोई और साशन करे. शायद नहीं. लेकिन एक ऐसा थाना भी है, जहां थानेदार की कुर्सी पर बैठकर बाबा काल भैरव पूरी व्यवस्था को चलाते हैं. बता दें यहां पर बाबा के लिए टेबल, कुर्सी और टोपी भी मौजूद है.
कुर्सी पर शान से रखी जाती है बाबा काल भैरव की तस्वीर
बाबा काल भैरव की नगरी, काशी में बाबा को ही कोतवाल कहा जाता है . इतना ही नहीं, यहां की पूरी की पूरी व्यवस्था भी बाबा काल भैरव ही संचालित करते हैं. बता दें कि बिना उनकी अनुमति के यहां परिंदा भी पर नहीं मारता. और अगर किसी से कोई पार हो जाए, तो उसका दंड भी यहीं पर देते हैं. काशी में कोतवाली थाने में लगी मेन चेयर पर थानेदार नहीं, बाबा काल भैरव (Baba Kal Bhairav) विराजमान होते हैं. उनके ठीक बाजू में प्रशासनिक कोतवाल बैठते जरूर हैं, लेकिन वो भी बाबा के भरोसे पर ही चलते हैं.
बाजीराव पेशवा ने बनवाया था मंदिर
बताया जाता है कि कहा जाता है कि 1715 में बाजीराव पेशवा (Bajirao Peshwa) ने खुद यहां बाबा काल भैरव (Baba Kal Bhairav) का मंदिर बनवाया था. जब भी कोई नया अधिकारी यहां आता है वो बाबा के दरबार में हाजिरी जरूर लगाता है. मान्यता है कि बाबा काल भैरव को यह अधिकार बाबा विश्वनाथ (Baba Vishwanath) के द्वारा दिया गया है. इसना ही नहीं, बिना इनके आशीर्वाद के काशी नगरी में रहना मुश्किल है. ऐसी मान्यता है कि बाबा भैरव के इस पावन दरबार से कभी कोई अन्याय नहीं होता.
थाने में रोज होती है भैरव बाबा की पूजा
बताया जाता है कि कोतवाली एरिया में ही बाबा भैरव अपने धाम में विराजमान हैं. थाने में यह परंपरा है कि बाबा की पूजा रोजाना होती है. यहां के थानेदार रोज बाबा काल भैरव (Baba Kal Bhairav) का आशीर्वाद लेने के बाद ही बगल वाली कुर्सी पर बैठते हैं.