संयुक्त किसान मोर्चा के भारत बंद (Bharat Bandh) के आह्वान पर राजस्थान में भी प्रदर्शन (Protest) किया गया.
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Jaipur: संयुक्त किसान मोर्चा के भारत बंद (Bharat Bandh) के आह्वान पर राजस्थान में भी प्रदर्शन (Protest) किया गया. किसानों के आह्वान पर राजधानी जयपुर (Jaipur News) में बंद का मिलाजुला असर दिखा. इन किसानों ने साफ कह दिया कि अभी आंदोलन को 10 महीने हुए हैं, लेकिन जरूरत पड़ी तो देश का किसान इस आंदोलन को 10 साल भी चलाने के लिए तैयार है. इसके साथ ही किसान नेताओं ने केन्द्र की सरकार और उसके एनडीए गठबंधन (NDA Government) को आगामी उत्तर प्रदेश विधानसभा चुनाव में वोट के जरिए किसानों की ताकत का अहसास कराने का दावा भी किया.
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केंद्र की तरफ से लाए गए तीन कृषि कानूनों (Three agricultural laws) के खिलाफ देश में किसानों का एक वर्ग लंबे समय से आंदोलन कर रहा है. आंदोलन में लगे इन्हीं किसानों ने संयुक्त किसान मोर्चा (Samyukt Kisan Morcha) के बैनर तले आज भारत बंद का आह्वान किया. किसानों के आह्वान पर बंद को सफल बनाने के लिए अलग-अलग संगठन सड़क पर भी उतरे.
किसानों ने रैली के रूप में अपना मार्च शुरू किया
राजधानी में किसान और उनके समर्थक संगठन सबसे पहले शहीद स्मारक पर जुटे. यहां से किसानों ने रैली के रूप में अपना मार्च शुरू किया. केंद्र सरकार विरोधी नारे लगाते हुए किसानों ने केंद्र (Central Government) की तरफ से लाए गए तीनों कृषि कानून वापस करने की मांग रखी. इसके साथ ही इन किसानों ने एमआई रोड समेत परकोटे के बाजारों में भी दुकानदारों से अपने प्रतिष्ठान बंद रखने की अपील की. हालांकि व्यापारियों ने भी किसान रैली निकलने के दौरान कुछ देर अपने प्रतिष्ठान बंद किए लेकिन रैली के निकलते ही कारोबारियों की दुकानें फिर से खुल गई.
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व्यवस्थाएं संभाल रहे पुलिस अधिकारियों पर फूटा गुस्सा
इससे पहले किसानों की रैली शुरू होते ही एमआई रोड पर किसानों का गुस्सा व्यवस्थाएं संभाल रहे पुलिस अधिकारियों (Police officers) पर फूट पड़ा. उनका कहना था कि जब पुलिस को रैली के रूट की जानकारी पहले ही दे दी गई थी तो फिर पुलिस ने खासा कोठी की तरफ से एमआई रोड पर आने वाले ट्रैफिक को क्यों नहीं रोका? नाराज किसान इस पर विरोध जताते हुए मौके पर ही सड़क पर बैठ गए और एमआई रोड को जाम कर दिया. एमआई रोड जैसी मुख्य सड़क जाम होते देख पुलिस के भी हाथ-पांव फूल गए.
पुलिस के अधिकारी और जवान हरकत में आए
किसान नेता संजय माधव (Sanjay Madhav) ने पुलिसकर्मियों को अपनी नाराजगी से वाकिफ कराया, उसके बाद पुलिस के अधिकारी और जवान हरकत में आए. उन्होंने आंदोलनकारियों से गुजारिश करके एक तरफ किया और पूरा ट्रैफिक निकाला. इसके बाद एमआई रोड पर किसान रैली के दौरान ट्रैफिक पूरी देर रोक दिया गया. पर शहर के अंदरूनी इलाकों से होती हुई किसानों की रैली कलेक्ट्रेट पहुंचकर एक आम सभा में तब्दील हो गई. यहां किसान आंदोलन और बंद समर्थक नेताओं ने सभा को संबोधित किया.
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किसान नेता संजय माधव ने क्या कहा
माकपा से जुड़े किसान नेता संजय माधव ने कहा कि अभी किसान आंदोलन (Farmer Protest) को 10 महीने हो गए हैं. संजय माधव ने सरकार को साफ तौर पर चेताते हुए कहा कि अगर जरूरत पड़ी तो किसान 10 साल भी इस आंदोलन को जारी रखने के लिए तैयार है. हालांकि इसके साथ ही संजय माधव ने कहा कि उत्तर प्रदेश के आगामी विधानसभा चुनाव में एनडीए और बीजेपी को सबक सिखाने के लिए किसान वहां वोट के जरिए अपनी ताकत का प्रदर्शन करेगा.
समग्र सेवा संघ से जुड़े सवाई सिंह भी इस प्रदर्शन में शामिल हुए. सवाई सिंह ने कहा कि उनका प्रदर्शन शांतिपूर्ण है लेकिन इस शांति को उनकी कमजोरी नहीं समझा जाना चाहिए. सवाई सिंह ने पुलिस की तरफ से व्यवस्थाओं में खामी रखने पर नाराजगी जताई.
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इसके साथ ही तारा सिंह सिद्धू (Tara Singh Sidhu) ने कहा कि देश का किसान अपनी मांगों के लिए डटा हुआ है. सिद्धू ने केंद्र सरकार पर हठधर्मिता के आरोप लगाते हुए कहा कि किसान भी यह देखने के लिए तैयार है कि आखिर केंद्र सरकार कब तक किसानों के हितों की अनदेखी कर सकती है. भारतीय किसान यूनियन से जुड़े राजाराम मील और केसी घुमरिया भी इस रैली के दौरान ट्रैक्टर पर साथ चल रहे थे.
कांग्रेस पार्टी का इस प्रदर्शन को पूरा समर्थन है
घुमरिया ने किसान आंदोलन के साथ ही दलित अत्याचार (Dalit atrocities) के मुद्दे पर भी सरकार को घेरा. उधर कांग्रेस नेता और अलवर के पूर्व सांसद डॉक्टर करण सिंह यादव भी किसान आंदोलन के समर्थन में सड़क पर उतरे. उन्होंने कहा कि कांग्रेस पार्टी का इस प्रदर्शन को पूरा समर्थन है. कर्ण सिंह ने कहा कि संयुक्त किसान मोर्चा से जुड़े होने के नाते वह इस रैली में सक्रिय रूप से भागीदारी निभा रहे हैं. कर्ण सिंह यादव ने भी उत्तर प्रदेश चुनाव में एनडीए गठबंधन को सबक सिखाने की बात कही. बाद में पीसीसी के अध्यक्ष गोविन्द सिंह डोटासरा भी कलेक्ट्रेट पहुंचे, लेकिन तब तक संयुक्त किसान मोर्चा के अधिकांश लोग अपनी रैली सम्पन्न करके जा चुके थे.