डंपिंग यार्ड बना नासूर, इस वजह से नहीं बनी प्रशासन और ग्रामीणों की सहमति जानिए पूरा मामला
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डंपिंग यार्ड बना नासूर, इस वजह से नहीं बनी प्रशासन और ग्रामीणों की सहमति जानिए पूरा मामला

डंपिंग यार्ड के पास में गौशाला भी है जिसके चलते कई गाय व पालतू जानवर डंपिंग यार्ड में जाकर कचरे में मुंह मारते हैं और प्लास्टिक की थैली खाने से कई गौवंश की मौत हो चुकी है. 

डंपिंग यार्ड बना नासूर, इस वजह से नहीं बनी प्रशासन और ग्रामीणों की सहमति जानिए पूरा मामला

Viratnagar: विराटनगर नगरपालिका के डंपिंग यार्ड में 15 दिन में चारदीवारी निर्माण कराने के आश्वासन के 20 दिन बाद भी नगर पालिका की ओर से काम की शुरुआत नहीं की गई जिसको लेकर ग्रामीणों ने कचरे से भरे वाहनों को डंपिंग यार्ड में खाली नहीं होने दिया उन्हें बैरंग लौटा दिया.

जानकारी के अनुसार 20 दिन पहले भी डंपिंग यार्ड में कचरे से भरे वाहनों को ग्रामीणों ने विरोध करते हुए खाली नहीं होने दिया. नगरपालिका ने पुलिस प्रशासन की सहायता से उन्हें डंपिंग यार्ड में खाली करवाया. ग्रामीणों का कहना है कि डंपिंग यार्ड के चारों ओर चार दिवारी नहीं होने के कारण डाले जाने वाला कचरा हवा के साथ उड़ कर आसपास के घर में चला जाता है और 24 घंटे कचरे की दुर्गंध बनी रहती है खाना तक नहीं खाया जाता.

डंपिंग यार्ड के पास में गौशाला भी है जिसके चलते कई गाय व पालतू जानवर डंपिंग यार्ड में जाकर कचरे में मुंह मारते हैं और प्लास्टिक की थैली खाने से कई गौवंश की मौत हो चुकी है. जिससे संक्रमण का खतरा फैलने का डर रहता है.कई बार नगर पालिका प्रशासन को अवगत कराने के बाद भी कोई समस्या का समाधान नहीं किया गया. 

वहीं नगरपालिका के भेरु बटोर के पास कचरा निस्तारण को लेकर डंपिंग यार्ड है. डंपिंग यार्ड के चार दिवारी नहीं होने से यहां डाले जाने वाला कचरा हवा के साथ उड़ कर आसपास घरों में चला जाता है. इससे ग्रामीणों में रोष व्याप्त है. ग्रामीणों का बदबू और मक्खियों के कारण जीना दूभर हो रहा है. 

समस्या को लेकर 3 नवंबर को यहां के लोगों ने नगरपालिका के कचरे से भरे वाहनों को डंपिंग यार्ड में खाली करने का विरोध कर वापस लौटा दिया था. ग्रामीणों का कहना है जब तक डंपिंग यार्ड के चारदीवारी नहीं बनाई जाएगी तब तक डंपिंग यार्ड में कचरा खाली नहीं करने दिया जाएगा.

जिस पर नगर पालिका ईओ सरिता मील, कनिष्ठ अभियंता खेमचंद मीणा, वाइस चेयरमैन रामेश्वर यादव, नगरपालिका एसआई मनोहर लाल ने ग्रामीणों को 15 दिन में डंपिंग यार्ड के चारदीवारी बनाने का आश्वासन देकर मामला शांत करवाया था लेकिन फिर से प्रशासन की लापरवाही के चलते 20 दिन बाद भी नगर पालिका प्रशासन ने डंपिंग यार्ड की चारदीवारी बनाने को लेकर कोई कार्रवाई ही नहीं की.

ग्रामीणों ने कचरे के वाहनों में कचरा डालने का विरोध कर कचरे से भरे वाहनों को लौटा दिया. नगर पालिका प्रशासन की लापरवाही से 25000 की आबादी के लिए डंपिंग यार्ड आफत बना हुआ है.

डंपिंग यार्ड के चारों ओर चार दीवारी निर्माण को लेकर आसपास की ढाणियों के ग्रामीणों में भारी रोष व्याप्त है. 25 हजार से ज्यादा की आबादी हवा के साथ कचरा व बदबू आने से परेशान है. इस सम्बन्ध में जब चेयरमैन से बात की जाती है तो कुछ भी बोलने को तैयार नहीं है.

वहीं जिम्मेदार पद पर बैठी EO सरिता मील भी कोई जवाब नहीं देती. यहां तक लोगों व मीडिया कर्मियों के फोन उठाने की जहमत नहीं उठाती है. हर बार की तरह वाइस चेयरमैन रामेश्वर यादव को आगे कर दिया जाता है. जबकि जिम्मेदारी पद स्थापित चेयरमैन व EO की बनती है लेकिन सब राम भरोसे होता दिख रहा है.

Reporter-Amit Yadav

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