खेलों में देश और प्रदेश का नाम रोशन करना भानु प्रताप सिंह चौधरी का सपना, लेकिन आर्थिक तंगी बनी बाधा
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खेलों में देश और प्रदेश का नाम रोशन करना भानु प्रताप सिंह चौधरी का सपना, लेकिन आर्थिक तंगी बनी बाधा

भानु प्रताप सिंह चौधरी का कहना है कि करीब 6 सालों से ताइक्वांडो खेल रहे हैं, लेकिन इस खेल संघ के विवाद होने के चलते ताइक्वांडो के खिलाड़ियों को मदद नहीं मिल रही है. 

खेलों में देश और प्रदेश का नाम रोशन करना भानु प्रताप सिंह चौधरी का सपना, लेकिन आर्थिक तंगी बनी बाधा

Jaipur: राजधानी जयपुर के रहने वाले भानु प्रताप सिंह चौधरी ने पुमसे ताइक्वांडो में अपना लोहा हर कमद पर मनवाया है. चाहे जूनियर गेम्स हो या फिर वर्ल्ड चैंपियनशिप. भानु प्रताप ने हर बार खुद को साबित किया है. 

अपने खेल से देश और प्रदेश का नाम रोशन करने का सपना देखने वाले भानु के सामने अब आर्थिक संकट गहराता जा रहा है. 2023 में आयोजित होने वाले एशियन गेम्स और साउथ एशियन गेम्स की तैयारियों को लेकर भानु को ट्रेनिंग के लिए साउथ कोरिया जाना है, लेकिन खेल विभाग की ओर से कोई मदद नहीं मिलने के चलते भानु का देश के लिए खेलने का सपना टूटता हुआ नजर आ रहा है. 

भानु प्रताप सिंह की उपलब्धियां
ताइक्वांडों में पिछले 6 सालों से राजस्थान का नाम रोशन करने वाले भानु प्रताप की उपलब्धियां इतनी है कि गिनने में भी नहीं आती. मई में आयोजित हुई वर्ल्ड चैंपियनशिप में भानु ने हिस्सा लिया, तो वहीं ऑल इंडिया यूनिवर्सिटी गेम्स में 3 गोल्ड एक कांस्य पदक जीते, वर्ल्ड यूनिवर्सिटी गेम्स में चयन हुआ, जूनियर नेशनल और ओपन नेशनल में दो गोल्ड और एक कांस्य पदक जीता. 

गौरतलब है कि साउथ कोरिया में ट्रेनिंग का खर्चा करीब 8 से 9 लाख रुपये तक पहुंच रहा है. ऐसे में जब भानु प्रताप स्पोर्ट्स कौंसिल में मदद मांगने पहुंचे तो उन्हें ताइक्वांडो में विवाद का हवाला देते हुए ट्रेनिंग के लिए मदद करने से इनकार कर दिया गया है, जिसके बाद अब भानु के सपने टूटते हुए नजर आ रहे हैं. 

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भानु प्रताप सिंह चौधरी का कहना है कि करीब 6 सालों से ताइक्वांडो खेल रहे हैं, लेकिन इस खेल संघ के विवाद होने के चलते ताइक्वांडो के खिलाड़ियों को मदद नहीं मिल रही है. एशियन गेम्स और साउथ गेम्स की तैयारी के लिए साउथ कोरिया जाना है, लेकिन आर्थिक तंगी के चलते नहीं जा पा रहा हूं. मई में आयोजित हुए वर्ल्ड चैंपियनशिप का खर्चा भी करीब 2 लाख रुपये मैंने खुद अपनी जेब से ही लगाया था, लेकिन अब ट्रेनिंग पर करीब 8 से 9 लाख रुपये का खर्चा बैठ रहा है, जो मेरे बस के बाहर है. 

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