अस्पताल अधीक्षक डॉ. पुष्पा नागर ने बताया कि ये वे बालिकाएं थीं, जो जन्म से ही जननांगों की विकृति के चलते कभी मां नहीं बन सकती थी. ऐसी बीमारियों में सामान्य बीमारी का पता बालिकाओं 12-14 साल की उम्र में लगता है, जब उनके माहवारी आने का समय शुरू होता है लेकिन विकृति के कारण ब्लड बाहर नहीं आकर पेट के निचले हिस्से में ही जम जाता है, जिससे असहनीय पेट दर्द की समस्या रहती है.
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Jaipur: महिलाओं के जननांगों की जन्मजात दुर्लभ बीमारी को एक अभिशाप माना जाता है लेकिन अब इलाज से जननांगों की जन्मजात बीमारियों से पीड़ित बालिकाओं को सामान्य जीवन जीने का अधिकार मिल सकेगा.
हाल ही में चांदपोल स्थित सरकारी जनाना अस्पताल के चिकित्सकों ने करीब 1 साल में 20 ऐसी बालिकाओं और महिलाओं का इलाज कर दिखाया है.
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अस्पताल अधीक्षक डॉ. पुष्पा नागर ने बताया कि ये वे बालिकाएं थीं, जो जन्म से ही जननांगों की विकृति के चलते कभी मां नहीं बन सकती थी. ऐसी बीमारियों में सामान्य बीमारी का पता बालिकाओं 12-14 साल की उम्र में लगता है, जब उनके माहवारी आने का समय शुरू होता है लेकिन विकृति के कारण ब्लड बाहर नहीं आकर पेट के निचले हिस्से में ही जम जाता है, जिससे असहनीय पेट दर्द की समस्या रहती है. यह बीमारी किसी कारण से नहीं बल्कि बालिकाओं में पैदा होने के समय से जन्मजात प्राकृतिक रूप से ही होती है. इसमें जननांगों की संरचना बाहर नहीं दिखती या अंदर से बच्चेदानी अन्य सामान्य महिलाओं की तरह नहीं होती है. इसे गर्भाशय की असामान्यता या यूटेराइन एनॉमली भी कह सकते हैं.
इसके बारे में किसी भी बालिका को तब पता चलता है, जब मासिक चक्र प्रारंभ होता है. गत वर्ष में अस्पताल में कोटा, शाहपुरा भरतपुर सहित प्रदेश के कई जिलों से बालिकाएं और महिलाएं इलाज के लिए आई. जिनकी जांच में पता लगा कि ब्लड बाहर नहीं आने से पेल्विस में काफी ब्लड जमा हो चुका है, जिससे असहनीय पेट दर्द होता है क्योंकि बच्चेदानी में कोई पर्दा आ जाता है या वह दो हिस्सों में होती हैं या रास्ता बंद होता है.
क्या कहना है डॉ. अदिति बंसल का
डॉ. अदिति बंसल का कहना है कि ऐसे में इलाज के लिए लैप्रोस्कोपी हिस्टेरोस्कोपी से गड़बड़ियों को सर्जरी के द्वारा ठीक किया गया. अगर जननांग की आकृति ठीक नहीं है तो उसे सही किया जाता है. इस बीमारी का निजी अस्पतालों के इलाज का खर्चा बहुत अधिक आता है लेकिन जनाना अस्पताल प्रशासन ने निःशुल्क सफल ऑपरेशन कर दिखाए, जिसके बाद इन सभी को अन्य महिलाओं की तरह सामान्य जीवन जीने का और मां बनने का अधिकार मिल सका.