REET लेवल 2 के निरस्त होने से टूट गए ये परीक्षार्थी, अब खटखटाएंगे हाईकोर्ट का दरवाजा
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REET लेवल 2 के निरस्त होने से टूट गए ये परीक्षार्थी, अब खटखटाएंगे हाईकोर्ट का दरवाजा

रीट लेवल 2 परीक्षा में अच्छे अंकों से पास हुए परीक्षार्थी अब परीक्षा को फिर से बहाल करने की मांग को लेकर दर-दर भटक रहे हैं. कभी अधिकारी तो कभी मंत्री के सामने गुहार लगा रहे हैं लेकिन हर ओर निराशा हाथ लगने के बाद अब परीक्षार्थियों ने हाईकोर्ट का दरवाजा खटखटाने का फैसला लिया है.

रीट लेवल 2 रद्द होने के बाद परीक्षार्थियों के चेहरों पर निराशा साफ नजर आ रही है.

Jaipur: 26 सितंबर को आयोजित रीट परीक्षा (REET Exam) में बड़े स्तर पर धांधली और पेपर लीक मामले के खुलासे, एसओजी की रिपोर्ट और बढ़ते विरोध के चलते सरकार की ओर से रीट लेवल 2 को निरस्त करने का फैसला लिया गया लेकिन इस फैसले से एक तबका वो भी है, जो निराश और हताश नजर आ रहा है.

परीक्षा में करीब 14 लाख से ज्यादा परीक्षा शामिल हुए थे. ऐसे में एक बड़ा वर्ग चाहता था परीक्षा निरस्त हो लेकिन एक वर्ग वो भी है, जो परीक्षा को निरस्त करने के पक्ष में नहीं है. अब वो ही वर्ग अपनी पीड़ा को लेकर हाईकोर्ट का दरवाजा खटखटाता हुआ नजर आ रहा है.

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रीट लेवल 2 परीक्षा में अच्छे अंकों से पास हुए परीक्षार्थी अब परीक्षा को फिर से बहाल करने की मांग को लेकर दर-दर भटक रहे हैं. कभी अधिकारी तो कभी मंत्री के सामने गुहार लगा रहे हैं लेकिन हर ओर निराशा हाथ लगने के बाद अब परीक्षार्थियों ने हाईकोर्ट का दरवाजा खटखटाने का फैसला लिया है. परीक्षा को फिर से बहाल करने की मांग को लेकर अब अभ्यर्थियों की अंतिम उम्मीद न्याय की देवी बची है, ऐसे में अभ्यर्थियों द्वारा हाईकोर्ट में याचिका दायर की जा रही है.

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रीट लेवल 2 रद्द होने के बाद परीक्षार्थियों के चेहरों पर निराशा साफ नजर आ रही है. परीक्षा में शामिल हुए आयुष और अनीता का कहना है कि "सालों से इस परीक्षा की तैयारी कर रहे हैं. कोरोना जैसी महामारी के बीच जहां आर्थिक हालात बद से बदतर हो चुके हैं लेकिन इस समस्याओं के बीच भी अपनी पढ़ाई को रुकने नहीं दिया लेकिन सरकार ने खुद ये माना है कि महज 300 से 400 लोगों तक पेपर पहुंचा है. फिर उसके बाद सरकार 32 हजार बेरोजगारों के सपनों के साथ खिलवाड़ कैसे कर सकती है? 

आगे उनका कहना है कि कोरोना महामारी के बीच आर्थिक हालातों से गुजरकर भूखे पेट रहकर पढ़ाई की है. उम्र के इस पड़ाव पर पहुंच चुके हैं कि अब और कोई रास्ता भी नहीं बचा है. सरकार को चाहिए कि वो दोषियों के खिलाफ कार्रवाई कर उनको परीक्षा से बाहर करे. ना की पूरी परीक्षा को ही स्थगित करे. सरकार की ओर से सिर्फ विरोध और राजनीतिक दबाव को देखा गया जबकि हजारों बच्चों के सपनों की सरकार को कोई परवाह नहीं है. इसलिए सरकार दोषियों पर कार्रवाई करते हुए परीक्षा को फिर से बहाल करने का फैसला ले."

 

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