जयपुर में बढ़ते कोरोना मामलों को लेकर हुआ ये बड़ा बदलाव, अब 24 घंटे में होगी जांच
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जयपुर में बढ़ते कोरोना मामलों को लेकर हुआ ये बड़ा बदलाव, अब 24 घंटे में होगी जांच

प्रदेश में कोरोना जांच रिपोर्ट में लग रहे समय को घटाने के लिए जयपुर कलेक्टर राजन विशाल ने डॉक्टरों की बैठक ली. बैठक के बाद जिला कलेक्टर ने कहा कि जांच का समय 72 घंटे से घटाकर 24 घंटे करने का प्रयास किया जा रहा है.

प्रतीकात्मक तस्वीर

Jaipur: प्रदेश में कोरोना जांच रिपोर्ट में लग रहे समय को घटाने के लिए जयपुर कलेक्टर राजन विशाल ने डॉक्टरों की बैठक ली. बैठक के बाद जिला कलेक्टर ने कहा कि जांच का समय 72 घंटे से घटाकर 24 घंटे करने का प्रयास किया जा रहा है.

प्रदेश में कोरोना की जांच के लिए दी जाने वाली आरटीपीसीआर रिपोर्ट 72 घंटे तक में आ रही है. इसको लेकर मामला गरमाया तो जिला कलेक्टर राजन विशाल जांच समय सीमा को कम करने के लिए चर्चा करने सवाई मानसिंह मेडिकल कॉलेज पहुंचे. विशाल ने RTPCR लैब सैंपल टेस्ट स्टैट्स को लेकर डॉक्टरों के साथ चर्चा की. बैठक में आरयूएचएस अधीक्षक डॉ अजीत सिंह, एसएमएस मेडिकल कॉलेज लैब इंचार्ज डॉक्टर भारती मल्होत्रा सहित दोनों सीएमएचओ और जांच से जुड़े अन्य डॉक्टर मौजूद थे.

रोज 3 से चार हजार सैम्पलों की जांच
बैठक के दौरान जिला कलेक्टर राजन विशाल ने कोरोना की विषम परिस्थितियों में जांच का कार्य करने पर डॉक्टरों को बधाई दी. डॉक्टर्स ने कहा कि हर रोज 3 से 4 हजार सैम्पल जांच के लिए आते हैं. पांच छह घंटे में जांच हो जाती है, लेकिन पोर्टल में चढ़ाने में हो रही देरी के कारण जांच कराने वाले को आठ घंटे बाद ही रिपोर्ट दी जा रही है.

सैम्पल कलेक्शन में लगता समय
डॉ भारती मल्होत्रा ने कहा कि उनके पास सैम्पल रात 11 बजे बाद तक पहुंचते हैं. इसके बाद जांच होती है तो उसका रिजल्ट आठ घंटे बाद ही तैयार होकर पोर्टल पर दर्ज हो पाता है, जिससे सेम्पल कलेक्शन की तारीख और रिजल्ट की तारीख में एक दिन का अंतर आ जा जाता है. इस पर मुख्य चिकित्सा एवं स्वास्थ्य अधिकारी ने कहा कि सभी सीएचसी में 3 बजे तक सैम्पल लिए जाते हैं उसके बाद वाहन से उन्हें एकत्रित कर भेजा जाता है. इस प्रक्रिया में समय लग जाता है. इस पर जिला कलेक्टर ने कहा कि ऐसी व्यवस्था हो कि सुबह सैम्पल ले लिया उसे जल्द भिजवाया जाए ताकि जांच भी जल्द आ सके.

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और भी कई प्रकार की समस्याएं हैं
डॉक्टर्स ने कहा कि कई बार लैब में सैम्पल की संख्या ज्यादा हो जाती है, जिससे जांच में देरी होती है. वहीं, कई बार जांच कराने वाला सही तरीके से नाम पता नहीं लिखता है. इसके अलावा सैम्पल दूसरी लैब में पहुंच जाता है, जिससे भी देरी होती है. ज्यादातर सैम्पल रात में आते हैं जबकि लैब में रात को स्टाफ कम होता है. ऐसे में जांच की गति बढ़ाने के लिए स्टाफ भी बढ़ाना होगा. इसी तरह जांच समय पर हो जाती है, लेकिन पोर्टल पर अपलोड होने में समय लगता है. पोर्टल की एंट्री में देरी को कम करने के लिए एंट्री ऑपरेटर बढ़ाने होंगे.

25 लेबकर्मी कोरोना पॉजिटिव
डॉक्टरों ने बताया कि लैब में पूरी शिद्दत से जांच की जा रही है. लैब में 24 घंटे जांच की जा रही है. हालात यह है कि 25 स्वास्थ्यकर्मी पॉजिटिव हो गए, इनमें पांच छुट्टियों पर चल रहे हैं. इसके बावजूद काम पूरी तरह ट्रेक पर है.

चुनौतियों के बीच कार्य करने होंगे
इसके बाद कलेक्टर राजन विशाल ने कहा कि जांच के दौरा चैलेंज रहेंगे, लेकिन इन सबके बीच बेंच मार्क तय करने पड़ेंगे. कलेक्टर ने कहा कि जिस जिस के स्तर पर मामले का निचोड़ जरूरी होगा, वहां करना होगा. साथ कलेक्टर ने कहा कि पोर्टल भी कभी कभी ही हैंग होता है, उसे बचाने के लिए आवश्यक कदम उठाएं जाए.

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