स्थाई लोक अदालत ने अपने आदेश में कहा कि बिजली की सप्लाई बंद होने के बाद शॉर्ट सर्किट से आगजनी की घटना नहीं हो सकती हैं.
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Jaipur: शहर की स्थाई लोक अदालत ने शॉट सर्किट से आग लगना बताकर 67 लाख रुपए की क्षतिपूर्ति मांगने के मामले में दायर परिवाद को संदेहास्पद मानते हुए खारिज कर दिया.
स्थाई लोक अदालत ने अपने आदेश में कहा कि बिजली की सप्लाई बंद होने के बाद शॉर्ट सर्किट से आगजनी की घटना नहीं हो सकती हैं. मामले में सर्वेक्षक ने भी परिवादी को क्षतिपूर्ति राशि लेने का अधिकारी नहीं माना था. जांच में फैक्ट्री के बिजली मीटर की रीडिंग व अन्य तथ्यों से भी घटना के समय परिसर में विद्युत सप्लाई होना नहीं माना गया. जांच में 31 अक्टूबर, 2016 से 10 नवम्बर, 2016 तक की मीटर रीडिंग एक समान ही पाई गई.
ऐसी परिस्थितियों में यह उपधारणा की जा सकती है कि फैक्ट्री में विद्युत का उपयोग नहीं हो रहा था. ऐसे में शॉर्ट सर्किट से आग लगने का तथ्य झूठा साबित हो जाता हैं. सर्वेयर ने तीनों फ्यूज भी सही पाए थे. इसके अलावा जांच में आया कि फैक्ट्री में डीवीआर, हार्ड डिस्क सही होते हुए भी सीसीटीवी कैमरों को 16 अक्टूबर, 2106 को बंद कर दिया गया था. जांच में परिवादी की कपडे की फैक्ट्री में अन्य फर्मों व संस्थानों का भी कार्य होना पाया गया.
सांगानेर स्थित फर्म अभिव्यक्ति की ओर से अदालत में परिवाद पेश कर कहा गया कि फैक्ट्री में 08 नवंबर, 2016 की शाम बिजली के उतार-चढाव के कारण परिसर में आग लग गई थी. उस समय परिसर में कोई नहीं था. वहीं चौकीदार से पता चला कि परिसर के पास स्थित ट्रांसफार्मर में विस्फोट हुआ था. इसके बाद दमकल केन्द्र में सूचना दी गई और आग बुझाने तक लाखों रुपए का नुकसान हो गया. ऐसे में उसे मुआवजा राशि दिलाई जाए.
Reporter-Mahesh Pareek
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