गांधी परिवार से अलग बन सकता है कांग्रेस का अध्यक्ष, पार्टी के ये दिग्गज नेता कर रहे विचार
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गांधी परिवार से अलग बन सकता है कांग्रेस का अध्यक्ष, पार्टी के ये दिग्गज नेता कर रहे विचार

पार्टी के अलग-अलग नेताओं ने इसे लेकर कई तरह के सुझाव दिए हैं. कांग्रेस का एक बड़ा वर्ग चाहता है कि राहुल गांधी पार्टी की कमान संभालें जबकि एक धड़ा प्रियंका गांधी के नाम को आगे बढ़ा रहा है.

गांधी परिवार से अलग बन सकता है कांग्रेस का अध्यक्ष, पार्टी के ये दिग्गज नेता कर रहे विचार

Jaipur: भले ही इसी महीने कांग्रेस पार्टी में संगठन चुनाव की प्रक्रिया शुरू होने जा रही है लेकिन इसके बावजूद पार्टी के भीतर लीडरशिप को लेकर संशय अभी भी बरकरार है. कहा ये जा रहा है कि राहुल गांधी पार्टी का नेतृत्व संभालने के लिए अभी भी पूरी तरह से तैयार नहीं है. सूत्रों की अगर माने तो राहुल गांधी ने इस संबंध में अभी भी अपनी प्रतिक्रिया नहीं दी है. ऐसे में राहुल गांधी की ताजपोशी नहीं होने की सूरत में पार्टी वैकल्पिक रणनीति पर भी विचार करने लगी है.

कांग्रेस के अध्यक्ष का चुनाव 21 अगस्त से शुरू हो जाएगा चुनाव की प्रक्रिया सितंबर तक चलेगी. पहले ब्लॉक, जिला और प्रदेश लेवल पर चुनाव संपन्न होने के बाद सितंबर माह में कांग्रेस पार्टी के राष्ट्रीय अध्यक्ष का चुनाव होगा. राष्ट्रीय अध्यक्ष के चुनाव में पीसीसी मेंबर और एआईसीसी मेंबर भाग लेंगे. समय बहुत अधिक नहीं है लिहाजा पार्टी जल्द से जल्द किसी नतीजे पर पहुंचना चाहती है. यही वजह है कि दिल्ली में कांग्रेस के आला नेताओं के बीच इस मुद्दे को लेकर कई दौर की वार्ता हो चुकी है. खास तौर पर पार्टी की अंतरिम अध्यक्ष सोनिया गांधी और पूर्व अध्यक्ष राहुल गांधी से ED की पूछताछ के दौरान जब कांग्रेस के तमाम दिग्गज नेता दिल्ली में मौजूद रहे उस समय इस मुद्दे को लेकर भी पार्टी में शीर्ष नेतृत्व पर मंथन किया जा चुका है.

पार्टी के अलग-अलग नेताओं ने इसे लेकर कई तरह के सुझाव दिए हैं. कांग्रेस का एक बड़ा वर्ग चाहता है कि राहुल गांधी पार्टी की कमान संभालें जबकि एक धड़ा प्रियंका गांधी के नाम को आगे बढ़ा रहा है. ऐसे में अगर राहुल गांधी सहमति नहीं जताते हैं तो पार्टी प्रियंका गांधी के नाम पर भी विचार कर सकती है. जिस तरीके से प्रियंका गांधी ने दिल्ली में हुए विरोध प्रदर्शनों में नेतृत्व दर्शाया है उसे पार्टी के कार्यकर्ताओं में जोश और जुनून का संचार हुआ है. हालांकि सूत्रों का ये भी कहना है कि प्रियंका गांधी के नाम को लेकर अभी सोनिया गांधी के स्तर पर सहमति प्राप्त नहीं है. सोनिया गांधी चाहती हैं कि राहुल गांधी एक बार फिर से पार्टी की कमान संभालें ऐसे में सोनिया गांधी के विश्वस्त नेताओं का एक कैंप राहुल गांधी से लगातार इस संबंध में बातचीत करने में जुटा हुआ है.

राहुल गांधी की बात करें तो उन्होंने 2017 में कांग्रेस की कमान संभाली थी. करीब दो सालों के बाद 2019 लोकसभा चुनाव में कांग्रेस की करारी हार के बाद प्रमुख के पद से इस्तीफा दे दिया था. पार्टी के वरिष्ठ नेताओं का कहना है कि राहुल गांधी बिना अध्यक्ष पद संभाले ही कांग्रेस का चेहरा बने रहना चाहते हैं. वे सदन के भीतर और सदन के बाहर मोदी सरकार के खिलाफ लगातार देशभर में सक्रियता दिखाना चाहते हैं. पार्टी के अध्यक्ष पद को लेकर अब वे खुद को फिर से पूरी तरह से तैयार नहीं कर पा रहे हैं.

यही वजह है कि पार्टी में एक धड़ा गैर गांधी को (बिना गांधी परिवार से) भी कांग्रेस प्रमुख बनाए जाने को लेकर चर्चा कर रहा हैं लेकिन ED की कार्रवाई के चलते अभी गैर गांधी अध्यक्ष बनाया अभी जाना संभव नहीं लग रहा है.
लेकिन कांग्रेस के भीतर एक रणनीति इस बात को लेकर भी चल रही है कि अगर राहुल गांधी नहीं तैयार होते हैं और प्रियंका गांधी को अभी पार्टी की कमान सौंपे जाने पर सहमति नहीं बन पाती है तो फिर सोनिया गांधी को ही अंतरिम अध्यक्ष के तौर पर जिम्मेदारी को आगे बढ़ाने के लिए तैयार किया जाए और उनके सहयोग के लिए कार्यकारी अध्यक्ष के तौर पर पार्टी के वरिष्ठ नेताओं की नियुक्ति की जाए लेकिन सबसे बड़ा सवाल की कार्यकारी अध्यक्ष के तौर पर नामों पर सहमति बनती है और जो नाम सहमति प्राप्त होंगे क्या वो जिम्मेदारी उठाने के लिए तैयार होंगे? ऐसे में पार्टी की बड़ी कोशिश राहुल गांधी को ही अध्यक्ष पद के लिए तैयार करने की है.

कहा जा सकता है कि कांग्रेस पार्टी के लिए यह स्थिति बहुत अच्छी नहीं है. खासतौर पर ऐसे समय में जब पार्टी इसी साल गुजरात विधानसभा चुनाव में एक मुश्किल लड़ाई लड़ने जा रही है और अगले साल राजस्थान मध्य प्रदेश और छत्तीसगढ़ के विधानसभा और फिर 2024 के लोक सभा चुनाव में उसे उतरना होगा. बिना पूर्णकालिक अध्यक्ष के पार्टी के लिए मोदी और अमित शाह की रणनीति से पार पाना आसान नहीं होगा. कांग्रेस के नेताओं कार्यकर्ताओं की भी यही इच्छा है कि पार्टी जल्द से जल्द अध्यक्ष का चुनाव करें ताकि नेताओं कार्यकर्ताओं में नई ऊर्जा का संचार हो सके.

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